दिवाली के सदाबहार नग़मे

Story by  फिदौस खान | Published by  [email protected] | Date 01-11-2024
दिवाली के सदाबहार नग़मे
दिवाली के सदाबहार नग़मे

 

-फ़िरदौस ख़ान

दिवाली एक ऐसा त्यौहार है, जिससे कोई भी मुतासिर हुए बिना नहीं रह सकता. फिर फ़िल्में इससे अछूती भला कैसे रह सकती हैं. फ़िल्मों में शुरू से ही दिवाली मनाने की रिवायत रही है. फ़िल्मों में दिवाली को बहुत ही ख़ूबसूरती से पेश किया जाता रहा है.

घरों और आसपास की उन सभी जगहों को दियों से सजाया जाता था, जिनका फ़िल्मांकन होना होता था. फ़िल्मों में नायक, नायिका और सह कलाकार रंग-बिरंगे लिबासों से सजे होते हैं और हर्षोल्लास से दिवाली मनाते हैं. फ़िल्मों में दिवाली के गीत रखे जाते रहे हैं.

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हर साल दिवाली के दिनों में रेडियो पर इन गीतों को ख़ूब बजाया जाता है. फ़रमाइशी कार्यक्रमों में भी श्रोता इन गीतों की ख़ूब फ़रमाइश करते हैं. इन गीतों की वजह से माहौल बहुत ही ख़ुशनुमा हो जाता है. दिवाली का एक ऐसा ही गीत है, जिसे बार-बार सुनने को जी चाहता है.

यह साल 1977 में आई फ़िल्म ‘शिरडी के साईं बाबा’ का गीत है. पांडुरंग दीक्षित ने इस गीत को लिखा था और उन्होंने ही इसे संगीत से सजाया भी था. इस गीत को आशा भोंसले ने आवाज़ दी थी. यह गीत बहुत ही मशहूर हुआ था. यह कहना ग़लत न होगा कि इस गीत को उस वक़्त जितना पसंद किया जाता था, उतना ही आज भी पसंद किया जाता है. गीत के बोल हैं-

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दीपावली मनाई सुहानी

मेरे साई के हाथों में जादू का पानी

दीपावली मनाई सुहानी

मेरे बाबा के हाथों में जादू का पानी...

दिवाली के गीत त्यौहार की ख़ूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. साल 1948 में आई फ़िल्म ‘पगड़ी’ का दिवाली गीत भी बहुत ही कर्णप्रिय है. शकील बदायूंनी के लिखे इस गीत को ग़ुलाम मुहम्मद ने संगीत से सजाया था. इसे शमशाद बेगम और सितारा कपूर ने गाया था. गीत के बोल हैं-

आई दीवाली दीप जला जा

आई दीवाली दीप जला जा

ओ मतवाले साजना

ओ मतवाले साजना

घर-घर ऐसे दीप चमके जैसे चांद सितारे

घर-घर ऐसे दीप चमके जैसे चांद सितारे

आजा आजा खड़ी मैं पुकारूं साजन के द्वारे

आजा आजा खड़ी मैं पुकारूं साजन के द्वारे...

दिवाली के गीतों का फ़िल्मांकन भी बहुत ही उत्साह वाला होता है. इससे त्यौहार का माहौल बन जाता है. साल 1950में आई फ़िल्म ‘शीश महल’ में दिवाली पर बहुत ही प्यारा गीत है. इसे नाज़िम पानीपती ने लिखा था और वसंत देसाई ने इसे संगीत दिया था. गीता दत्त और शमशाद बेगम ने इसे बहुत ही उमंग से गाया था. गीत के बोल हैं-

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आई है दिवाली सखि आई

सखि आई रे, आई है दिवाली

आज सखि री उजियारो ने

घर-घर ली अंगड़ाई रे

आज सखी री उजियारो ने

घर-घर ली अंगड़ाई रे

आई है दिवाली सखि आई...

दिवाली पर ज़मीन, तारों भरे आसमान का रूप धारण कर लेती है. दिवाली के गीतों में यह नज़ारा साफ़ झलकता है. साल 1951में आई फ़िल्म ‘स्टेज’ का दिवाली गीत भी कुछ ऐसा ही है. सरशार सैलानी के लिखे इस गीत को हुसनलाल-भगतराम ने संगीत से सजाया था. इसे आशा भोंसले ने गाया था. गीत के बोल हैं-

जगमगाती दिवाली की रात आ गई

जैसे तारों की घर में बारात आ गई

जगमगाती दिवाली की...

जैसे फूल के चेहरे पे रंग आ गया

जैसे कलियों को हंसने का ढंग आ गया

जैसे दुल्हन नसीहत से शरमा गई

जगमगाती दिवाली की...

दिवाली के गीतों में दीपों की बातें होती हैं और प्रेम-प्यार की बातें होती हैं. साल 1957में आई फ़िल्म ‘पैसा’ का दिवाली गीत भी ऐसा ही रंग लिए हुये है. इसे लालचंद बिस्मिल ने लिखा था और राम गांगुली ने इसे संगीत से सजाया था. मुहम्मद रफ़ी, गीता दत्त, शमशाद बेगम और मुबारक बेगम ने इसे अपनी आवाज़ दी थी. गीत के बोल हैं-

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दीप जलेंगे दीप दिवाली आई हो

हो दिवाली आई हो

आ रही है मन वीणा के तार हिलाने वाली

आ रही प्रिया प्रेम आलाप सुनने वाली

झननन झननन बाज रही है नूपुर की शहनाई

दीप जलेंगे दीप दिवाली आई हो...

दिवाली की रात में दमकते दीये आसमान के तारों से कुछ कम ख़ूबसूरत नहीं लगते. साल 1961में आई फ़िल्म ‘नज़राना’ का दिवाली गीत ख़ुद में ऐसी ही ख़ूबसूरती समेटे हुए है. राजेंद्र कृष्ण के लिखे इस गीत को रवि ने संगीत दिया था. इसे लता मंगेशकर ने गाया था. गीत के बोल हैं-

मेले हैं चिराग़ों के रंगीन दिवाली है

महका हुआ गुलशन है, हंसता हुआ माली है

इस रात कोई देखे धरती के नज़ारों को

शरमाते हैं ये दीपक आकाश के तारों को

इस रात का क्या कहना, ये रात निराली है...

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त्यौहार ग़मज़दा लोगों के लिए उदासी का सबब भी होते हैं. साल 1962की फ़िल्म ‘हरियाली और रास्ता’ का दिवाली गीत कुछ ऐसा ही है. शैलेन्द्र के लिखे इस गीत को शंकर जयकिशन ने संगीत दिया था. इसे लता मंगेशकर और मुकेश ने गाया था. गीत के बोल हैं-

लाखों तारे आसमान में, एक मगर ढूंढे ना मिला

देख के दुनिया की दीवाली, दिल मेरा चुपचाप जला

दिल मेरा चुपचाप जला...

क़िस्मत का है नाम मगर, काम है ये दुनिया वालों का

फूंक दिया है चमन हमारे ख़्वाबों और ख़्यालों का

जी करता है ख़ुद ही घोंट दें, अपने अरमानों का गला

देख के दुनिया की दीवाली...

त्यौहार हमें कोई न कोई संदेश ज़रूर देते हैं. साल 1964में आई फ़िल्म ‘संत ज्ञानेश्वर’ का गीत मानवता का संदेश देता है. इस गीत को भरत व्यास ने लिखा था और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने इसे संगीत से सजाया था. लता मंगेशकर ने इसे अपनी आवाज़ दी थी. इस गीत में फ़लसफ़ा है, जिसने इसे अमर कर दिया. गीत के बोल हैं-

ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो

राह में आए जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो

जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला

जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभु का प्यारा

प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो...

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दिवाली पर सबसे ज़्यादा बच्चे ही ख़ुश होते हैं. बड़ों के लिए तो त्यौहार बस रस्म अदायगी तक ही सीमित होकर रह गए हैं. साल 1973में आई फ़िल्म ‘जगनू’ का दिवाली गीत भी बहुत प्यारा है. बच्चों को यह गीत बहुटी पसंद है. आनंद बख्शी के लिखे इस गीत को आरडी बर्मन ने संगीत दिया था. किशोर कुमार ने इसे गाया था. गीत के बोल हैं-

छोटे-छोटे नन्हे मुन्ने प्यारे प्यारे रे

बच्चे सच्चे जग के उजियारे रे

दीप दिवाली के झूठे, रात जले सुबह टूटे...