आयुर्वेद सर्वाधिक पुरानी चिकित्सा पद्धति, इसमें छिपा है सेहत का राज: डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-10-2024
Ayurveda is the oldest medical system, the secret of health is hidden in it: Dr. Muhammad Shamim Akhtar
Ayurveda is the oldest medical system, the secret of health is hidden in it: Dr. Muhammad Shamim Akhtar

 

महफूज आलम पटना

आयुर्वेदिक उपचार पद्धति वास्तव में दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है. ईसा पूर्व से लेकर 18वीं शताब्दी तक भारत में आयुर्वेदिक उपचार पद्धतियों से लोग लाभान्वित होते रहे हैं और आयुर्वेद ने स्वास्थ्य के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया है. यह वह विधि है, जिसने सर्जरी का भी आविष्कार किया और प्राकृतिक उपचार से बीमारियों को ठीक किया. ये विचार आयुर्वेद के जाने-माने चिकित्सक डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर ने आवाज-द वॉयस से बात करते हुए व्यक्त किये.

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर के अनुसार, आयुर्वेदिक चिकित्सा एक ऐसी औषधि है, जो रोगी को दुष्प्रभावों से पूरी तरह बचाती है और पूरे विश्व में इसकी अनूठी पहुंच है. कठिनाइयों के बाद भी, उपचार की आयुर्वेदिक पद्धतियां कायम हैं और मानवता की सेवा और उपचार के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

ज्ञात हो कि डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर एक चिकित्सा अधिकारी और बिहार के पश्चिम चंपारण में मझुलिया हेल्थकेयर सेंटर के संस्थापक भी हैं. डॉ. मोहम्मद शमीम अख्तर अपनी पत्नी डॉ. तबासिम जहां, जो यूनानी चिकित्सा की डॉक्टर हैं, के साथ मिलकर उपचार के स्वदेशी तरीकों का विस्तार कर रहे हैं. वे लोगों को उपचार के आयुर्वेदिक तरीकों से जोड़ने के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम भी चलाते हैं.

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर कहते हैं कि सच तो यह है कि इलाज के मामले में आयुर्वेद ने सदियों से लोगों का मार्गदर्शन किया है. ऐसे एक से बढ़कर एक आचार्य हुए हैं, जिन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में महान सेवा की है, लेकिन 18वीं सदी के बाद उपचार की स्वदेशी पद्धतियां, जो भारतीय चिकित्सा की देन हुआ करती थीं, उपेक्षा के कारण हाशिये पर चली गईं. अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी जगह इलाज के आधुनिक तरीकों ने ले ली है. अधिकांश शोध एवं शोध कार्य भी उपचार की आधुनिक पद्धतियों के हिस्से में आये और भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के बीच पली-बढ़ी उपचार की देशी पद्धतियां पीछे छूट गयीं. उन्होंने कहा कि हालांकि आज की सरकारें एक बार फिर आयुर्वेदिक उपचार को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं, जो सराहनीय है. 

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डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि आयुर्वेद उस समय से इस दुनिया में है, जब मनुष्य इस दुनिया में था. सच तो यह है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा ने इलाज के मामले में भारत की बहुत मदद की है. आयुर्वेद ने सदियों से स्वास्थ्य के मामले में लोगों का मार्गदर्शन किया है और आज भी लोगों का एक बड़ा वर्ग आयुर्वेद पर भरोसा करता है. उनके मुताबिक, आयुर्वेद इलाज की एक उत्कृष्ट पद्धति है, जिसका उद्देश्य लोगों की जान बचाना है. वास्तव में, आयुर्वेदिक उपचार न केवल बीमारी को खत्म करने का प्रयास करता है, बल्कि इसका उद्देश्य शरीर को मजबूत बनाना और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करना भी है.

डॉ. अख्तर ने कहा कि आयुर्वेद का पूरा इलाज जड़ी-बूटियों, पेड़-पौधों, पेड़ों की छाल, फूलों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से बनी प्राकृतिक औषधियों से किया जाता है. यह दवा मनुष्यों के लिए काफी अनुकूल है और इसके बहुत कम दुष्प्रभाव हैं.

स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि आचार्य चरक को आयुर्वेदिक उपचार पद्धति का जनक कहा जाता है. आयुर्वेद के इतिहास की किताबों में दर्ज है कि ईसा पूर्व आयुर्वेद में 152प्रकार की सर्जरी होती थी. आज लोग कहते हैं कि आयुर्वेद या देशी चिकित्सा में कोई सर्जरी नहीं होती. उनका कहना है कि समय के साथ इस पर शोध न होने के कारण आयुर्वेद पीछे छूट गया है. यदि शोध बेहतर तरीके से किया गया होता, तो आज आयुर्वेद स्वास्थ्य के मामले में पूरी दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम होता, लेकिन स्थिति इसके विपरीत रही है. इसलिए परिणाम बहुत व्यापक नहीं दिख रहा है.

हर बीमारी को ठीक करने की क्षमता

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि चूंकि आयुर्वेदिक उपचार पद्धति पूरी तरह से प्राकृतिक हर्बल चिकित्सा है. इसलिए इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है और बीमारी ठीक हो जाती है. आयुर्वेद में हर बीमारी को ठीक करने की क्षमता है. यह गठिया दर्द, गठिया, जोड़ों का दर्द, हृदय एवं कैंसर रोग, अस्थमा जैसी बीमारियों का मूल उपचार है. इसके साथ ही बीपी, डायबिटीज यानी मधुमेह को पूरी तरह से खत्म करने के लिए इलाज किया जा रहा है. हालांकि आधुनिक विज्ञान की उपचार पद्धतियों में रोग से बचाव के लिए केवल दवा दी जाती है, रोगी दवा लेता है और ठीक हो जाता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है. आयुर्वेद किसी भी बीमारी को जड़ से ख़त्म करने में विश्वास रखता है और इलाज का सिद्धांत इसी पर निर्भर करता है और यही आयुर्वेद की मुख्य विशेषता है.

कभी आयुर्वेद का साम्राज्य था

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर के अनुसार, आयुर्वेद का एक लाभ यह है कि उपचार की इस पद्धति और इसकी दवाओं से स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है. बिना किसी साइड इफेक्ट के संपूर्ण इलाज उपलब्ध है यानी आयुर्वेद देसी इलाज का सबसे अच्छा जरिया है. डॉ. शमीम का कहना है कि अगर पहले आयुर्वेद पर ठीक से शोध किया गया होता, तो यह दुनिया का सबसे अच्छा इलाज होता, लेकिन सच तो यह है कि उस समय ब्रिटिश शाही सरकार में एलोपैथ पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता था. सरकार का ध्यान आधुनिक उपचार पर केंद्रित रहा और आयुर्वेदिक उपचार पद्धतियों की उपेक्षा की गई और समय के साथ आयुर्वेद में अनुसंधान नहीं हुआ, जिसके कारण सदियों तक उपचार में अपनी बादशाहत रखने वाला आयुर्वेद हाशिये पर चला गया. जबकि यह सर्वविदित तथ्य है कि एलोपैथी तत्काल राहत का साधन है और आयुर्वेद हर बीमारी का जड़ से इलाज करता है. 

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डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि आयुर्वेदिक उपचार का पूरा सिद्धांत मानव शरीर से बीमारी को पूरी तरह से दूर करना और शरीर को पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करना है. आज भी आयुर्वेद अपने स्वास्थ्य सिद्धांत पर पूरी ताकत से काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एक स्वदेशी और भारतीय उपचार पद्धति है, जिस पर अंग्रेजी सरकार ने कभी विचार नहीं किया. उनका कहना है कि यदि आयुर्वेद पर उतना ही ध्यान दिया गया होता जितना आधुनिक चिकित्सा में दिया गया है, तो यह एलोपैथी से कहीं अधिक सफल होता.

