यूसुफ तहमी / दिल्ली
सिनेमा हो या खेल, हर जगह प्रतिस्पर्धा और तुलना अपरिहार्य होती है. फुटबॉल में जहां लियोनेल मेस्सी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बीच हमेशा एक मुकाबला बना रहता है, वहीं क्रिकेट में विराट कोहली और बाबर आज़म की तुलना लगातार की जाती है. इसी तरह, भारतीय सिनेमा के प्रशंसकों ने भी हमेशा अभिनेताओं के बीच तुलना की है.
बॉलीवुड के स्वर्ण युग में दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर जैसे दिग्गज सितारों के बीच मुकाबला हुआ करता था. समय बीतने के साथ यह प्रतिस्पर्धा अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और राजेश खन्ना तक आ गई. आजकल के दौर में शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान और अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं के बीच तुलना होती है. हर दौर का अपना एक महान अभिनेता होता है, जिसे दर्शक दिल से मान्यता देते हैं.
इसी संदर्भ में हाल ही में मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक सुभाष घई ने एक खास बातचीत में अभिनेताओं के अलग-अलग स्तरों की व्याख्या की. सुभाष घई, जिन्होंने क़रज़, हीरो, विधाता, खलनायक, राम लखन और कर्मा जैसी यादगार फिल्में दी हैं, ने बताया कि अभिनय की गुणवत्ता को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जा सकता है. उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर अभिनेताओं को पांच अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया.
1. नॉन-एक्टर (Non-Actor)
सुभाष घई के अनुसार, पहले प्रकार के अभिनेता वे होते हैं जिन्हें अभिनय की समझ नहीं होती और जिनका अभिनय पूरी तरह से असफल होता है. इस श्रेणी में उन्होंने अपनी फिल्म सौदागर के अभिनेता विवेक मुशरान का उदाहरण दिया.
उन्होंने बताया कि विवेक मुशरान के सामने जब अनुभवी अभिनेता राजकुमार होते थे, तो राजकुमार कहते थे, "यार ये क्या कर रहा है?" उनका अभिनय इतना बुरा था कि वह अपने डायलॉग्स को भी सही तरीके से नहीं बोल पाते थे. इस श्रेणी में ऐसे कलाकार आते हैं जो न सिर्फ निर्देशक के लिए सिरदर्द साबित होते हैं, बल्कि फिल्म की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं.
2. बुरा अभिनेता (Bad Actor)
इस श्रेणी में सुभाष घई ने जैकी श्रॉफ का नाम लिया, जिन्हें उन्होंने अपनी फिल्म हीरो से लॉन्च किया था. हालांकि जैकी श्रॉफ एक प्रसिद्ध अभिनेता बन गए, लेकिन घई का मानना है कि वे प्रारंभ में बहुत अच्छे अभिनेता नहीं थे. उन्होंने बताया कि जैकी श्रॉफ का अभिनय कमजोर था, लेकिन उनका चेहरा और व्यक्तित्व स्क्रीन पर आकर्षक था.
इसीलिए उन्हें फिल्मों में लिया गया, और घई ने उम्मीद जताई कि जैकी धीरे-धीरे अभिनय सीख जाएंगे. घई का मानना है कि बुरा अभिनेता मेहनत के जरिए सुधार कर सकता है, लेकिन शुरुआत में उसका काम उतना प्रभावी नहीं होता.
3. अभिनेता (Actor)
तीसरी श्रेणी है अभिनेता, जिसमें सुभाष घई ने अनिल कपूर का नाम लिया. उन्होंने कहा कि अनिल कपूर एक समर्पित अभिनेता हैं, जो निर्देशक की हर मांग को पूरा करते हैं. अगर उनके अभिनय में कोई कमी दिखाई देती है, तो इसके लिए निर्देशक जिम्मेदार होता है, क्योंकि उन्होंने कलाकार से सही तरीके से काम नहीं कराया.घई ने बताया कि अनिल कपूर की एक्टिंग में सुधार करने की क्षमता बहुत मजबूत है और उन्होंने उनके साथ मेरी जंग, कर्मा और राम लखन जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया है.
4. अच्छा अभिनेता (Good Actor)
चौथी श्रेणी में अच्छा अभिनेता आता है, जो किसी भी स्थिति को समझकर उसे बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारता है. इस श्रेणी में सुभाष घई ने शाहरुख खान का नाम लिया, जिन्होंने उनकी फिल्म परदेस में शानदार अभिनय किया.
उन्होंने बताया कि कई मौकों पर शाहरुख ने अपने अंदाज से साधारण डायलॉग्स और सीन को भी ऊंचे स्तर पर पहुंचाया. सुभाष घई का मानना है कि एक अच्छा अभिनेता वह होता है, जो केवल डायलॉग्स ही नहीं, बल्कि पूरे दृश्य को बेहतर बनाने की क्षमता रखता है.
5. महान अभिनेता (Great Actor)
अंतिम और सबसे ऊंची श्रेणी है महान अभिनेता, और इसमें सुभाष घई ने दिलीप कुमार का नाम लिया. उन्होंने दिलीप कुमार के अभिनय की तारीफ करते हुए कहा कि वह साधारण से साधारण डायलॉग में भी जान डाल देते थे.
दिलीप कुमार की अदाकारी में एक विशेष गुण था, जो उन्हें बाकी सभी से अलग और महान बनाता था. घई ने बताया कि उन्होंने दिलीप कुमार के साथ विधाता, कर्मा और सौदागर जैसी फिल्मों में काम किया और हर बार दिलीप कुमार ने उन्हें प्रभावित किया.
दिलीप कुमार के अभिनय को लेकर फिल्म निर्माता महेश भट्ट भी सहमत हैं. उन्होंने दिलीप कुमार की फिल्म गंगा जमुना का जिक्र करते हुए बताया कि फिल्म के एक कोर्टरूम सीन में बिना बड़े संवाद और भारी-भरकम भावनाओं के भी दिलीप कुमार ने अद्वितीय अभिनय किया.
इसी तरह अभिनेत्री रेखा ने भी गंगा जमुना को अपनी पसंदीदा फिल्म बताया था. वहीं, अमिताभ बच्चन ने भी इस फिल्म को देखकर दिलीप कुमार की प्रतिभा की सराहना की थी.दिलीप कुमार के मित्र और मशहूर फिल्म निर्माता राज कपूर ने भी फिल्म शक्ति देखने के बाद दिलीप कुमार को फोन किया और कहा, "आज साबित हो गया कि आप भारत के सबसे बड़े अभिनेता हैं."
निष्कर्ष
सुभाष घई की इस चर्चा से यह स्पष्ट हो जाता है कि हर अभिनेता की अपनी एक अलग श्रेणी होती है. जहाँ कुछ अभिनेता अपने व्यक्तित्व और दिखावे से लोगों का दिल जीतते हैं, वहीं कुछ अपने समर्पण और मेहनत से आगे बढ़ते हैं. लेकिन सिनेमा की दुनिया में महान अभिनेता वही होता है, जो अपने अभिनय से हर दृश्य में जान डाल देता है. दिलीप कुमार इस श्रेणी के सर्वोत्तम उदाहरण हैं, जिनकी अदाकारी पीढ़ियों तक याद की जाएगी.
अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने पसंदीदा अभिनेता को किस श्रेणी में रखते हैं। क्या वे महान अभिनेता हैं या सिर्फ एक अच्छे अभिनेता?