आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
दिलीप कुमार साहब अभिनय के क्षेत्र के बादशाह थे, और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहित्य के सम्राट.जब इन दोनों महान व्यक्तित्वों का मिलन हुआ, तो उनके बीच का एक दिलचस्प किस्सा छूट गया, जो आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है.यह किस्सा उस वक्त का है जब फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ हिंदुस्तान आने वाले थे, और उनकी दिलीप कुमार से मुलाकात होने वाली थी.
फ़ैज़ साहब के नाती इस घटना को कुछ इस तरह बताते हैं:फ़ैज़ साहब की बेग़म दिलीप कुमार की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं.जब फ़ैज़ साहब हिंदुस्तान जाने वाले थे, तो उन्होंने अपनी बेग़म से पूछा कि क्या वह वहां से कोई तोहफ़ा चाहती हैं.इस पर उनकी बेग़म ने पूछा, "क्या आप दिलीप कुमार से मिलेंगे?" फ़ैज़ साहब ने जवाब दिया, "शायद."
तब उनकी बेग़म ने कहा, "क्या आप मुझे उनका ऑटोग्राफ़ ले लाएंगे अगर वह मिलें?" फ़ैज़ साहब ने कहा, "अगर मुलाकात हुई और मुझे याद रहा, तो ले आउंगा उनका ऑटोग्राफ़ आपके लिए."कुछ दिन बाद जब फ़ैज़ साहब वापस लौटे, तो उनकी बेग़म ने पूछा, "क्या आप जहां गए थे, वहां दिलीप कुमार साहब थे?" फ़ैज़ साहब ने कहा, "जी, थे."बेग़म ने फिर पूछा, "आपको याद था न कि मैंने कहा था कि उनका ऑटोग्राफ़ ले आइए?" जब फ़ैज़ साहब ने कहा कि उन्हें याद था, तो बेग़म ने पूछा, "क्या आपने उनका ऑटोग्राफ़ लिया?"
फ़ैज़ साहब ने कहा, "नहीं, मैंने उनका ऑटोग्राफ़ नहीं लिया."बेग़म ने हैरान होकर पूछा, "क्यों?" तो फ़ैज़ साहब ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "अरे भाई! वह खुद हमारा ऑटोग्राफ़ मांग रहे थे, तो हम कैसे उनसे उनका ऑटोग्राफ़ मांग सकते थे!"यह किस्सा फ़ैज़ साहब के विनम्र स्वभाव और दिलीप कुमार के प्रति उनके आदर को भी दर्शाता है, और यह यादगार पल आज भी उनके फैंस के बीच जिंदा है.