आयुर्वेद ने सर्जरी और चिकित्सा का बीड़ा उठाया

डॉ. मोहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि आयुर्वेद इलाज की सबसे संपूर्ण पद्धति है. यहां तक कि सर्जरी और चिकित्सा की शुरुआत भी आयुर्वेद से ही हुई थी, लेकिन इलाज की आधुनिक प्रणाली, जो बहुत बाद में आई, वह आज कहां पहुंच गई है और ईसा पूर्व से चली आ रही प्रणाली पीछे छूट गई है. डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि वर्तमान में हृदय प्रत्यारोपण हो रहा है, किडनी और हड्डी का प्रत्यारोपण हो रहा है, लेकिन आयुर्वेद की इतिहास की किताबों में अविश्वसनीय और असाधारण घटनाएं दर्ज हैं, जो प्राचीन भारत में कई आयुर्वेद चिकित्सकों में से एक थे, वे महान सर्जन थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने एक घोड़े का सिर काट दिया था और उस घोड़े के सिर में उसका सिर चिपका दिया था. इस कहानी पर आज यकीन करना मुश्किल है, लेकिन आयुर्वेद के इतिहास में इसका जिक्र मिलता है. इसका मतलब है कि यह सर्जरी आयुर्वेद में होती थी, लेकिन सरकार की प्राथमिकता नहीं होने के कारण इलाज की आयुर्वेदिक पद्धति पर गंभीरता से काम नहीं हो सका.

उन्होंने कहा कि यदि चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, सर्जिकल उपकरण आदि पर ध्यान दिया गया होता, तो आयुर्वेदिक उपचार आधुनिक उपचार से कहीं आगे होता. डॉ. शमीम अख्तर कहते हैं कि अब चीजें बदल रही हैं और आज की केंद्र और प्रांतीय सरकारें आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही हैं. जिससे लोगों का रुझान भी आयुर्वेद की ओर बढ़ा है. उनका कहना है कि अब नई आयुर्वेद दवा बनाई जा रही है और इसके लिए विनिर्माण इकाइयां भी स्थापित की जा रही हैं और दवाओं का फॉर्मूलेशन भी ठीक से किया जा रहा है. उनका कहना है कि सरकार ने आयुर्वेद को जीवन देने की कोशिश की है, लेकिन इस दिशा में और काम करने की जरूरत है.

वर्तमान आवश्यकताओं पर आयुर्वेद

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि आयुर्वेदिक उपचार पद्धतियों ने निस्संदेह स्वास्थ्य के मामले में सदियों से लोगों का मार्गदर्शन किया है. उपचार की आयुर्वेदिक पद्धतियों का इलाज से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि देशी पद्धतियों की बजाय उपचार की आधुनिक पद्धतियों पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है. उनका कहना है कि वास्तव में उपचार की किसी भी पद्धति में शोध एक बड़ा विषय है. यदि बीमारियों की रोकथाम के लिए निरंतर शोध होता रहे, तो उपचार की कोई भी पद्धति अपने समय की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हो जाती है. प्राचीन काल से ही इसके उपचार के लिए प्रसिद्ध और प्रसिद्ध रहा है. उन्होंने कहा कि लोग यह नहीं भूले हैं कि आयुर्वेद बिना किसी दुष्प्रभाव के मरीज को ठीक करता है और आज भी ठीक कर रहा है. डॉ. शमीम का कहना है कि यह हमारे देश भारत की वह औषधि है, जिसने सैकड़ों वर्षों में लाखों लोगों को नई जिंदगी दी है, लेकिन शोध की कमी और उपेक्षा के कारण इलाज की यह पद्धति आज कुछ कमजोर है. सरकार के स्वदेशी उपचारों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से यह कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में आयुर्वेद फिर से अपना पैर जमाने में सक्षम होगा.

आयुर्वेद लोगों को आकर्षित करने की सफल

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर कहते हैं कि हमने बिहार के पश्चिमी चंपारण में मझुलिया हेल्थ केयर सेंटर की स्थापना कर एक प्रयोग किया और लोगों को इलाज के देशी तरीकों के प्रति प्रोत्साहित करने का अभियान चलाया. जब प्रयास किए जाते हैं, तो लोगों का एक बड़ा वर्ग आयुर्वेद की ओर लौटता है और सफल उपचार से संतुष्ट होता है. उन्होंने कहा कि मैं आयुर्वेदिक डॉक्टर हूं और मेरी पत्नी और भाई यूनानी चिकित्सा के डॉक्टर हैं, इसलिए प्राकृतिक और देशी इलाज का हमारा अनुभव सफल रहा है. उनका कहना है कि आज आयुर्वेदिक उपचार से बड़ी संख्या में मरीज ठीक हो रहे हैं और ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोग आयुर्वेदिक उपचार की ओर रुख कर रहे हैं.

