नई दिल्ली
गुजरात में सोमवार को ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का एक और मामला सामने आया, जिससे देश में इस बीमारी के तीन मामले हो गए.
अहमदाबाद के चांदखेड़ा इलाके में दो साल के बच्चे के संक्रमित होने की खबर है.
राजस्थान के इस बच्चे को सर्दी-खांसी के लक्षण दिखने के बाद चांदखेड़ा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रिपोर्ट में नागरिक अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि बच्चे की हालत अब स्थिर है.
यह तब हुआ जब सोमवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बेंगलुरु में तीन और आठ महीने के दो बच्चों में एचएमपीवी के दो मामलों की जानकारी दी.
बेंगलुरु में तीन महीने की एक लड़की और आठ महीने के एक लड़के में नियमित निगरानी के दौरान एचएमपीवी संक्रमण का पता चला.
दोनों को ब्रोंकोन्यूमोनिया (निमोनिया का एक प्रकार, फेफड़ों में संक्रमण) का इतिहास था. ब्रोन्कोन्यूमोनिया फेफड़ों और ब्रांकाई दोनों में एल्वियोली को प्रभावित करता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "दोनों मामलों की पहचान कई श्वसन वायरल रोगजनकों के लिए नियमित निगरानी के माध्यम से की गई थी, जो देश भर में श्वसन संबंधी बीमारियों की निगरानी के लिए आईसीएमआर के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है." मंत्रालय ने कहा कि बच्ची को "छुट्टी दे दी गई है", जबकि बच्चा "अब ठीक हो रहा है". मंत्रालय ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रभावित रोगियों में से किसी का भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा का इतिहास नहीं है." कर्नाटक सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि एचएमपीवी पहले से ही भारत में मौजूद है, और पता लगाए गए मामले भारत में पहले हैं. कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इस मामले पर एक आपातकालीन बैठक से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा, "हम इसे देश में पहला मामला नहीं कह सकते. वायरस पहले से ही यहाँ मौजूद है. व्यक्ति का इस विशिष्ट वायरस के लिए परीक्षण किया गया हो सकता है, और इसका पता चला है, बस इतना ही." मंत्रालय ने कहा कि एचएमपीवी पहले से ही भारत सहित दुनिया भर में प्रचलन में है. मलेशिया और विभिन्न देशों, विशेष रूप से चीन में एचएमपीवी से जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आए हैं. "केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी उपलब्ध निगरानी चैनलों के माध्यम से स्थिति की निगरानी कर रहा है," इसने कहा कि, "देश में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) या गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (SARI) के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है".
ICMR पूरे साल HMPV के प्रसार के रुझानों पर नज़र रखना जारी रखेगा.
इस बीच, मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि "भारत श्वसन संबंधी बीमारियों में किसी भी संभावित वृद्धि को संभालने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित है और यदि आवश्यक हो तो सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप तुरंत तैनात किया जा सकता है".
HMPV की पहली बार 2001 में खोज की गई थी और यह रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) के साथ न्यूमोविरिडे परिवार का हिस्सा है. HMPV से जुड़े सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं.