एएमयू खेल वैज्ञानिक का स्प्लिट स्प्रिंट टाइमर देगा स्विस टाइम के दिग्गजों को टक्कर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 17-11-2023
AMU sports scientist's split sprint timer will compete with Swiss time giants
AMU sports scientist's split sprint timer will compete with Swiss time giants

 

इम्तियाज अहमद / गुवाहाटी

एथलेटिक्स की ट्रैक स्पर्धाओं में समय का ध्यान रखना हमेशा से दुनिया भर में बहस का विषय रहा है. एक सेकंड का सौवां अंश भी भारी उथल-पुथल का कारण बन जाता है. भारत की स्प्रिंट क्वीन पीटी उषा उर्फ पय्योली एक्सप्रेस, 1984 में लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ में एक सेकंड के सौवें हिस्से से कांस्य पदक से हार गई थीं, जिससे तत्कालीन एक अरब भारतीयों को काफी निराशा हुई थी.

ओमेगा, टिसोट आदि जैसे स्विस घड़ी ब्रांड दुनिया भर में आधुनिक प्रतिस्पर्धी खेल क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले अग्रणी टाइम कीपर उपकरण रहे हैं. हालाँकि, दशकों से अधिकांश बड़े खेल आयोजनों में स्प्लिट स्प्रिंट टाइमिंग की सटीकता पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं.

लेकिन, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की एक टीम की पहल की बदौलत अब टाइम कीपिंग विवादों के दिन ख़त्म होने वाले हैं. प्रोफेसर एकराम खान, इंजीनियर आनंद अग्रवाल, डॉ. इमरान हुसैन और डॉ. फुजैल अहमद की टीम ने एक नया टाइम कीपिंग डिवाइस डिजाइन किया है, जो एक सेकंड के सौवें हिस्से को पूरी सटीकता के साथ रिकॉर्ड करेगा.

इस आविष्कार ने 4 अक्टूबर, 2023 को बौद्धिक संपदा कार्यालय, नई दिल्ली से ‘स्प्लिट स्प्रिंट टाइमर’ शीर्षक से 456666 नंबर वाला एक पेटेंट प्राप्त किया.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/169937713312_AMU_sports_scientist's_split_sprint_timer_will_compete_with_Swiss_time_giants_1.jpg

स्प्लिट स्प्रिंट टाइमर एक ऐसा उपकरण है, जिसे किसी एथलीट द्वारा पूर्ण सटीकता के साथ स्प्रिंट पूरा करने में लगने वाले समय को मापने के लिए डिजाइन किया गया है. जहां तक स्प्रिंट प्रदर्शन में लक्षित सुधार का सवाल है, इस आविष्कार से न केवल ट्रैक एथलेटिक्स, बल्कि तैराकी, हॉकी, क्रिकेट, फुटबॉल, रग्बी और हैंडबॉल आदि खेलों को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इस नवाचार में विभिन्न खेलों में कोचिंग और प्रदर्शन में क्रांति लाने की क्षमता है.

डिवाइस की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से बताते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा विभाग में प्रोफेसर डॉ. इकराम हुसैन ने कहा कि आविष्कार का उद्देश्य समय-समय पर होने वाले बारहमासी विवाद को दूर करना है.

उन्होंने कहा कि डिवाइस को सक्रियण पर सेट करने में टाइम कीपर के प्रतिक्रिया समय या रिफ्लेक्स समय के बारे में अक्सर टाइम कीपिंग पर सवाल उठाया जाता है. क्योंकि टाइम कीपर दृश्य या श्रव्य संकेतों पर प्रतिक्रिया करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप छोटे बदलाव होते हैं, जो खेल के मामले में भी बहुत मायने रखता है.

हमने जिस उपकरण का मॉडल तैयार किया है, उसे एथलीट स्वयं संचालित करता है. यह स्टार्ट-बटन सक्रियण के आधार पर संचालित होता है. डिवाइस को स्टार्ट पैड पर स्थापित किया गया है और जैसे ही एथलीट अपना हाथ या पैर उठाता है, डिवाइस तुरंत सक्रिय हो जाता है. फिनिश लाइन पर फोटो-फिनिश इन्फ्रारेड किरण तकनीक का उपयोग किया जाता है, जहां किरण अवरुद्ध होने पर डिवाइस निष्क्रिय हो जाता है. एकाधिक फिनिश लाइनें भी लागू की जा सकती हैं.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/169937716612_AMU_sports_scientist's_split_sprint_timer_will_compete_with_Swiss_time_giants_4.jpg

डॉ. हुसैन ने आवाज-द वॉयस को बताया, “यह एक बहु-घटक उपकरण है, जिसमें स्टार्ट/स्टॉप और लैप फंक्शन के साथ एक स्टॉपवॉच और एक डिजिटल डिस्प्ले शामिल हैं, जो लगने वाले समय और पूर्ण किए गए लैप्स की संख्या बताता है.

एथलीटों को तत्काल प्रतिक्रिया मिल सकती है. यह उपकरण विभिन्न खेलों के लिए अनुकूल है और एथलीटों को प्रदर्शन बढ़ाने और प्रगति की स्वयं निगरानी करने में मदद कर सकता है.”

डॉ. हुसैन असम के दरांग जिले के डुमुनीचौकी के रहने वाले हैं और सैनिक स्कूल, गोलपारा के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने अपनी विश्वविद्यालयी शिक्षा लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान, ग्वालियर से प्राप्त की.

उन्होंने कहा कि यह नवोन्मेषी उपकरण 500 से 700 रुपये की न्यूनतम कीमत पर आएगा और यह हल्का और आसानी से पोर्टेबल है. डॉ. हुसैन ने कहा, ‘‘इससे विभिन्न खेलों के हजारों कोचों और एथलीटों को फायदा हो सकता है.’’

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/169937718612_AMU_sports_scientist's_split_sprint_timer_will_compete_with_Swiss_time_giants_3.jpg

यह पूछे जाने पर कि क्या कोई निर्माता इस बहुमुखी उपकरण का व्यावसायिक उत्पादन करने के लिए आगे आया है, डॉ. हुसैन ने कहारू, “यह कहना जल्दबाजी होगी. हमें एक महीने पहले ही पेटेंट दिया गया था.”

इस परियोजना में उनके सहयोगी आनंद अग्रवाल भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रस्तावित उपग्रह प्रक्षेपण में शामिल हैं. एएमयू से 1990 से जुड़े डॉ हुसैन ने बताया, “वह हमारे विश्वविद्यालय के रोबो क्लब के सदस्य हैं, जो हमारे विश्वविद्यालय के प्रस्तावित उपग्रह प्रक्षेपण में शामिल है. उन्होंने डिवाइस के यांत्रिक पहलुओं में हमारी मदद की.”