JMI alumnus Akdas Sami wins 2nd Best Documentary Award at International Cultural Artifact Film Festival
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व छात्र अकदस सामी ने अपनी डॉक्यूमेंट्री 'मुजफ्फर के नाम' के लिए पुणे में अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक कलाकृति फिल्म महोत्सव में दूसरा सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री पुरस्कार जीत कर जामिया मिल्लिया इस्लामिया का नाम फिर से रोशन कर दिया है.
इन्होंने फरवरी 2024 में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव पुरस्कार (ISFFA) में दूसरा सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र पुरस्कार भी हासिल किया. फिल्म को पिछले साल GIFFI कोलकाता में भी कई पुरस्कार मिले हैं.
अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक कलाकृति फिल्म महोत्सव (ICA) इस वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन करता है, जिसमें दुनिया भर से विचार के लिए प्रस्तुतियाँ आती हैं. कई प्रस्तुतियों में से, केवल 22 फिल्मों को महोत्सव में स्क्रीनिंग के लिए चुना गया था, और “मुजफ्फर के नाम” उनमें से एक थी.
प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सना नोरोज़बेगी (फिल्म डिजाइनर और निर्देशक, ईरान), अनुषा श्रीनिवासन अय्यर (फिल्म निर्माता, निर्देशक और पत्रकार, भारत), जलालद्दीन गैसिमोव (पुरस्कार विजेता लेखक, निर्माता और निर्देशक, अज़रबैजान), दिब्या चटर्जी (लेखक, निर्देशक और समग्र फिल्म निर्माता, भारत), और प्रो. डॉ. मोहन दास (मुख्य जूरी और निर्देशक, भारत) जूरी सदस्यों के सम्मानित पैनल में शामिल थे.
युवा फिल्म निर्माता अकदस सामी द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री 'मुजफ्फर के नाम' ने वर्ष 2023 के लिए पुणे में अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक कलाकृति फिल्म महोत्सव (ICA) में दूसरा सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र पुरस्कार जीतकर प्रशंसा प्राप्त की है.
“मुजफ्फर के नाम” उर्दू कविता, साहित्यिक आलोचना और सिद्धांत के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध व्यक्ति प्रोफेसर मुजफ्फर हनफी का एक मार्मिक चित्रण करता है.
यह डॉक्यूमेंट्री एक आकर्षक यात्रा पर निकलती है, जो प्रोफेसर हनीफ की विनम्र उत्पत्ति को उजागर करती है और शिक्षा जगत में उनके प्रतिष्ठित स्थान का पता लगाती है. यह उनके उल्लेखनीय सफर के दौरान वित्तीय संघर्षों से लेकर पारिवारिक जिम्मेदारियों तक, उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है.
अपने मूल में, यह वृत्तचित्र एक कवि के जीवन का एक शक्तिशाली प्रमाण है, जिसकी निर्विवाद प्रतिभा को अक्सर पहचाना नहीं गया. यह कलाकारों के संघर्षों को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जिसका सामना वे एक ऐसी दुनिया में करते हैं, जो कभी-कभी उनकी असली प्रतिभा को नजरअंदाज कर देती है.
फिल्म के निर्देशक अकदस सामी ने जामिया मिलिया इस्लामिया के एजेके एमसीआरसी से मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त की है.
वे मानवीय अनुभव की पेचीदगियों को तलाशने और फिल्म के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उजागर करने के लिए समर्पित हैं. उन्होंने पहले "अरुणा वासुदेव: मदर ऑफ एशियन सिनेमा" और "रूपोश" जैसी वृत्तचित्रों पर काम किया है, जिनमें से दोनों को कई चयन और पुरस्कार मिले.
तस्वीर कल्चर द्वारा निर्मित, यह फिल्म प्रोफेसर मुजफ्फर हनफी की गहन कथा को सिनेमाई सूक्ष्मता और भावनात्मक गहराई के साथ जीवंत करती है. सबनवाज अहमद और मोहम्मद शादाब सरवर प्रोडक्शन टीम का हिस्सा थे.
अकदस ने 2023 में अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक कलाकृति फिल्म महोत्सव (ICA) में दूसरा सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र पुरस्कार प्राप्त करने पर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, जो इस वृत्तचित्र के लिए चौथा पुरस्कार है.
उन्होंने इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि इस पुरस्कार से अनसुनी आवाज़ों को बुलंद करने में कोई कमी नहीं आई है और इसके लिए वे हमेशा तत्पर रहते हैं. उन्होंने कहा: “प्रो. मुजफ्फर हनफी की कहानी को आम जनता तक पहुंचाना बहुत महत्वपूर्ण था. मैं भविष्य में भी अपने वृत्तचित्रों के माध्यम से इस तरह की कहानियों को सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध हूं.”
फ़िरोज़ मुजफ्फर मुजफ्फर हनफी के बेटे हैं, जिनका वृत्तचित्र में साक्षात्कार भी लिया गया है. उन्होंने कहा: “मैं पूरी वृत्तचित्र टीम को बधाई देता हूं, खास तौर पर अकदस सामी को. फिल्म निर्माण टीम ने एक महत्वपूर्ण काम बनाया है जिस पर अच्छी तरह से शोध किया गया है. इससे साहित्यिक हलकों में मेरे पिता मुजफ्फर हनफी के बारे में नई चर्चा शुरू करने में मदद मिलेगी.”
“मुजफ्फर के नाम” ने पुणे में अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक कलाकृति फिल्म महोत्सव में दूसरा सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र पुरस्कार जीता.