आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
गुनीत मोंगा, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की एक प्रमुख हस्ती हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. उनका जन्म 21 नवंबर 1983 को दिल्ली में हुआ था.उनकी जीवन यात्रा और संघर्षों हमें प्रेरणा और सीख देने वाले हैं.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
गुनीत मोंगा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था. उनका बचपन आर्थिक तंगी और कठिनाइयों से भरा हुआ था. एक समय ऐसा भी आया जब उनकी मां को जिंदा जलाने की कोशिश की गई थी, जिससे उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई.
इस घटना ने गुनीत को मानसिक रूप से मजबूत बना दिया और उन्होंने ठान लिया कि वे किसी भी हालत में अपने परिवार की मदद करेंगी. उन्होंने दिल्ली से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में मास कम्युनिकेशन में डिग्री प्राप्त की. पढ़ाई के दौरान ही उन्हें फिल्म निर्माण में रुचि जागी.
सड़कों पर पनीर बेचना
गुनीत मोंगा ने अपने जीवन के कठिन समय में कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना किया. उनका परिवार बहुत कम पैसों में जीवन यापन कर रहा था. गुनीत को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. एक समय ऐसा भी आया जब गुनीत ने सड़कों पर पनीर बेचकर अपनी आय बढ़ाई, जिससे उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण समय को पार किया. इन कठिन अनुभवों ने उन्हें जीवन में एक नई दिशा दिखाई.
फिल्मी करियर की शुरुआत
गुनीत मोंगा ने फिल्म निर्माण की दुनिया में कदम रखा और पहले छोटे बजट की फिल्मों और डॉक्युमेंट्री के निर्माण में काम किया. उन्होंने "बैंडिट क्वीन" और "मोती नंदी" जैसी फिल्मों में बतौर प्रोडक्शन असिस्टेंट काम किया. लेकिन उनकी असली पहचान फिल्म निर्माता के रूप में बनी जब उन्होंने "लंचबॉक्स" और "गैंग्स ऑफ वासेपुर" जैसी फिल्मों का निर्माण किया.
ऑस्कर तक का सफर
गुनीत मोंगा की फिल्म "पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस." ने 2019 में ऑस्कर जीता. यह फिल्म महिलाओं के मासिक धर्म और उससे जुड़ी वर्जनाओं पर आधारित थी. इस जीत ने न केवल भारतीय सिनेमा को गौरवान्वित किया, बल्कि समाज में एक बड़ा संदेश भी दिया.
यह उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण पल था. इसके साथ ही वे ऑस्कर अकादमी में शामिल हुईं और जूरी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी फिल्म "मसान" को कान्स फिल्म फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन मिला.
"लंचबॉक्स" का संघर्ष
गुनीत मोंगा के लिए फिल्म "लंचबॉक्स" का निर्माण एक बड़ी चुनौती था. फिल्म के लिए फाइनेंस जुटाना बेहद कठिन था और कई प्रोडक्शन हाउस ने इस प्रोजेक्ट को ठुकरा दिया. लेकिन गुनीत ने हार नहीं मानी और अपने जुनून और कड़ी मेहनत से फिल्म को सफल बनाया. आज यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है.
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
गुनीत मोंगा हमेशा से महिलाओं के मुद्दों पर काम करने के लिए जानी जाती हैं. उनकी फिल्मों में महिलाओं की समस्याओं और संघर्षों को प्रमुखता से दिखाया जाता है. उनका मानना है कि महिलाओं को समाज में बदलाव लाने के लिए सशक्त होना चाहिए और अपनी आवाज़ उठानी चाहिए.
फेमस फिल्में
गुनीत मोंगा ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में कई प्रमुख फिल्में प्रोड्यूस की हैं, जो अपने विषय, कहानी और प्रस्तुतिकरण के लिए जानी जाती हैं. उनकी फिल्मों में समाज के अनछुए पहलुओं और मानवीय भावनाओं को खूबसूरती से दर्शाया गया है. यहाँ उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों का विवरण दिया गया है:
लंचबॉक्स (2013)
निर्देशक: रितेश बत्रा
कलाकार: इरफान खान, निमरत कौर, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी
कहानी: यह फिल्म एक डब्बावाले की गलती से शुरू होती है, जब एक लंचबॉक्स गलत व्यक्ति तक पहुंचता है। इससे दो अनजान लोगों के बीच एक अनोखा रिश्ता बनता है.
खासियत: यह फिल्म न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी सराही गई और कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार जीत चुकी है.
गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012)
निर्देशक: अनुराग कश्यप
कलाकार: मनोज बाजपेयी, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, ऋचा चड्ढा
कहानी: यह फिल्म धनबाद के कोयला माफिया और उनके पारिवारिक संघर्षों पर आधारित है.
गुनीत की भूमिका: बतौर प्रोड्यूसर, गुनीत ने इस फिल्म को बड़ा और क्रांतिकारी प्रोजेक्ट बनाया.
पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस. (2018)
निर्देशक: रायका जेहताबची
कहानी: यह डॉक्युमेंट्री फिल्म महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं और सशक्तिकरण की कहानी है.
खासियत: इस फिल्म ने 2019 में ऑस्कर अवॉर्ड जीता, जो गुनीत मोंगा के करियर का एक मील का पत्थर था.
मसान (2015)
निर्देशक: नीरज घेवन
कलाकार: विक्की कौशल, ऋचा चड्ढा, संजय मिश्रा
कहानी: यह फिल्म वाराणसी की पृष्ठभूमि पर आधारित है और समाज के विभिन्न वर्गों के संघर्षों को दर्शाती है.
गुनीत की भूमिका: उन्होंने इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और इसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में दिखाया.
शादीस्थान (2021)
निर्देशक: राज सिंह चौधरी
कलाकार: कीर्ति कुल्हारी, मेधा शंकर, निखिल द्विवेदी
कहानी: यह फिल्म पारंपरिक सोच और आधुनिक विचारों के बीच टकराव को दर्शाती है.
खासियत: फिल्म ने महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके निर्णय लेने के अधिकार पर जोर दिया.
सोयाबीन (आगामी प्रोजेक्ट)
निर्देशक: अजय बहल
कहानी: यह फिल्म एक थ्रिलर ड्रामा है, जो समाज के नए पहलुओं को उजागर करने का वादा करती है.
गुनीत मोंगा की कड़ी मेहनत, संघर्ष और सिनेमा के प्रति उनके जुनून ने उन्हें भारतीय सिनेमा की एक सशक्त और प्रेरणादायक शख्सियत बना दिया है. उनकी फिल्मों और काम के माध्यम से वे समाज के अनछुए पहलुओं को दर्शाती हैं और एक नई दिशा की ओर प्रेरित करती हैं.