मशहूर रेडियो जॉकी मीर अफ़सर अली ने ऐसे बनाई अपनी पहचान

Story by  जयनारायण प्रसाद | Published by  [email protected] | Date 14-08-2024
This is how famous radio jockey Mir Afsar Ali made his mark
This is how famous radio jockey Mir Afsar Ali made his mark

 

जयनारायण प्रसाद/ कोलकाता

मशहूर रेडियो जॉकी मीर अफ़सर अली को कोलकाता और बंगाल के बाहर के लोग अब अच्छी तरह जानने लगे हैं.महानगर कोलकाता में किसी भी शख्स से उनका चेहरा दिखाकर पूछिए, लोग झट से बता देंगे 'यह तो मशहूर रेडियो जॉकी (आरजे) मीर है.'

कोलकाता में लोग उन्हें 'मीर' के नाम से पहचानते हैं.पांच फीट छह इंच के मीर अफ़सर अली के भीतर कोई एक प्रतिभा नहीं.वह रेडियो जॉकी, टीवी एंकर, सिंगर,   कॉमेडियन, एक्टर से लेकर समय-समय पर मीडिया पर्सनॉलिटी तक की भूमिका निभाते रहे हैं.

meer

पहचान 'ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' के बाद बनी

वर्ष 2004 में 'ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' में आए मीर अफ़सर अली को बादमें देशभर के लोग जानने-पहचानने लगे.हालांकि, इस 'लाफ्टर चैलेंज रियलिटी शो' में मीर फाइनल तक नहीं पहुंच पाए थे.किस्मत खराब थीं.वह सातवें पायदान पर पहुंच कर आउट हो गएथे.इस रियलिटी शो में राजू श्रीवास्तव (अब दिवंगत) भी थे.

मीर बताते हैं, 'राजू श्रीवास्तव से यह मेरी पहली मुलाकात थीं.फिर जो घनिष्ठता बढ़ी, ह उनकी मृत्यु तक बनी रही.' वह आगे कहते हैं, 'एक हंसमुख और निष्छल चेहरा हमारे बीच से इतनी जल्दी चला जाएगा, कभी सोचा भी नहीं था.'

बंगाल के मुर्शिदाबाद में मीर अफ़सर अली की पैदाइश

मीर अफ़सर अली की पैदाइश पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिला स्थित अज़ीमगंज में 13 फरवरी, 1975 कोहुई .अभी मीर की उम्र 49 साल है.बाद में परवरिश महानगर कलकत्ता में हुई.तब इसका नामकरण 'कोलकाता' नहीं हुआ था.

यहां के पार्क स्ट्रीट स्थित एसेंबली ऑफ गॉड चर्च स्कूल में शुरुआती शिक्षा हुई.फिर, माध्यमिक किया.उसके बाद कलकत्ता के उमेशचंद्र कॉलेज से ग्रेजुएट किया.कहते हैं,कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही मीर अफ़सर अली स्टेज पर एंकरिंग करने लग गए थे.

with father

पिता सुल्तान अहमद इंटीरियर डिजाइनिंग की एक कंपनी में थे

मीर अफ़सर अली के पिता सुल्तान अहमद इंटीरियर डिजाइनिंग की एक कंपनी में मैनेजर थे, सो मीर अफ़सर अली की परवरिश में कोई किस्म की कोताही नहीं थीं.वह पढ़ाई में भी ठीक-ठाक थे.

अम्मा घर संभालती थीं.इस तरह मीर के आगे की राह आसान होती गई.शुरू-शुरू में मीर न्यूज पढ़ते थे. फिर, टेलीविजन एंकर बने,रेडियो जॉकी (आरजे) ने मंजिल को आसान बना दिया.बंगाल और कोलकाता के घर-घर में लोग पहचानने लगे.

'रेडियो मिर्ची' के साथ मीर ने सबसे लंबी पारी खेली,कहते हैं,कोई 27 साल तक इसमें रहे.'रेडियो मिर्ची' में मीर एक प्रोग्राम करते थे, जिसका नाम था 'संडे सस्पेंस'.इस प्रोग्राम ‌से मीर की हैसियत काफी बढ़ गई.

एक जुलाई, 2022 को मीर ने रेडियो मिर्ची को बॉय-बॉय कर दिया.कहते हैं,एक दौर में बांग्ला जुबान में एक न्यूज़ प्रोग्राम भी आता था 'खास खबर'.यह बांग्ला और बाद में हिंदी में भी आया.उसमें बांग्ला भाषा में मीर अफ़सर अली ने सबसे पहले अपनी चमक दिखाई.न्यूज़ पढ़ने का मीर का अंदाज उसमें सबसे अलग था.