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डॉ. शमीम कहते हैं कि हम आम जनता को आयुर्वेद के प्रति आकर्षित और जागृत करने के लिए स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित करते हैं और उन्हें आयुर्वेद के स्वास्थ्य पर होने वाले लाभ और सकारात्मक प्रभाव बताने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप थोड़े से प्रयास से लोगों में जागरूकता आई है सस्ते और देशी नुस्खों की ओर रुख कर रहे हैं. डॉ. शमीम का कहना है कि आयुर्वेद एक सस्ता इलाज है और दूसरे यह इलाज पद्धति मरीज को स्वस्थ बनाने का जरिया है. उन्होंने कहा कि जिन दवाओं के सेवन से लोग अपना स्वास्थ्य खो देते हैं, हम ऐसे मरीजों को आयुर्वेदिक दवाएं देते हैं और वे मरीज ठीक हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं के नतीजे बेहतर हैं और यही कारण है कि अब बड़ी संख्या में मरीज इस तरफ आ रहे हैं.

थक-हारकर मरीज आयुर्वेद की ओर रुख करते हैं

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास धीरे-धीरे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि लोग खांसी, अस्थमा, जोड़ों का दर्द, बीपी, मधुमेह और पुरानी बीमारियों का इलाज कराकर थक चुके हैं, ऐसे मरीज आयुर्वेदिक उपचार के लिए आते हैं और उन्हें आयुर्वेद से लाभ हो रहा है और वे संतुष्ट हैं उन्होंने कहा कि आज मधुमेह एक आम बीमारी बन गयी है. आयुर्वेद में इसका काफी अच्छा इलाज है, यहां दिखाने वाले मरीजों को राहत मिल रही है. इसलिए यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं, लोगों को सस्ता इलाज मिलता है. आयुर्वेद मरीज को दवा के साथ-साथ आहार भी बताता है और बिना किसी साइड इफेक्ट के उनकी बीमारी को आसानी से ठीक कर देता है.

जन जागरूकता की आवश्यकता

डॉ. मोहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि बड़े पैमाने पर लोगों को आयुर्वेद के प्रति लाने और जागृत करने की जरूरत है. सच तो यह है कि व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. कहा जाता है कि स्वास्थ्य ही धन है. ऐसे में सरकार को आयुर्वेद पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. सार्वजनिक स्तर पर आयुर्वेद से जुड़े लोगों का एक सीमित दायरा जागरूकता अभियान चलाता है. उनका कहना है कि हम खुद अलग-अलग इलाकों में स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं और ग्रामीण इलाकों में जाकर आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करते हैं. इस प्रयास से लोग आयुर्वेद की ओर आकर्षित हो रहे हैं और खा-पीकर, परहेज करके लोग ठीक हो रहे हैं. लोगों को शिक्षित करने और बताने का असर होता है और वे फिर से आयुर्वेदिक उपचार को प्राथमिकता देने लगते हैं, लेकिन यह प्रयास बड़े पैमाने पर करने की जरूरत है. उनका कहना है कि आयुर्वेद को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए सरकार को लगातार काम करने की जरूरत है. दरअसल लोगों को पता नहीं है, अगर लोगों को पता होगा, तो वे इलाज के इस तरीके को प्राथमिकता देंगे.

आयुर्वेद के विकास के लिए इस कार्य की आवश्यकता

डॉ. मुहम्मद शमीम अख्तर का कहना है कि समाज में आयुर्वेद चिकित्सक स्थापित होने चाहिए और इनकी संख्या बढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर अधिक से अधिक कॉलेज खोले जाएं और अधिक से अधिक छात्रों को आयुर्वेद की शिक्षा दी जाए, तो स्थिति बदल जाएगी, इसके अलावा दवाओं का भी निर्माण किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि फिलहाल आयुर्वेद डॉक्टर का पुनर्वास किया जा रहा है, लेकिन दवाओं की आपूर्ति ठीक से नहीं हो रही है. जिसके कारण जहां डॉक्टर हैं, वहां भी आयुर्वेदिक दवाएं नहीं हैं, तो मरीज का इलाज कैसे होगा? उनका कहना है कि अगर इस समस्या का समाधान हो गया, तो लोगों में यह संदेश जाएगा कि आयुर्वेदिक इलाज में डॉक्टर भी है, इलाज भी है, अस्पताल भी है और दवा भी है.