तबले की थाप के जादूगर: जाकिर हुसैन के निधन से संगीत जगत शोक में

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 16-12-2024
Magician of Tabla beats: Music world mourns the death of Zakir Hussain
Magician of Tabla beats: Music world mourns the death of Zakir Hussain

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रतिभाशाली सितारों में से एक, तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन, अब हमारे बीच नहीं रहे. 73 वर्ष की उम्र में, अमेरिका में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. यह खबर संगीत प्रेमियों के लिए किसी भूकंप से कम नहीं है. जिस तबले की थाप ने दुनिया भर के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया, वह अब हमेशा के लिए खामोश हो गई है.

आखिरी दिनों की कहानी

जाकिर हुसैन पिछले कुछ समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे. दिल से जुड़ी जटिलताओं के चलते उन्हें अमेरिका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों की पूरी कोशिशों के बावजूद, 11 दिसंबर 2024 को यह महान कलाकार इस दुनिया को अलविदा कह गया। उनके निधन ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में उनके चाहने वालों को गहरा आघात दिया.
 

बचपन से संगीत का जुनून

जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. संगीत उनके खून में था. उनके पिता, उस्ताद अल्ला रक्खा, खुद एक महान तबला वादक थे. बचपन से ही जाकिर ने अपने पिता से तबले की बारीकियां सीखनी शुरू कर दी थीं. उन्होंने अपनी कला में इतना अभ्यास और परिश्रम किया कि जल्द ही उनकी प्रतिभा उभरकर सामने आई.

जाकिर हुसैन का नाम तबला वादन का पर्याय बन गया. उनकी उंगलियां जब तबले पर पड़तीं, तो श्रोता उनकी धुनों में खो जाते. जाकिर ने केवल भारतीय संगीत को ही नहीं, बल्कि विश्व संगीत को भी अपनी अद्भुत प्रतिभा से समृद्ध किया..
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संगीत की दुनिया में बेमिसाल योगदान

जाकिर हुसैन केवल एक संगीतकार नहीं थे; वह भारतीय शास्त्रीय संगीत के राजदूत थे. उन्होंने तबले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग पहचान दिलाई. उन्होंने न सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत में योगदान दिया, बल्कि जैज़ और वर्ल्ड म्यूज़िक के साथ भी अपने तालमेल से संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया..

जाकिर हुसैन ने अपने जीवनकाल में सैकड़ों मंचीय प्रदर्शन किए और हर बार अपनी ऊर्जा और करिश्मे से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. उनकी कला का जादू ऐसा था कि उनका हर प्रदर्शन एक नया अनुभव होता.
 

 

फिल्मों और पुरस्कारों की दुनिया

जाकिर हुसैन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में भी अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा. उन्होंने कई फिल्मों में बैकग्राउंड स्कोर तैयार किया और अपनी कला से सिनेमा को भी समृद्ध किया.

उनके योगदान को देश और दुनिया ने कई बार सराहा. उन्हें पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2002) जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान प्राप्त हुए. इसके अलावा, उन्होंने ग्रैमी अवॉर्ड भी जीता, जो उनकी कला के अंतरराष्ट्रीय मान्यता का प्रतीक है.

एक संपूर्ण युग का अंत

जाकिर हुसैन के निधन की खबर ने भारतीय संगीत जगत को हिला कर रख दिया है. सोशल मीडिया पर उनके चाहने वाले, साथी कलाकार और दुनिया भर के संगीत प्रेमी उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.उनके निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत ने न केवल एक कलाकार खो दिया है, बल्कि एक संपूर्ण युग का अंत हो गया है. जाकिर हुसैन ने जो विरासत छोड़ी है, वह संगीत प्रेमियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी.

प्रेरणा का स्रोत

जाकिर हुसैन का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है जो कला और संगीत के प्रति समर्पित हैं. उन्होंने यह सिखाया कि अगर कला और मेहनत के प्रति सच्चा समर्पण हो, तो कोई भी आपको दुनिया के हर कोने में पहचान दिला सकता है.

उनकी कला न केवल भारत की, बल्कि पूरे विश्व की धरोहर है. उनके जाने से भले ही तबले की थाप थोड़ी खामोश हो गई हो, लेकिन उनकी धुनें हमेशा गूंजती रहेंगी. जाकिर हुसैन की कला, उनका जीवन और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रकाश स्तंभ की तरह रहेगा.

संगीत प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगे जाकिर हुसैन

तबले की थाप को जादुई बनाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. लेकिन उनका संगीत, उनकी धुनें और उनकी प्रेरणा हमेशा हमारे दिलों में अमर रहेंगी. उनके जाने से जो शून्य पैदा हुआ है, उसे भर पाना असंभव है.

उनकी विरासत हमें यह याद दिलाती रहेगी कि कला और संगीत की शक्ति सीमाओं, धर्मों और भाषाओं से परे होती है. जाकिर हुसैन, आप भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच न हों, लेकिन आपकी थाप और आपका संगीत हमेशा हमारे साथ रहेगा.
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जाकिर हुसैन से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. जाकिर हुसैन कौन थे?

जाकिर हुसैन भारत के प्रसिद्ध तबला वादक और संगीतकार थे. उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत और तबला की दुनिया में महारत हासिल थी. वे अपने शानदार प्रदर्शन और संगीत में नए आयाम जोड़ने के लिए जाने जाते थे.

2. जाकिर हुसैन का जन्म कब और कहां हुआ था?

जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था.

3. जाकिर हुसैन के पिता कौन थे?

उनके पिता उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी थे, जो स्वयं भी एक महान तबला वादक थे.

4. जाकिर हुसैन को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?

जाकिर हुसैन को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले, जिनमें पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2002) शामिल हैं. इसके अलावा, उन्होंने ग्रैमी अवार्ड भी जीता.

5. जाकिर हुसैन का निधन कब और कैसे हुआ?

जाकिर हुसैन का निधन 73 वर्ष की आयु में, अमेरिका में 10-11 दिसंबर 2024 को हुआ. उन्हें हृदय संबंधी समस्याओं के चलते ICU में भर्ती कराया गया था.

6. जाकिर हुसैन का योगदान क्या है?

जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया. उन्होंने शांति, प्रेम और समर्पण के संदेश को संगीत के माध्यम से पूरी दुनिया में फैलाया.

7. क्या जाकिर हुसैन ने फिल्मों में भी काम किया?

हां, जाकिर हुसैन ने कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में संगीत दिया.. वे अक्सर फिल्मों के लिए बैकग्राउंड स्कोर भी तैयार करते थे.

8. जाकिर हुसैन की पत्नी कौन हैं?

उनकी पत्नी का नाम एंटोनिया मिनेको था. वह एक कत्थक नृत्यांगना हैं.

9. जाकिर हुसैन किस तबला घराने से जुड़े थे?

जाकिर हुसैन पंजाब घराने से जुड़े थे, लेकिन उन्होंने सभी घरानों की शैली में अपनी महारत साबित की.

10. जाकिर हुसैन को लोग इतना क्यों पसंद करते थे?

जाकिर हुसैन की तबला वादन शैली बेहद अनोखी थी. उनका संगीत सुनने वालों के दिलों को छू जाता था. उनकी ऊर्जा, करिश्माई प्रस्तुति और भारतीय शास्त्रीय संगीत में योगदान के लिए लोग उन्हें बेहद पसंद करते थे.



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