दक्षिण पूर्व एशिया में हर साल मधुमेह से होती हैं 482,000 से अधिक मौत : डब्ल्यूएचओ

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 26-11-2024
Diabetes kills more than 482,000 in Southeast Asia every year: WHO
Diabetes kills more than 482,000 in Southeast Asia every year: WHO

 

कोलंबो
 
दक्षिण-पूर्व एशिया (जिसमें भारत भी शामिल है) में हर साल 4.82 लाख से अधिक लोगों की मौत डायबिटीज से होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए ब्लड शुगर की इस समस्या को रोकने और नियंत्रण के उपाय बढ़ाने की अपील की. 
 
डायबिटीज एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है. इससे अंधापन, किडनी फेल होना, दिल का दौरा, स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
 
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों ने डायबिटीज के इलाज के लिए सेवाओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है.
 
जून 2024 तक, 6 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए तय प्रोटोकॉल पर आ चुके हैं. यह आंकड़ा 2025 तक 10 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.
 
इसके बावजूद कई चुनौतियां बाकी हैं. टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित 2.6 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को इंसुलिन और मॉनिटरिंग की पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पा रही. साथ ही, टाइप-2 डायबिटीज का प्रकोप भी युवाओं में बढ़ रहा है.
 
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक सायमा वाजेद ने कहा, "डायबिटीज के इलाज की समय पर सुविधा उपलब्ध कराना जान बचा सकता है." 
 
उन्होंने सेवाओं को समान, समग्र, सुलभ और किफायती बनाने की बात कही. सायमा वाज़ेद ने बयान कोलंबो, श्रीलंका में "वर्ल्ड डायबिटीज डे 2024" की दो दिवसीय क्षेत्रीय बैठक में दिया.  इस साल की थीम थी: ‘बाधाएं तोड़ें, अंतर भरें.’
 
डायबिटीज की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अधिकारियों ने "कोलंबो कॉल टू एक्शन" अपनाया. इसमें सदस्य देशों से मिलकर काम करने, इनोवेशन लाने, इलाज सुनिश्चित करने और लोगों को जागरूक करने की अपील की गई.
 
डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल डॉ. टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि "डायबिटीज से पीड़ित 80 करोड़ लोगों में से आधे से अधिक को इलाज नहीं मिल रहा." उन्होंने इसे रोकने, सही समय पर पहचानने और बेहतर इलाज के लिए प्रयास तेज करने की जरूरत पर जोर दिया.
 
संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने सुझाव दिया कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मानक इलाज प्रक्रिया, आवश्यक दवाइयां, गुणवत्तापूर्ण जांच उपकरण और कुशल स्वास्थ्यकर्मियों से लैस किया जाए.
 
सायमा वाजेद ने यह भी कहा कि "डायबिटीज को रोकना सरकारों, स्वास्थ्य सेवाओं और समाज की साझा जिम्मेदारी है."