पुणे में मैथिली फिल्मों की स्क्रीनिंग, मैथिली सिनेमा को नई पहचान दिलाने में साबित होगा मील का पत्थर

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  onikamaheshwari | Date 26-04-2024
Screening of Maithili films in Pune will prove to be a milestone in giving a new identity to Maithili cinema.
Screening of Maithili films in Pune will prove to be a milestone in giving a new identity to Maithili cinema.

 

मंजीत ठाकुर

शनिवार, 27 अप्रैल को पुणे में मैथिली फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है. पुणे के डीवाई पाटिल अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में यह आयोजन होना है. इस प्रदर्शन से मराठीभाषी पुणे में मैथिली सिनेमा में हो रहे काम और प्रयोगों पर लोगों की निगाहें जाएंगी.
 
इस प्रदर्शन की कर्ताधर्ता विभा झा कहती हैं, “मैथिली सिनेमा की पहली पारी भले ही फणी मजूमदार, सी. परमानंद और रवींद्रनाथ ठाकुर (गुरुदेव नहीं) जैसे दिग्गज फिल्मकारों और साहित्यकारों से संरक्षण में हुआ हो, फिर भी यह सिनेमा अपना बाज़ार खड़ा करने में असफल रहा. मैथिली के इतिहास में निर्देशक मुरलीधर के हाथों बनी ‘सस्ता जिनगी महग सिंदूर’ के अलावा कोई ऐसी फ़िल्म अभी तक बड़े परदे या बॉक्स ऑफ़िस पर ब्लॉक बस्टर हिट साबित नहीं हो पाई.” 
 
 
बहरहाल, मैथिली सिनेमा में हो रहे कुछ नए कामों और नई फिल्मो को सिर्फ मैथिली भाषी लोगों ही नहीं, बल्कि दूसरे दर्शकों को उससे रू ब रू करवाने के मकसद से झा ने देश के अलग-अलग हिस्सों में इन फिल्मों का प्रदर्शन करना शुरू किया है. 
 
पुणे में डीवाई पाटिल अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में यह आयोजन वहां के कुलपति प्रभात रंजन एवं उनके मास मीडिया विभाग की सहायता किया जा रहा है. 
 
बाईस्कोप वाली के नाम से मशहूर झा, फ़िल्म शोधार्थी हैं. इन्होंने पुणे यूनिवर्सिटी भारतीय फ़िल्म अध्ययन के तहत, मैथिली सिनेमा  के सीमित सफलताओं के कारणों का अध्ययन पर शोध किया है.
 
वह कहती हैं, “लगभग 70 वर्षों पुराना इतिहास होने के बावजूद इसके बतौर उद्योग स्थापित न होने के कारण एवं इससे जुड़े कलाकारों, फिल्मकारों का साक्षात्कार करने के दौरान जो तथ्य मिले, उन्होंने इन्हें विवश किया की इसपर काम किया जाना चाहिए.” 
 
 
झा बताती हैं कि अध्ययन के दौरान 21वीं सदी से जिन युवा फिल्मकारों का मैथिली सिनेमा क्षेत्र में आगमन हुआ और जो इस भाषा में सार्थक फिल्में बना रहे हैं, उनके काम को इसके दर्शकों तक पहुंचाना उन्हें अहम काम लगा. इसके तहत सबसे पहले उन्होंने अपना शोध पूर्ण करने के बाद 2021-22 से सोशल मीडिया पर मैथिली सिनेमा पर विमर्श शुरू किया. 
 
मैथिली सिनेमा में फिल्मों के विषयवस्तु का गैर-मैथिली भाषी दर्शकों पर क्या प्रभाव है, यह जानने के लिए मार्च, 2023 में मुंबई विश्वविद्यालय के मास मीडिया एवं सिनेमा के अध्येताओं पर वह एक अध्ययन भी कर चुकी हैं.
 
मैथिली सिनेमा, अभी भोजपुरी की तरह अधिक लोकप्रिय नहीं है. लेकिन कुछ लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं. विभा झा जैसे लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं. लेकिन इस सिनेमा को पूंजी-निवेश और ताजा-टटके विषयों के चयन की जरूरत है.