सुनील दत्त और नरगिस: बॉलीवुड की अमर प्रेम गाथा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-06-2024
Sunil Dutt and Nargis: Bollywood's immortal love story
Sunil Dutt and Nargis: Bollywood's immortal love story

 

 अली अब्बास

यह 2015 की बॉलीवुड फिल्म 'वेटिंग' का सीन नहीं है जिसमें अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अहम भूमिका निभाई थी जिनकी पत्नी कई महीनों से कोमा में हैं लेकिन उनके ठीक होने का इंतजार कर रही हैं.यह करिश्माई प्रेम की सच्ची कहानी है. एक बॉलीवुड जोड़े की कहानी है जो न केवल अपने अभिनय के लिए बल्कि एक-दूसरे के प्यार  के लिए भी याद किए जाते हैं.

ये सीन है अमेरिका के एक अस्पताल का जहां बॉलीवुड की बेताज एक्ट्रेस नरगिस दत्त का इलाज चल रहा है. वह चार महीने से कोमा में हैं, लेकिन  सुनील दत्त डॉक्टरों के बार-बार अनुरोध के बावजूद नरगिस दत्त का वेंटिलेटर हटाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं. नरगिस ठीक हो गईं और दोनों भारत लौट आए.

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता सुनील दत्त और नरगिस दत्त की प्रेम कहानी ऐसे शुरू हुई मानो उनकी प्रेम कहानी सितारों में लिखी गई हो.यह वर्ष 1956 के अंत की बात है. बॉलीवुड की यादगार फिल्म 'मदर इंडिया' की शूटिंग चल रही थी. तभी सेट पर अचानक आग लग गई. फिल्म में मशहूर एक्ट्रेस नरगिस मुख्य भूमिका निभा रही थीं.

उस समय झेलम के एक खूबसूरत युवा अभिनेता सुनील दत्त ने आग में कूदकर नरगिस को ऐसे बचाया कि वह उनके असल जिंदगी के हीरो बन गए. उनके दिल में प्यार की ऐसी लौ जलाई कि दोनों अभिनेताओं ने शादी कर ली.

 फिल्म की रिलीज के एक साल बाद 11 मार्च, 1958 को उन्होंने शादी कर ली और मृत्यु के कारण अलग हो गए.बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता सुनील दत्त का जन्म 1929 में झेलम के बाहरी इलाके के गांव निक्का खुर्द में हुआ था.

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बंटवारे के वक्त जब पंजाब में दंगे भड़के तो अभिनेता के दिवंगत पिता के मुस्लिम दोस्त याकूब ने दोस्ती का फर्ज निभाया. पूरे दत्त परिवार को सुरक्षित पूर्वी पंजाब ले गए. इस बात का जिक्र एक्टर ने अपने एक इंटरव्यू में भी किया था.

दशकों बाद जब सुनील दत्त पाकिस्तान स्थित अपने पैतृक गांव लौटे तो लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. उनके आगमन पर झेलम और नवाह में बड़े-बड़े बैनर लगाए गए. अभिनेता ने प्रमुख वेबसाइट 'Rediff.com' को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'विभिन्न टेलीविजन चैनलों के लोग मौजूद थे.

जब मैंने गाँव वालों से पूछा कि वे मेरे प्रति इतना स्नेह क्यों दिखा रहे हैं, तो उन्होंने उत्तर दिया कि यह उनके कारण नहीं, बल्कि उनके बुजुर्गों के कारण है जो यहाँ रहते थे. उनका बहुत सम्मान करते थे. वे अच्छे लोग थे. हमारे धर्म का सम्मान करते थे. जब वे दरगाह के पास पहुंचे, तो वे सम्मानपूर्वक अपने घोड़ों से उतरे और पैदल यात्रा की. उन्होंने हमें बहुत सम्मान दिया है तो हम उनका सम्मान क्यों न करें?'

अभिनेता सुनील दत्त 1953 में रेडियो सैलून में काम कर रहे थे, जब उनकी मुलाकात निर्देशक रमेश सहगल से हुई, जो उनकी आवाज़ के बदलाव और मर्दाना पौरुष से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके.उन्होंने अपनी फिल्म 'रेलवे प्लेटफॉर्म' में लीड रोल के लिए एक्टर को कास्ट किया.

सुनील उनका दिया हुआ नाम भी है. अभिनेता का नाम बलराज था और उन दिनों चूंकि बलराज साहनी भी बॉलीवुड में सक्रिय थे, इसलिए अभिनेता को अपना नया नाम और इस तरह एक नई पहचान मिली. यह वह समय था जब नरगिस को बॉलीवुड की अग्रणी अभिनेत्रियों में से एक माना जाता था.

उनकी मां जदानबाई हुसैन एक प्रसिद्ध गायिका और बॉलीवुड की शुरुआती महिला संगीतकारों में से एक थीं.वैसे तो नरगिस ने अपनी कलात्मक यात्रा की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में वर्ष 1935 में फिल्म 'तलाश-ए-इश्क' से की थी, लेकिन उन्होंने वर्ष 1943 में प्रदर्शित फिल्म 'तकदीर' में मुख्य भूमिका निभाई.

निर्देशक मेहबूब खान की फिल्म 'अंदाज' ने नरगिस को एक नई पहचान दी. वहीं राज कपूर की फिल्म 'आवारा' नरगिस दत्त के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसके बाद उन्होंने 'श्री 420' और 'चोरी चोरी' जैसी सफल फिल्मों में काम किया. जब अभिनेता राज कपूर के साथ उनके रोमांस की सैकड़ों अफवाहें थीं.

राज कपूर पहले से ही शादीशुदा थे, लेकिन नरगिस को उनसे प्यार हो गया था. वह उनकी दूसरी पत्नी बनने के लिए तैयार थीं. वह राज कपूर प्रोडक्शंस के बैनर तले बनने वाली हर फिल्म में काम करने के लिए तैयार थीं, लेकिन यह एकतरफा प्यार ज्यादा समय तक नहीं चल सका.

एक्ट्रेस डिप्रेशन का शिकार हो गईं . 'मदर इंडिया' की शूटिंग के दौरान जब सेट पर आग लग गई तो सुनील दत्त ने हीरो की तरह अपनी जान की परवाह किए बिना नरगिस की जान बचाई.सुनील दत्त खुद आग से जल गये थे. कई दिनों से भयंकर बुखार से पीड़ित थे. इस बीच नरगिस ने दिन-रात उनका ख्याल रखा . इस तरह वे एक-दूसरे के करीब आए.

यह बताना दिलचस्प है कि दोनों के बीच उम्र का अंतर केवल पांच दिन था. अभिनेत्री नरगिस का जन्म 1 जून 1929 को हुआ था. यह भी  संयोग है कि नरगिस के पिता मोहन बाबू रावलपिंडी के एक कुलीन परिवार से थे, इसलिए उनकी पृष्ठभूमि भी पंजाबी थी.

 'मदर इंडिया' बॉलीवुड की कुछ यादगार फिल्मों में से एक है . मुख्यधारा से बाहर किसी महिला किरदार को पेश करने वाली पहली फिल्म थी. यह फिल्म सोवियत संघ से लेकर लैटिन अमेरिका तक प्रदर्शित की गई.
नरगिस दत्त ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता, जबकि फिल्म को विदेशी भाषा के ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया.

शादी के बाद भी नरगिस फिल्मों में आती रहीं. उस दौर की उनकी यादगार फिल्मों में 'रात और दिन' है जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.सुनील दत्त न सिर्फ असल जिंदगी में हीरो थे, बल्कि वह बड़े पर्दे पर भी खुद को 'हीरो' साबित करने में कामयाब रहे. 'साधना',  'गुमराह'  जैसी हिट फिल्मों में नजर आए.

'वक्त', 'खानदान', 'मेरा साया',  'आराधना' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के साथ उनकी सफलता का सफर जारी रहा.यही वह समय था जब बॉलीवुड के इतिहास में पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का जादू चमकने लगा. सुनील दत्त समेत कई कलाकार नेपथ्य में चले गए, लेकिन सुपरहिट फिल्म 'हीरा' के जरिए उन्होंने वापसी की .

अपनी पहचान बनाई. यह सफ़र अस्सी के दशक के अंत तक जारी रहा जिसके बाद वह एक चरित्र अभिनेता के रूप में नज़र आने लगे.सुनील दत्त ने अपने बेटे संजय दत्त को लॉन्च करने के लिए 1981 में फिल्म 'रॉकी' का निर्माण किया जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रही, लेकिन फिल्म की रिलीज से तीन दिन पहले नरगिस की मृत्यु हो गई. उनके बेटे का फिल्मी करियर आगे नहीं बढ़ सका.

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सुनील दत्त के लगभग पांच दशक लंबे करियर का अंत 2003 की फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में हुआ, जिसमें उनके बेटे संजय दत्त मुख्य भूमिका में थे. इस फिल्म के तुरंत बाद मई 2005 में अभिनेता का निधन हो गया.

उन्होंने सफल पारी खेली. वह राजनीति में सफल होने वाले पहले बॉलीवुड अभिनेताओं में से एक थे. प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट का हिस्सा थे.बात उन दिनों की है जब नरगिस कोमा में थीं और उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी.

सुनील दत्त के कई दोस्तों ने उनसे कहा कि जब कोई व्यक्ति कोमा में होता है और आप उससे बात करते हैं तो वह समझ जाता है कि आप क्या कह रहे हैं. इसलिए उन्होंने नरगिस से घंटों बात की और आखिरकार वह कोमा से बाहर आ गईं.

सुनील दत्त ने ' इंडियन एक्सप्रेस ' से बात करते हुए कहा कि 'मैं उनसे घंटों बात करता था. उनसे भारत के बारे में बात करता था. कैसे लोग उन्हें मैसेज करके उनकी सेहत के बारे में पूछते थे . टेलीग्राम भेजते थे कि आपके बच्चे आपको कैसे याद करते हैं . मैं बात करता था, लेकिन पता नहीं कैसे लेकिन वह फिर से जीवित हो गई. मेरी ओर देखकर मुस्कुरा दी.

मशहूर अभिनेत्री सैमी ग्रेवाल ने नरगिस के ठीक होने के बाद भारत लौटने पर उनसे हुई बातचीत के बारे में बात की. नरगिस जी ने कहा, 'मैंने अपनी आंखें खोलीं और अपनी पति को प्रार्थना करते हुए देखा. सैमी मैं बहुत भाग्यशाली हूं. क्या मैं भाग्यशाली नहीं हूं?'नर्गिस ही नहीं बल्कि सुनील दत्त भी भाग्यशाली थे कि उन्होंने जिसे चाहा, आखिरी सांस तक दोनों ऐसे साथ रहे कि अमर हो गए.

साभार उर्दू न्यूज