उस्ताद जाकिर हुसैन को अंतिम विदाई : ड्रमर शिवमणि ने दी संगीतमय श्रद्धांजलि

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-12-2024
Last farewell to Ustad Zakir Hussain: Drummer Shivamani pays musical tribute
Last farewell to Ustad Zakir Hussain: Drummer Shivamani pays musical tribute

 

आवाज  द वाॅयस/सैन फ्रांसिस्को

भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज और तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन 15दिसंबर को हुआ था.उनके निधन के बाद, आज शुक्रवार को सैन फ्रांसिस्को मेंउन्हें अंतिम विदाई दी गई.उस्ताद जाकिर हुसैन को उनकी संगीत यात्रा के दौरान किए गए अद्वितीय योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा, जिनकी दुनिया भर में ख्याति थी.

अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

उस्ताद जाकिर हुसैन का अंतिम संस्कार उनके परिवार, मित्रों और संगीतकारों के बीच हुआ.इस अवसर पर ड्रमर शिवमणि, जिन्होंने उस्ताद हुसैन के साथ कई संगीत यात्रा की थी, ने उन्हें संगीतमय श्रद्धांजलि अर्पित की.शिवमणि के साथ अन्य प्रसिद्ध संगीतकार भी इस अंतिम सम्मान में शामिल हुए.

शिवमणि भावुक हो गए और अपने आंसू नहीं रोक पाए, जब उन्होंने उस्ताद जाकिर हुसैन के योगदान और उनकी संगीत यात्रा पर कुछ शब्द इंस्टाग्राम पर साझा किए.

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भारत सरकार और भारत के लोगों की ओर से श्रद्धांजलि

उस्ताद हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सैन फ्रांसिस्को में बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक और संगीत प्रेमी एकत्र हुए.इस मौके पर भारत सरकार की ओर से भारत के महावाणिज्यदूत डॉ. के. श्रीकर रेड्डी ने उस्ताद जाकिर हुसैन के पार्थिव शरीर पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज लपेटकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

श्रीकर रेड्डी ने उस्ताद हुसैन की पत्नी एंटोनिया मिन्नेकोला और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साझा किए गए शोक संदेश को पढ़ा.

पारिवारिक शोक और उपस्थिति

उस्ताद जाकिर हुसैन के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिन्नेकोला और उनकी दो बेटियाँ अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी शामिल हैं.उस्ताद हुसैन का निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) से हुआ था, जो एक ऐसी बीमारी है जो फेफड़ों में जख्म पैदा करती है और इसके कारण सांस लेना धीरे-धीरे कठिन हो जाता है.

संगीत जगत में अपूरणीय शून्य

उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने करियर के दौरान भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया और इसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया.वे महान तबला वादक अल्ला रक्खा के बेटे थे और उनके द्वारा बनाए गए संगीत के स्वर और लय न केवल भारतीय संगीत प्रेमियों, बल्कि पूरी दुनिया में सराहे गए.उनके संगीत ने भाषाओं और संस्कृतियों की दीवारों को पार किया और एक सांस्कृतिक पुल का काम किया.

उस्ताद जाकिर हुसैन का योगदान भारतीय शास्त्रीय संगीत में अनमोल रहेगा और उनकी ध्वनियाँ उनके प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों के दिलों और दिमाग में हमेशा जीवित रहेंगी.उनकी मृत्यु से संगीत जगत ने एक महान प्रतिभा को खो दिया है, लेकिन उनकी धरोहर और संगीत हमेशा जीवित रहेगा.

निधन का कारण

उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) नामक बीमारी के कारण हुआ, जो फेफड़ों में जख्म पैदा करती है और सांस लेने में कठिनाई पैदा करती है.इस बीमारी से जूझते हुए भी उस्ताद हुसैन ने अपने संगीत का योगदान लगातार दिया और संगीत की दुनिया में अपनी छाप छोड़ी.

संगीत प्रेमियों और मित्रों का श्रद्धांजलि

सैन फ्रांसिस्को में उस्ताद जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके परिवार, दोस्तों, संगीतकारों और संगीत प्रेमियों सहित लगभग 300लोग एकत्र हुए.उस्ताद हुसैन की कृतियों और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनका संगीत भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.

उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी कला और संगीत हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगा.