नई दिल्ली
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को विश्व क्षय रोग दिवस से पहले कहा कि टीबी का समय पर पता लगना उपचार के प्रभावी होने के लिए जरूरी है.
विश्व क्षय रोग दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है, ताकि दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके.
मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "प्रभावी उपचार के लिए टीबी के लक्षणों को समय पर पहचानना जरूरी है. अगर आपको कोई लक्षण नजर आए, तो उसे नजरअंदाज न करें - जांच कराएं."
एक इन्फोग्राफिक में मंत्रालय ने फुफ्फुसीय या फेफड़ों की टीबी के कुछ लक्षण भी साझा किए हैं.
इसमें "दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक लगातार खांसी रहना; रात में पसीना आना; सीने में दर्द; सांस लेने में तकलीफ; शाम को बुखार आना; थकान; थूक में खून आना; और वजन कम होना" शामिल हैं.
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में 2015 से 2023 तक टीबी की घटनाओं में उल्लेखनीय 17.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है - यह दर वैश्विक औसत गिरावट 8.3 प्रतिशत से दोगुनी है. आंकड़ों के अनुसार, टीबी से होने वाली मौतें भी 21.4 प्रतिशत घटकर 2015 में प्रति लाख 28 से 2023 में प्रति लाख 22 हो गई हैं. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 28 लाख टीबी के मामले सामने आए हैं, जो 2024 में वैश्विक टीबी बोझ का 26 प्रतिशत है. देश में अनुमानित 3.15 लाख टीबी से संबंधित मौतें भी हुई हैं, जो वैश्विक स्तर पर मौतों का 29 प्रतिशत है.
उल्लेखनीय है कि भारत का लक्ष्य वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 में टीबी को खत्म करना है. लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिसंबर में 24 मार्च तक जारी रहने वाले 100-दिवसीय अभियान की शुरुआत की.
अभियान का लक्ष्य 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 347 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों को चुना गया है. हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि चल रहे 100-दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान में पहले ही पांच लाख टीबी रोगियों का पता लगाया जा चुका है. नड्डा ने कहा कि प्राथमिकता वाले जिलों में 100 दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान, रोकथाम, शीघ्र पहचान, त्वरित उपचार और टीबी से संबंधित मृत्यु दर में कमी लाने की दीर्घकालिक टीबी उन्मूलन रणनीतियों के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ है.