जयपुर IIFA 2025 में 'द जर्नी ऑफ वुमन इन सिनेमा' पर माधुरी दीक्षित और गुनीत मोंगा की खास चर्चा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-03-2025
Madhuri Dixit and Guneet Monga's special discussion on 'The Journey of Women in Cinema' at Jaipur IIFA 2025
Madhuri Dixit and Guneet Monga's special discussion on 'The Journey of Women in Cinema' at Jaipur IIFA 2025

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली/ जयपुर

जयपुर में आयोजित IIFA Awards 2025 इस साल सिर्फ सिनेमा और ग्लैमर का जश्न ही नहीं मना रहा, बल्कि महिला दिवस के मौके पर महिलाओं के योगदान को भी सलाम कर रहा है.

हयात रीजेंसी, जयपुर में एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसका विषय 'द जर्नी ऑफ वुमन इन सिनेमा' था. इस इवेंट में हिंदी सिनेमा की दिग्गज अदाकारा माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit), ऑस्कर विजेता फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा (Guneet Monga) और आईफा की वाइस प्रेसिडेंट नोरीन खान (Noreen Khan) ने शिरकत की.

IIFA celebrates women contribution to cinema Madhuri Dixit and Guneet Monga share their experiences

माधुरी दीक्षित ने साझा किया अपना फिल्मी सफर

इस खास मौके पर माधुरी दीक्षित ने अपने तीन दशक से भी अधिक लंबे करियर के अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि जब उनकी शादी नहीं हुई थी, तब वे दिन-रात तीन शिफ्ट में काम किया करती थीं.

माधुरी ने कहा, "दरअसल, मैंने शादी के बाद अपनी जिंदगी जी है. आज मैं अपने पति और बच्चों के साथ जो जिंदगी जी रही हूं, वह मेरे लिए एक सपने जैसा है. लेकिन सिनेमा मेरा पहला प्यार था, इसलिए मैंने फिल्मों में वापसी की."

उन्होंने अपने करियर की कुछ आइकॉनिक फिल्मों जैसे 'दिल', 'बेटा', 'दिल तो पागल है', 'राजा' और 'मृत्युदंड' का जिक्र करते हुए कहा कि ये सभी फिल्में महिलाओं के सशक्तिकरण को दर्शाती हैं.

खासतौर पर 'मृत्युदंड' करने के फैसले को लेकर माधुरी ने कहा, "उस समय कई लोगों ने मुझसे कहा कि कमर्शियल सिनेमा करो, लेकिन मैंने इस फिल्म को चुना क्योंकि इसमें महिला सशक्तिकरण की बात की गई थी। यह फिल्म मेरे दिल के बेहद करीब है."

सिनेमा में महिलाओं की बदलती भूमिका पर माधुरी का नजरिया

माधुरी दीक्षित ने बताया कि जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था, तब सेट पर महिलाओं की उपस्थिति बेहद कम थी. उन्होंने कहा, "पहले फिल्म सेट पर केवल हमारी को-एक्ट्रेसेस और हेयर ड्रेसर ही महिलाएं होती थीं.

लेकिन अब हर डिपार्टमेंट में महिलाएं हैं, चाहे वह डायरेक्टर हो, डीओपी हो या टेक्नीशियन. यह देखकर गर्व महसूस होता है कि महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं."

माधुरी ने यह भी कहा कि अब महिला किरदार सिर्फ सहायक भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे कहानी का केंद्र भी बन रही हैं. आज के दौर में महिलाओं को फिल्मों में मजबूत और विविधतापूर्ण भूमिकाएँ निभाने का अवसर मिल रहा है, जो सिनेमा में सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है.

IIFA celebrates women contribution to cinema Madhuri Dixit and Guneet Monga share their experiences

गुनीत मोंगा: संघर्ष से ऑस्कर तक का सफर

इस इवेंट में प्रसिद्ध फिल्म प्रोड्यूसर और ऑस्कर विजेता गुनीत मोंगा ने भी अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की. बताया कि कैसे दिल्ली में किराए के मकान में रहते हुए उन्होंने यह सपना देखा कि वे मुंबई जाकर फिल्म प्रोड्यूसर बनेंगी.

गुनीत ने अपने शुरुआती संघर्षों को याद करते हुए कहा, "जब मैं इंडस्ट्री में आई तो लोग मेरी उम्र देखकर मुझ पर भरोसा नहीं करते थे. इसलिए मैंने 26 साल की उम्र में खुद को बड़ा दिखाने के लिए साड़ी पहनना और मोटे चश्मे लगाना शुरू कर दिया."

उन्होंने इंडस्ट्री में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर जोर देते हुए कहा, "अब महिलाएं सिर्फ फिल्मों में अभिनय ही नहीं कर रही हैं, बल्कि निर्माण, निर्देशन और प्रोडक्शन में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं."

महिला नेतृत्व और सिनेमा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

गुनीत मोंगा ने कहा कि सिनेमा में महिलाओं के लिए अवसर बढ़ रहे हैं और अब उनके योगदान को अधिक मान्यता दी जा रही है. उन्होंने कहा, "महिलाओं को खुद पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि वे सीमाओं को नहीं मानतीं, इसलिए वे हर सपना पूरा करने की कोशिश करती हैं."

गुनीत ने इस बात पर भी जोर दिया कि इंडस्ट्री में उन पुरुषों को भी सम्मानित किया जाना चाहिए जिन्होंने महिलाओं का समर्थन किया है और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर दिए हैं.

आईफा वाइस प्रेसिडेंट नोरीन खान का विशेष संदेश

इस मौके पर आईफा की वाइस प्रेसिडेंट नोरीन खान ने कहा, "आईफा के 25 साल पूरे होने के अवसर पर, हम सिनेमा और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ‘द जर्नी ऑफ वुमन इन सिनेमा’ सिर्फ एक चर्चा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है.

जब हम हिम्मत, रचनात्मकता और नेतृत्व की कहानियाँ साझा करते हैं, तो हम केवल सफल महिलाओं का जश्न नहीं मनाते, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते हैं."

महिलाओं की सशक्त भूमिका को मिला सम्मान

IIFA 2025 में इस चर्चा ने यह साबित कर दिया कि भारतीय सिनेमा में महिलाओं की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है. चाहे वह स्क्रीन पर हो या पर्दे के पीछे, महिलाएं हर जगह अपनी छाप छोड़ रही हैं. माधुरी दीक्षित, गुनीत मोंगा और नोरीन खान जैसी हस्तियों के विचारों ने यह संदेश दिया कि महिलाओं की भागीदारी सिनेमा को और समृद्ध बना रही है.