शाह ताज खान / पुणे
लघु फिल्म ‘शहीद अजान’ बनाते समय मेरे दिलो-दिमाग पर छाए डर और चिंता के सारे बादल छंट गए. यह कहना है फिल्म निर्माता-निर्देशक-लेखक जुनैद इमाम का. उन्हांेने हाल में कश्मीर घाटी में फिल्म की शूटिंग के बाद कश्मीर में एक लघु फिल्म पूरी की है.
सोलह साल से फिल्मी दुनिया से जुड़े जुनैद इमाम का कहना है कि वह पहले अपने कई प्रोजेक्ट कश्मीर में बनाना चाहते थे, लेकिन एक अज्ञात डर ने उन्हें जगह बदलने पर मजबूर कर दिया. हालांकि उनके काम को सराहा और पुरस्कृत किया गया है. उनका मानना है कि अगर यह परियोजना कश्मीर में पूरी होती तो और बेहतर और सुंदर हो सकती थी.
कश्मीर स्वर्ग है
वह कहते हैं कि जब हम फिल्म की शूटिंग के लिए अपनी टीम के साथ भद्रवा पहुंचे तो वहां की खूबसूरती ने मन मोह लिया. मुझे शिद्दत से लगा कि मुझे यहां बहुत पहले आना चाहिए था. जुनैद इमाम जिस भद्रवा की बात कर रहे हैं उसे छोटा कश्मीर भी कहा जाता है.
गुलमर्ग हो, पहलगाम, लद्दाख हो या श्रीनगर, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कश्मीर को अल्लामा इकबाल ने छोटा जन्नत बताया था. कवि, लेखक या फिल्मकार, कश्मीर की खूबसूरती हर किसी को प्रभावित करती है.
जुनैद इमाम ने कश्मीर की पृष्ठभूमि पर अपने अगले प्रोजेक्ट जन्नती लॉटरी पर काम भी शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि यहां मिलने वाली सुविधाएं और प्रोत्साहन से उन्हें कम बजट में बड़ी फिल्म बनाने में काफी मदद मिलेगी.
चलिए कश्मीर चलते हैं
ऊँची पहाड़ियां, खूबसूरत घाटियां, बहते झरने, डल झील में तैरती मछलियां किसी सपने से कम नहीं. इसकी सुंदरता यह है कि कश्मीर को स्वर्ग कहा जाता है, लेकिन लंबे समय से देश में ऐसा माहौल बन रहा है कि लोग इसे अस्वीकार करते रहे. चाहते हुए भी कश्मीर नहीं जा पा रहे थे.
आवाज द वॉयस से बात करते हुए जुनैद इमाम ने कहा कि मैंने अपने सोलह साल के फिल्मी करियर में अलग-अलग शहरों में, अलग-अलग जगहों पर शूटिंग की है. मैं अक्सर कश्मीर के बारे में सोचता था, लेकिन वहां के असुरक्षित माहौल से डर लगता था.
वह आते थे और कदम रुक जाते थे. क्योंकि वहां के हालात हमें ये सोचने पर मजबूर कर देते थे कि शायद वहां सुविधाएं नहीं होंगी, न जाने कैसी-कैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा. वो अपनी कश्मीर यात्रा का अनुभव बताते हुए कहते हैं कि हम यहां बैठकर एक फॉर्म बनाते हैं.
धारणा हमें प्राप्त जानकारी के आधार पर बनती है. यह तभी बदल सकती है जब हम अपनी आँखों से देखें, स्वयं अनुभव करें. कश्मीर जाने का उनका निर्णय इस परियोजना की एक आवश्यकता थी.जुनैद इमाम कहते हैं कि शहीद अजान प्रोजेक्ट ऐसा था कि इसे कश्मीर में ही फिल्माया जा सकता था और फिर मैं कश्मीर गया. देखिए, वहां के खूबसूरत अनुभवों ने मेरे दिल और दिमाग पर हावी डर को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. मैं कश्मीर में अपने अगले प्रोजेक्ट की भी योजना बना रहा हूं.
उस सड़क पर चलो
जब मैं कश्मीर पहुंचा तो वहां का माहौल उतना डरावना नहीं था. लोगों का भरपूर सहयोग मिला. भाद्रवा में शूटिंग के दौरान जूनियर आर्टिस्ट, लाइन प्रोड्यूसर और सभी कलाकारों ने अपने काम से मुझे काफी प्रभावित किया. जुनैद इमाम का कहना है कि बॉलीवुड में अपने अभिनय का जौहर दिखाने वाले कश्मीर के मशहूर अभिनेता मीर सरवर ने कश्मीर को लेकर फैली गलतफहमी को दूर करने में बहुत अहम भूमिका निभाई.
जुनैद कहते हैं कि मुझे पूरा भरोसा है कि कश्मीर में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें मौका देने की जरूरत है. वह न सिर्फ एक्टिंग बल्कि टेक्निकल और मैनेजमेंट भी बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं. अपने पहले अनुभव को याद करते हुए जुनैद इमाम कहते हैं, कश्मीर में काम करना बहुत अच्छा लगा. वहां के लोग बहुत सरल और मिलनसार हैं. कश्मीर जितना खूबसूरत है, उतना ही खूबसूरत वहां के लोग हैं.
डल झील है मनमोहक
खूबसूरत भावनाओं को पर्दे पर फिल्माने के लिए कश्मीर बॉलीवुड की पहली पसंद रहा है. अमिताभ बच्चन की फिल्म का गाना यह कश्मीर है, यह कश्मीर है. यहीं फिल्माई गई थी. फिल्म बॉबी का भी बड़ा हिस्सा यहां फिल्माया गया था.
ऐसे कई गानों और फिल्मों की सफलता में कश्मीर ने अहम भूमिका निभाई है. जिस कश्मीर के हालात ने बॉलीवुड से उसकी जन्नत छीन ली, करीब तीन दशक बाद एक बार फिर कश्मीर की वादियों में सिनेमा की आवाज सुनाई दे रही है. जुनैद इमाम का मानना है कि कश्मीर से वही पुराना रिश्ता बन रहा है.
आशा की जा सकती है कि एक बार फिर कश्मीर और बॉलीवुड एक-दूसरे के विकास और समृद्धि में सहायक होंगे और लाइट, कैमरा, एक्शन की आवाजें सुनाई देंगी.