मीर अफ़सर अली ने बांग्ला टेलीविजन पर 'मीरक्कल' नाम का भी एक शो किया, जो काफी लोकप्रिय रहा.वह 'कपिल शर्मा शो' में एक बांग्ला फिल्म 'कोलकाताए कोलंबस' के प्रचार (प्रमोशन) के सिलसिले में आ आ चुके है.

wiyh r madhwan

बांग्ला फिल्मों में मीर ने अभिनय भी किया

पैंसठ किलो वजन वाले मीर अफ़सर अली ने अब तक 20बांग्ला फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाया है.एकदम शुरू में सिनेमा में जूनियर आर्टिस्ट के बतौर मीर ने आठ-दस साल गुजारे.फिर, वर्ष 2006 में पहली बड़ी बांग्ला फिल्म मिली, निर्देशक अंजन दत्त का था, जिसका नाम था 'बोंग कनेक्शन.'

उसके बादनिर्देशक कमलेश्वर मुखर्जी की बांग्ला फिल्म 'नटवर नाटआउट' (2010) मिली. फिर आई एक और बांग्ला फिल्म 'चैपलिन' (2011). इस तरह धीरे-धीरे मीर ने अपनी पहचान बांग्ला सिनेमा में भी बनाईं.

बहुत कम लोगों को मालूम है मीर ने बांग्ला भाषा की फिल्मों के अलावा तमिल और मलयालम फिल्मों में भी दूसरों के लिए आवाज़ (डब्ड वॉयस) दी है.बहुत पहले हिंदी फिल्मों के अभिनेता आदित्य पंचोली ने बांग्ला जुबान में एक फिल्म की थी, जिसका नाम था 'इडियट'.इस फिल्म में आदित्य पंचोली जो बांग्ला बोलते हैं, वह दरअसल मीर अफ़सर अली की आवाज़ थीं.

इसी तरह वर्ष 2016 की मलयालम भाषा की फिल्म में मीर की आवाज़ है, जिसका किरदार कोई बंगाली था.वर्ष 2018 की एक तमिल फिल्म में भी मीर की आवाज़ ली गई थीं.उसने मराठी के मशहूर अभिनेता सायाजी शिंदे के लिए भी अपनी आवाज़ दी है.इस तरह मीर अफ़सर अली ने चार फिल्में 'डब्ड वॉयस' में किया है.

meer

मीर अफ़सर अली की प्रिय फिल्म 'कयामत से कयामत'

आरजे मीर अफ़सर अली की बेहद प्रिय फिल्म है आमिर खान अभिनीत हिंदी फिल्म 'कयामत से कयामत' तक.कहते हैं,मंसूर खान निर्देशित 'कयामत से कयामत' तक में  आमिर खान के अभिनय से मीर इतना प्रभावित हुए कि इस फिल्म को कई बार देखा.

29 अप्रैल, 1988 को रिलीज हुई 'कयामत से कयामत' तक में आमिर खान के अलावा जूही चावला और दलीप ताहिल ने भी खास भूमिका निभाई थीं.

बिरियानी है मीर अफ़सर अली का प्रिय भोजन

वैसे तो रेडियो जॉकी मीर अफ़सर अली को कई किस्म के खाद्य पसंद है, लेकिन बिरियानी सबसे पसंदीदा खाद्य है.वह जहां जाते हैं, सबसे पहले बिरियानी खोजते हैं.वह कहते हैं, 'बिरियानी का स्वाद ही सबसे अलग है.

मिल जाए, तो दिल भर जाता है.कुछ और खाने की जरूरत ही नहीं.' वह आगे कहते हैं, 'कोलकाता की बिरियानी का स्वाद सबसे अलग है.उसकी महक सबसे पहले टानती है.'

मीर अफ़सर अली के प्रिय अभिनेता अमिताभ बच्चन

रेडियो जॉकी मीर अफ़सर अली के प्रिय अभिनेताओं की फेहरिस्त बनाई जाए, तो अमिताभ बच्चन का नाम सबसे ऊपर है.वह कहते हैं, 'अमिताभ की बात ही निराली है.सदियों में ऐसा किरदार आता है.' मीर की प्रिय किताब हंटर डेविस लिखित 'द बीटल्स' है और प्रिय गीत है बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय लिखित 'बंदे मातरम्.'

with wief

मीर अफ़सर अली की पत्नी सोमा भट्टाचार्य हैं डॉक्टर

बहुत कम लोगों को पता है रेडियो जॉकी मीर अफ़सर अली की पत्नी सोमा भट्टाचार्य पेशे से डॉक्टर है.16 मई, 1997 को विवाह-बंधन‌ में बंधे मीर अफ़सर अली को एक बेटी है, जिसका नाम है 'मुस्कान.'