आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
गुजरे जमाने के यादगार गायक मोहम्मद रफी ने अपने करियर में लगभग 26 हजार गीत गाए हैं. शादी-समारोह की परंपरा, विरह की हूक, रोमांस का सुनहरा साथ, शास्त्रीय संगीत का गौरव, कव्वाली की गरिमा या भजन के लरजते भाव हो, सभी विधाओं में उन्होंने गाया है. आज उनका जन्मदिन है. हम उनके गाए टॉप 5 भजन से आपको रूबरू करा रहे हैं.
मन तड़पत हरि दर्शन को आज...
फिल्म-बैजू बावरा, 1952, गीतकार-शकील बदायूंनी, संगीत-नौशाद, गायक-रफी
मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत...
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तड़पत हरी दरसन...
बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज, तड़पत हरी...
मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज दे दो आज, ...
ओ दुनिया के रखवाले...
फिल्म-बैजू बावरा, 1952, गीतकार-शकील बदायूंनी, संगीत-नौशाद, गायक-रफी
भगवान, भगवान ... भगवान
ओ दुनिया के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले
सुन दर्द भरे मेरे नाले
आश निराश के दो रंगों से, दुनिया तूने सजाई
नय्या संग तूफ़ान बनाया, मिलन के साथ जुदाई
जा देख लिया हरजाई
ओ ... लुट गई मेरे प्यार की नगरी, अब तो नीर बहा ले
अब तो नीर बहा ले
ओ ... अब तो नीर बहा ले, ओ दुनिया के रखवाले ...
आग बनी सावन की बरसा, फूल बने अंगारे
नागन बन गई रात सुहानी, पत्थर बन गए तारे
सब टूट चुके हैं सहारे, ओ ... जीवन अपना वापस ले ले
जीवन देने वाले, ओ दुनिया के रखवाले ...
चांद को ढूँढे पागल सूरज, शाम को ढूँढे सवेरा
मैं भी ढूँढूँ उस प्रीतम को, हो ना सका जो मेरा
भगवान भला हो तेरा, ओ ... क़िस्मत फूटी आस न टूटी
पांव में पड़ गए छाले, ओ दुनिया के रखवाले ...
महल उदास और गलियां सूनी, चुप-चुप हैं दीवारें
दिल क्या उजड़ा दुनिया उजड़ी, रूठ गई हैं बहारें
हम जीवन कैसे गुज़ारें, ओ ... मंदिर गिरता फिर बन जाता
दिल को कौन सम्भाले, ओ दुनिया के रखवाले ...
ओ दुनिया के रखवाले
रखवाले
रखवाले
मन रे तू काहे न धीर धरे...
फिल्म-चित्रलेखा, 1964, गीतकार-साहिर लुधियानवी, संगीतकार-रोशन, गायक-रफी
मन रे तू काहे ना धीर धरे
वो निर्मोही मोह ना जाने, जिनका मोह करे
मन रे ...
इस जीवन की चढ़ती ढलती
धूप को किसने बांधा
रंग पे किसने पहरे डाले
रुप को किसने बांधा
काहे ये जतन करे
मन रे ...
उतना ही उपकार समझ कोई
जितना साथ निभा दे
जनम मरण का मेल है सपना
ये सपना बिसरा दे
कोई न संग मरे
मन रे ...
सुख के सब साथी दुख में न कोई...
फिल्म-गोपी,1970, गीतकार-राजेंद्र कृष्ण, संगीतकार: कल्याण जी-आनंद जी, गायक-मोहम्मद रफी.
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई
जीवन आणि जानी छाया,
जूठी माया, झूठी काय
फिर काहे को साड़ी उमरिया,
पाप को गठरी ढोई
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
यह जग योगी वाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का,
अंत एक सा होई॥
बाहर की तो माटी फांके,
मन के भीतर क्यूँ ना झांके
उजले तन पर मान किया,
और मन की मैल ना धोई
बड़ी देर भई नंदलाला...
फिल्म खानदान-1965, संगीतकार-रवि, गीतकार-राजिंदर किशन, गायक-मोहम्मद रफी
बड़ी देर भई नंदलाला
तेरी राह तके बृजबाला
ग्वाल-बाल इक-इक से पूछे
कहाँ है मुरली वाला रे
बड़ी देर भई नंदलाला
कोई ना जाए कुञ्ज गलिन में, तुझ बिन कलियाँ चुनने को
तरस रहे हैं जमुना के तट, धुन मुरली की सुनने को
अब तो दरस दिखा दे नटखट, क्यों दुविधा में डाला रे
बड़ी देर भई नंदलाला...
संकट में है आज वो धरती, जिस पर तूने जनम लिया
पूरा कर दे आज वचन वो, गीता में जो तूने दिया
कोई नहीं है तुझ बिन मोहन, भारत का रखवाला रे
बड़ी देर भई नंदलाला...