आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने हाल में एक मीडिया इंटरव्यू में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के संगीत और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में बढ़ते प्रभाव के बारे में अपनी राय साझा की. उन्होंने कहा कि तकनीक के इस उन्नत युग में, एआई के इस्तेमाल से गीतों और धुनों को सटीकता से ढालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसकी सीमाएं भी हैं.
रहमान ने इस संदर्भ में एआई को एक "फ्रेंकस्टीन" कहा, जो शुरुआत के लिए उपयोगी हो सकता है, मगर कलाकार की वास्तविक रचनात्मकता और अनुभव को कभी प्रतिस्थापित नहीं कर सकता.
एआई का संगीत में बढ़ता प्रभाव
एआर रहमान ने कहा कि संगीत निर्माण में एआई का इस्तेमाल किया जाने लगा है, विशेषकर गानों की एडिटिंग और मास्टरिंग में, जिससे गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है. मगर, धुनों और संगीत का सृजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें न केवल तकनीकी कौशल बल्कि गहरी रचनात्मकता और दार्शनिकता की भी जरूरत होती है.
उन्होंने जोर देकर कहा, "गीत बनाने का कार्य केवल तकनीकी ज्ञान से संभव नहीं है; इसके लिए दिमाग में एक विशिष्ट दर्शन और दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है." रहमान का मानना है कि एआई सिर्फ एक उपकरण है, जबकि रचनात्मकता वह आत्मा है, जो संगीत में जान फूंकती है.
एआई की सीमाएं और इसका उपयोग
रहमान ने एआई की खूबियों को सराहा, लेकिन साथ ही इसके सीमित उपयोग की भी बात की. उन्होंने इसे "फ्रेंकस्टीन" के रूप में देखा. एक ऐसा उपकरण जो जरूरत पड़ने पर मददगार तो है, लेकिन उसका अंधाधुंध प्रयोग हानिकारक भी हो सकता है. उन्होंने स्वीकार किया कि वह खुद भी एआई का इस्तेमाल पोस्टर और डिज़ाइन बनाने में करते हैं, लेकिन इसके परिणाम हमेशा शानदार नहीं होते.
उन्होंने बताया कि कई बार एआई की मदद से बनने वाले पोस्टर या डिज़ाइन काफी खराब निकलते हैं, जिसे ठीक करने के लिए वह फोटोशॉप और अन्य तकनीकों का सहारा लेते हैं. "यह जरूरी नहीं है कि एआई द्वारा किए गए सभी कार्य सुंदर ही हों। इसे रचनात्मकता के अंतिम विकल्प के रूप में देखना गलत है."
संगीत की बदलती दुनिया और कलाकार की भूमिका
रहमान का मानना है कि आने वाले समय में कलाकार स्टेज पर अपने पारंपरिक उपकरणों के साथ नजर आएंगे. उन्होंने कहा, "भले ही हम तकनीकी युग में जी रहे हैं, मगर कलाकार की मौलिकता हमेशा महत्वपूर्ण बनी रहेगी.
यह हमें हमारी गलतियों को समझने और बेहतर बनने का मौका देता है." रहमान ने एआई के विकास को एक अवसर के रूप में देखा, जो कलाकारों को और ज्यादा आत्मनिरीक्षण करने में मदद करता है, लेकिन इसके सहारे संगीत की आत्मा को पूरा करना संभव नहीं है.
मणिरत्नम के साथ जुड़ी यादें और उनका प्रभाव
इंटरव्यू के दौरान रहमान से उनके पसंदीदा निर्देशक के बारे में पूछा गया. बिना एक पल गँवाए, उन्होंने मणिरत्नम का नाम लिया. मणिरत्नम के साथ रहमान का एक गहरा और लंबे समय से चला आ रहा जुड़ाव है. उन्होंने मणिरत्नम की प्रशंसा करते हुए कहा कि, "जितना अधिक आप किसी पर भरोसा करते हैं, उतना अधिक आप अपनी सीमाओं को तोड़ते हैं."
रहमान ने मणिरत्नम के साथ अपने अनुभव के बारे में बताया कि उनके काम का तरीका बाकी निर्देशकों से काफी अलग है. मणिरत्नम पहले अपने कलाकारों को पूरी स्वतंत्रता देते हैं.कहते हैं, "कुछ बनाओ, मुझे देखाओ." इसके बाद, वह उस पर गहराई से विचार करते हैं और अंततः अपनी अंतिम राय साझा करते हैं. रहमान ने बताया कि मणिरत्नम के साथ काम करना उनके लिए हमेशा एक चुनौती और सीख का अनुभव रहा है.
रहमान की सोच और दृष्टिकोण का सार
एआर रहमान के इस इंटरव्यू ने उनकी सोच और उनकी रचनात्मक प्रक्रिया को और गहराई से समझाया. एआई के बढ़ते उपयोग के बावजूद, रहमान का मानना है कि संगीत में आत्मा का महत्व है, जिसे केवल इंसान का दिल और दिमाग ही समझ सकता है.
उनका यह भी मानना है कि भले ही एआई तकनीकी सटीकता ला सकता है, मगर इसका प्रयोग हमेशा संतुलित और समझदारी से किया जाना चाहिए. एआई को एक सहायक उपकरण के रूप में देखना चाहिए, न कि रचनात्मकता के विकल्प के रूप में.
रहमान की बातों से यह स्पष्ट है कि वह तकनीक और कला दोनों को संतुलन में रखते हुए आगे बढ़ने में विश्वास रखते हैं, और वह मानते हैं कि संगीत और रचनात्मकता की असली खूबसूरती उसी में है, जिसे एक कलाकार अपने अनुभव और भावनाओं से गढ़ता है.