जब उर्दू डायलॉग बोलने पर अमिताभ बच्चन को 200 लोगों के सामने डांट पड़ी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-01-2025
When Amitabh Bachchan was scolded in front of 200 people for speaking Urdu dialogue
When Amitabh Bachchan was scolded in front of 200 people for speaking Urdu dialogue

 

यूसुफ तहमी / दिल्ली

आप में से कई लोगों ने बॉलीवुड शहंशाह कहे जाने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन की आवाज में गाने सुने होंगे.उनके पिता हरिवंश राय बच्चन की लिखी मशहूर कविता 'मधुशाला' भी उनकी आवाज में सुनाई देती है.आपने साहिर की नज्म 'कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है' तो जरूर सुनी होगी.आप में से कई लोगों को उनके कई डायलॉग भी याद होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अभिनेता एक गीतकार भी है.

पिछले साल जब उनके लिखे एक गाने  की चर्चा हो रही थी तो उन्होंने कहा था कि उन्होंने करीब 40साल पहले एक गाने के बोल दिए थे जो काफी लोकप्रिय हुआ था.यह गाना उनकी मशहूर फिल्म 'कालिया' में शामिल है और इसके बोल इस प्रकार हैं: 'जहाँ तेरी ये नजर है मेरी जा मुझ को खबर है.'

आज हम अमिताभ बच्चन के इस टैलेंट के बारे में नहीं बल्कि आज से 43 साल पहले 1981 में क्रिसमस के मौके पर रिलीज हुई फिल्म 'कालिया' के बारे में बात करने जा रहे हैं.यह  एक भुलक्कड़ युवा की कहानी है और इसमें ऐसा कुछ खास नहीं है जो फिल्म को हिट बनाता.

amit

लेकिन यह उस समय सामने आई जब अमिताभ बच्चन का सितारा बुलंदियों पर था और उनकी फिल्में बन रही थीं.उन्होंने पूर्व सुपरस्टार राजेश खन्ना के कद को भी पीछे छोड़ दिया.इस फिल्म को कई वजहों से याद किया जाता है.

पहला ये कि अमिताभ बच्चन इस फिल्म के लिए तैयार नहीं थे,जबकि ये फिल्म निर्माता और निर्देशक टीनू आनंद की पहली फिल्म थी. और टीनू आनंद के अनुसार, उनके पिता इंदर राज आनंद ने उनकी स्क्रिप्ट पर संवाद लिखे.

इस साल की शुरुआत में लहरिन पॉडकास्ट से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि उनके पिता अपने संवादों को लेकर बहुत सख्त थे और दिलीप कुमार सहित किसी भी अभिनेता को अपनी लिखी हुई किसी भी चीज़ को दोहराने की अनुमति नहीं देते थे.

कालिया के डायलॉग भी उनके पिता ने ही लिखे थे. टीनू ने बताया कि जब अमिताभ उस दिन सेट पर आए तो उनका मूड ठीक नहीं था.जैसे ही टीनू ने उन्हें वह दृश्य सुनाया, जिसमें प्राण और परवीन बाबी भी थे, बच्चन ने स्पष्ट रूप से कहा, 'मैं यह संवाद नहीं कहने जा रहा हूं.'

टीनू ने जब इसका कारण पूछा तो अमिताभ ने साफ जवाब दिया. इस समय टीनू सेट से बाहर चले गए और उन्होंने मन बना लिया कि वह फिल्म छोड़ने के लिए तैयार हैं और निर्माता इसके लिए किसी अन्य निर्देशक को काम पर रख सकते हैं.

दरअसल, फिल्म में जेलर प्राण और कालिया अमिताभ बच्चन के बीच कई यादगार डायलॉग हैं, जिन पर हॉल सीटियों से गूंज उठता है और कई डायलॉग उर्दू भाषा में हैं.रिहर्सल के दौरान अमिताभ बच्चन को यह खास उर्दू डायलॉग बोलने में काफी परेशानी हो रही थी, इसलिए उन्होंने इसे करने से मना कर दिया और नौबत ऐसी आ गई कि या तो टीनू आनंद ने फिल्म छोड़ देते या फिर अमिताभ बच्चन.

जब अमिताभ ने साफ मना कर दिया तो टीनू आनंद ने अपने पिता से कहा कि वे अमिताभ बच्चन को यह बात बताएं कि यह संवाद ध्यान में रखकर लिखा गया और चूंकि अमिताभ बच्चन का समय गांधी परिवार के बहुत करीब था इसलिए वह भावुक हो गए और संवाद के लिए तैयार हो गए.

इस डायलॉग की शूटिंग के दौरान अमिताभ को परेशानी हो रही थी तभी अचानक राजानंद वहां पहुंच गए और 200लोगों के सामने अमिताभ की परफॉर्मेंस पर अफसोस जताते हुए कहा, 'यह डायलॉग उर्दू में है और आपको इसे सुनना होगा.' पूरी ताकत और ऊर्जा के साथ. आपको हरिवंश राय बच्चन के बेटे होने पर शर्म आनी चाहिए कि आप यह भाषा नहीं जानते.'

amit

ऐसी बात सुनकर सुपरस्टार अवाक रह गए. अमिताभ बच्चन ने दस मिनट का समय मांगा और सेट से चले गए. टीनू आनंद को डर लगने लगा कि कहीं अमिताभ फिल्म न छोड़ दें, लेकिन राज आनंद आशावादी थे.उन्होंने कहा, 'वह हरिवंश राय बच्चन के बेटे हैं, भागेंगे नहीं.'

हालांकि, थोड़ी देर बाद अमिताभ वापस आए और एक ही टेक में वह डायलॉग बोल दिया जिसके लिए उन्हें कुछ देर पहले डांट पड़ी थी.राज आनंद इतने खुश हुए कि उन्होंने अमिताभ को गले लगा लिया.इस सीन में प्राण परवीन बॉबी और अमिताभ से बात करते हुए कहते हैं, 'जब लोग सफलता के घोड़े पर सवार होकर सुनहरी राह पर दौड़ते हैं तो भूल जाते हैं कि रास्ता जेल की कोठरी में जाकर खत्म होता है.'

इसके जवाब में अमिताभ कहते हैं, 'जन्म के कष्टों में क्या मजा, जब जवानी में मौत न आए, जनाजे पर उठने में क्या मजा, जब हर गम पर मातम न हो.'इस जवाब पर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठता है और यही फिल्म कालिया की सफलता का कारण भी है, जो कुछ समीक्षकों के मुताबिक सिर्फ अमिताभ की वजह से हिट हुई. वरना ये तो वही पुरानी कहानी है और अमिताभ के मुताबिक, ' 'सबसे कठिन कार्यों में से एक है किसी बेवकूफी भरी बात को इस तरह प्रस्तुत करना कि वह विश्वसनीय लगे.'