नई दिल्ली
प्रसिद्ध गायक पृथ्वी गंधर्व, जो इन दिनों मशहूर ग़ज़ल गायक उस्ताद ग़ुलाम अली के साथ उनके विदाई दौरे पर हैं, ने कहा कि वह इस ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा बनकर खुद को बेहद भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं. गंधर्व ने ग़ुलाम अली को "चंचल स्वभाव वाला, मासूम और बेमिसाल कलाकार" बताया.
पृथ्वी गंधर्व, जो वेब सीरीज़ "बंदिश बैंडिट्स" के दूसरे सीज़न के गाने "निर्मोहिया" और "यहीं रहियो सा" से प्रसिद्ध हुए, वर्तमान में अमेरिका और कनाडा के कई शहरों में ग़ुलाम अली के साथ मंच साझा कर रहे हैं.
पृथ्वी गंधर्व के लिए ग़ुलाम अली के साथ गाना एक सपना सच होने जैसा था. उन्होंने पहली बार करीब दो साल पहले ऑस्ट्रेलिया के सात शहरों के दौरे में अली के साथ परफॉर्म किया था.
गंधर्व ने याद करते हुए कहा,"जब मुझे ग़ुलाम अली साहब के साथ गाने का अवसर मिला, तो मैं घबराया हुआ था. मुझे उनके सामने आधे घंटे का प्रदर्शन करने का समय मिला था, लेकिन दर्शकों के जबरदस्त समर्थन के कारण मेरा समय बढ़ाकर डेढ़ घंटे कर दिया गया."
ऑस्ट्रेलिया का वह दौरा बेहद सफल रहा, जिसके बाद अब वे अमेरिका और कनाडा के 15-20 शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके बाद यूरोप दौरा भी प्रस्तावित है.
गंधर्व ने कहा कि यह सिर्फ एक दौरा नहीं, बल्कि एक "जीवित मास्टरक्लास" थी.. उन्होंने बताया कि वे ग़ुलाम अली के साथ करीब 20 दिन तक रहे, जहाँ वे रात भर बैठकर संगीत और जीवन के बारे में गहरी बातचीत करते थे.
"मैंने उनसे नूरजहां, मेहदी हसन, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे दिग्गजों के साथ उनके अनुभवों के बारे में जाना। उनके संगीत संघर्ष, निजी जीवन और बच्चों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा. यह अनुभव मेरे लिए अनमोल है.."
पृथ्वी गंधर्व का ताल्लुक एक संगीतमय परिवार से है। उनके दादा, माता और पिता सभी संगीत से जुड़े रहे हैं."मेरी मां और पिता दोनों अच्छे गायक हैं. मेरे पिता वायलिन और बेला बहार वाद्य यंत्र बजाते हैं. छोटी उम्र से ही मैंने संगीत की शिक्षा लेना शुरू कर दिया था और स्कूल जाने से पहले और बाद में घंटों रियाज़ करता था."
गंधर्व का झुकाव धीरे-धीरे ग़ज़लों की ओर बढ़ा. ग़ुलाम अली, रूपकुमार राठौर और हरिहरन जैसे कलाकारों की रचनाओं ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया."ग़ज़ल संगीत कविता, भावनाओं और शास्त्रीय संगीत का खूबसूरत संगम है.इसलिए मैंने ग़ज़ल को अपने करियर का केंद्र चुना."
प्राइम वीडियो की लोकप्रिय सीरीज़ "बंदिश बैंडिट्स" के दूसरे सीज़न में पृथ्वी गंधर्व के गाए गानों ने उन्हें एक नई पहचान दी.उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अब ऐसे मंच बन रहे हैं जहाँ कलाकार अपनी कला और कहानियों को खुलकर प्रस्तुत कर सकते हैं.
"पहला सीज़न खूबसूरती से बनाया गया था। दूसरे सीज़न में भी संगीत को समझने में चार साल लगे. आज के समय में, जब संगीत की विभिन्न शैलियों पर शो बन रहे हैं, यह एक सकारात्मक बदलाव है.."
आगे की योजनाओं के बारे में बात करते हुए गंधर्व ने कहा कि वह दिल्ली, अहमदाबाद और बेंगलुरु में कुछ शो कर रहे हैं. इसके साथ ही उनके कई नए गाने और डुएट ट्रैक जल्द रिलीज़ होने वाले हैं."मेरा मिशन अच्छा संगीत बनाना है, जो दिल को छू सके और श्रोताओं को एक नया अनुभव दे सके."
पृथ्वी गंधर्व की यात्रा, जो एक साधारण संगीत-प्रेमी परिवार से शुरू होकर उस्ताद ग़ुलाम अली के साथ साझा मंच तक पहुंची है, संगीत साधना और समर्पण का जीवंत उदाहरण है. आज जब वे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में संगीत का जादू बिखेर रहे हैं, तो उनकी कहानी हर युवा कलाकार के लिए प्रेरणा बन रही है.