आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया. इस खूबसूरत और शांत पर्यटन स्थल पर अचानक हुई अंधाधुंध गोलीबारी में 27 निर्दोष लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए.
इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली. जांच में यह भी सामने आया कि हमलावरों ने जानबूझकर हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया. इस घटना को 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे खतरनाक आतंकी वारदात माना जा रहा है.
लेकिन आतंकवाद की यह डरावनी हकीकत सिर्फ सड़कों और घाटियों तक सीमित नहीं रही. बॉलीवुड और हॉलीवुड की कई फिल्मों ने भी पर्दे पर इस त्रासदी को जीवंत किया है—उस दर्द, आक्रोश और संघर्ष को दिखाया है जिसे अब फिर से कश्मीर झेल रहा है. आइए नजर डालते हैं उन फिल्मों पर जिन्होंने आतंकवाद के खौफनाक चेहरे को पर्दे पर उतारा:
निर्देशक: विदु विनोद चोपड़ा
यह फिल्म कश्मीर में आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर आधारित है. एक पुलिस अधिकारी और उसके द्वारा गोद लिए गए बच्चे के बीच का भावनात्मक संघर्ष, और कैसे वह बच्चा आतंकी रास्ते पर चला जाता है—इसे ऋतिक रोशन और संजय दत्त ने बेहद असरदार अंदाज़ में निभाया.
निर्देशक: अनुराग कश्यप
1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित यह फिल्म आतंक की योजना, उसके पीछे के दिमाग और समाज पर उसके प्रभाव को बेहद वास्तविक अंदाज़ में दिखाती है. यह भारतीय सिनेमा की सबसे संवेदनशील और बहादुर फिल्मों में से एक मानी जाती है.
अभिनेता: विक्की कौशल
यह फिल्म उरी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित है. इसमें सेना की रणनीति, साहस और देशभक्ति को दमदार तरीके से दर्शाया गया है.
अभिनेता: सिद्धार्थ मल्होत्रा
फिल्म में कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी दिखाई गई है. यह फिल्म सीमा पार से घुसपैठ और आतंकवाद से जूझते भारतीय सैनिकों की शौर्यगाथा को पेश करती है.
निर्देशक: विवेक अग्निहोत्री
यह फिल्म 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन और नरसंहार की कहानी को सामने लाती है. इसमें आतंकवाद के मानवीय और मानसिक प्रभाव को गहराई से दर्शाया गया है.
निर्देशक: टीनू वर्मा | अभिनेता: सनी देओल
यह फिल्म भारत-पाक सीमा पर तैनात एक सैनिक की कहानी है जो आतंकवादियों और घुसपैठियों से देश की रक्षा करता है. फिल्म देशभक्ति की भावना के साथ-साथ आतंक के खिलाफ संघर्ष को भी दिखाती है.
पहलगाम हमला यह साफ करता है कि आतंकवाद केवल एक राजनीतिक या सुरक्षा चुनौती नहीं है, बल्कि यह सीधे आम नागरिकों की ज़िंदगी को तबाह करता है. ऊपर बताई गई फिल्में इस संघर्ष, पीड़ा और साहस को परदे पर उतार चुकी हैं—और अब यही सब कश्मीर की धरती पर एक बार फिर हकीकत बनकर सामने आया है.
ऐसी घटनाएं हमें बार-बार याद दिलाती हैं कि आतंक के खिलाफ हमारी एकजुटता और संवेदनशीलता ही सबसे बड़ा जवाब है.