जयनारायण प्रसाद/ कोलकाता
हिंदुस्तानी फिल्म उद्योग की मर्लिन मुनरो समझी जाने वाली अभिनेत्री मधुबाला का जन्म 'वेलेंटाइन डे' के दिन 14फरवरी, 1933 को हुआ था.बदकिस्मती मधुबाला के साथ ताउम्र लगी रही.वह गुज़री भी तो महज़ 36 साल की उम्र में 23 फरवरी, 1969 को.
दो दशक से भी ज्यादा रहा मधुबाला का फिल्मी सफर
'वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' के खिताब से नवाजी गईं अभिनेत्री मधुबाला का फिल्मी सफर दो दशकों से भी ज्यादा रहा.करीब 22सालों के अपने फिल्मी करियर में मधुबाला ने अमूमन 72फिल्में की.
उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में 'नील कमल' (1947), 'महल' (1949), 'बादल' (1951), 'तराना' (1951), 'अमर' (1954), 'मिस्टर एंड मिसेज 55' (1955), 'चलती का नाम गाड़ी' (1958), 'हावड़ा ब्रिज' (1958), 'काला पानी' (1958) और के. आसिफ निर्देशित एपिक फिल्म मुगल-ए-आज़म' (1960) है.
पहली अभिनेत्री, जिन्हें मिला पहला फिल्मफेयर अवार्ड
मधुबाला, हिंदुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की वह पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें फिल्मफेयर अवार्ड से नवाज़ा गया था.फिल्म थीं 'मुगल-ए-आज़म.' इस फिल्म को रिलीज हुए 64साल हो रहे हैं.दो घंटा 57 मिनट की 'मुगल-ए-आज़म' पूरे देश में 5 अगस्त, 1960 को रिलीज़ हुई थीं.
इस फिल्म में मधुबाला बनी थीं अनारकली और दिलीप कुमार साहब बने थे प्रिंस सलीम.क्या खूबसूरत फिल्म थीं 'मुगल-ए-आज़म' ! आज भी सिनेमा हॉल में यह आती है, तो 'अनारकली' (मधुबाला) और प्रिंस सलीम (दिलीप कुमार) का अभिनय देखने के लिए लोग टूट पड़ते हैं.
मधुबाला की पहली फिल्म थीं 'वसंत' (1942)
किस्मत की मारी मधुबाला के परिवार वालों को उसका सिनेमा की दुनिया में जाना नागवार था.उसके परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि आखिरकार मधुबाला को फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ना ही पड़ा.शुरू-शुरू में मधुबाला ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली से जुड़ीं.वहीं एक रोज 'बंबई टॉकीज' के जनरल मैनेजर राय बहादुर चुनीलाल से उसके अब्बा की मुलाकात हुई.
चुनीलाल ने मधुबाला के अब्बा को मुंबई जाने की सलाह दी.इस तरह , मधुबाला का परिवार मुंबई आया और मधुबाला की बदनसीबी दूर होती गईं.
मधुबाला के 11 भाई-बहन
अपने 11 भाई-बहनों में मधुबाला पांचवीं संतान थीं.पिता का नाम था अताउल्लाह खान.मां का नाम था आयशा बेगम मधुबाला का पैदाइशी नाम था.मुमताज़ जहाँ बेगम देहलवी.उसके 11भाई-बहनों में एकमात्र बहन ज़ाहिदा ही कुछ पढ़ी-लिखी थीं.बाकी के सभी अपढ़ थे.मधुबाला तो हिंदी और उर्दू का लफ्ज़ भी पढ़ नहीं पाती थी.
बंबई आने के बाद मलाड में रहता था मधुबाला का परिवार
'बंबई टॉकीज' के जनरल मैनेजर रायबहादुर चुन्नीलाल की सलाह पर मधुबाला के अब्बा अताउल्लाह खान बंबई तो आ गए, लेकिन रहने की समस्या थी.आखिरकार, एक दोस्त की मदद से बंबई के मलाड में अताउल्लाह खान को किराए का मकान मिला.
उसके बाद चुन्नीलाल ने 'बंबई टॉकीज' की मालकिन देविका रानी से उन लोगों का परिचय कराया.इस तरह मिली थी मधुबाला को पहली फिल्म.
मधुबाला की पहली फिल्म थी 'वसंत'
यह सन् 1942 का वाकया है.'बंबई टाकीज़' के बैनर तले एक फिल्म बन रही थीं 'वसंत'.इस फिल्म के नायक थे उल्हास और नायिका थीं मुमताज़ शांति.इस फिल्म को डायरेक्ट कर रहे थे अमिय चक्रवर्ती.थोड़े-से टेस्ट के बाद मधुबाला को रख लिया गया 150रुपए की माहवारी सैलरी पर.
मधुबाला तब देखने में काफी खूबसूरत थीं.देविका रानी ने उसे 'बेबी मुमताज़' के नाम से बुलाना शुरू किया और वह फिल्म 'वसंत' में बेबी मुमताज़ बनकर आईं.कहते हैं कि 'वसंत' बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क गई, लेकिन बेबी मुमताज़ का काम ठीक-ठाक रहा.
रणजीत मूवीटोन के लिए 300रुपए में जुड़ी मधुबाला
अमिय चक्रवर्ती की फिल्म 'वसंत' की नाकामी के बाद मधुबाला को ज्यादा काम नहीं मिला.कहते हैं कि मधुबाला का परिवार फिर दिल्ली लौट गया था.लेकिन, इसी बीच किसी ने मधुबाला के अब्बा से कहा, बंबई में मधुबाला के लिए रणजीत मूवीटोन में काम है.
वे लोग मधुबाला को तलाश रहे हैं.इतना सुनने के बाद उसके अब्बा अताउल्लाह खान ने पूरे परिवार को लेकर फिर बंबई की ओर रुख़सत किया.रणजीत मूवीटोन का तब सारा काम चंदूलाल शाह देखते थे.
अताउल्लाह खान की मुलाकात चंदूलाल शाह से हुई और मधुबाला फिर काम पर रख ली गई। कहते हैं कि मधुबाला को तीन सौ रुपए माहवारी मिलता था.'बेबी मुमताज़' के नाम से ही मधुबाला ने रणजीत मूवीटोन के लिए पांच फिल्में भी की.
14 वर्ष की उम्र में मधुबाला को मिली फिल्म 'नीलकमल'
बच्ची का रोल करते-करते एक दिन वह बेबी मुमताज़ से मधुबाला बन गई.तब उम्र 14साल की थीं.14साल की उम्र में मधुबाला को केदार शर्मा की फिल्म 'नील कमल' मिलीं.इस फिल्म में लीड भूमिका राजकपूर और मधुबाला की थीं.बेग़म पारा भी थीं 'नील कमल' में, लेकिन मुख्य किरदार राजकपूर और मधुबाला का ही था. निर्देशक केदार शर्मा का तब बड़ा नाम था.कहते हैं कि केदार शर्मा जिनके माथे पर हाथ रख देते थे, वह सिनेमा में चल निकलता था.
फिल्म 'नील कमल' से मधुबाला की किस्मत खुल गई.'नील कमल' 24 मार्च, 1947 को रिलीज़ हुई थीं.इस फिल्म में तब के मशहूर गायिकाओं ने इसमें गाना गाया था.ज़ोहराबाई अम्बालेवाली, गीता दत्त और राजकुमारी दुबे की आवाज के अलावा मुकेश और स्नेहल भटकल ने भी इस फिल्म में गाना गाया था। केदार शर्मा की 'नीलकमल' हिट फिल्मों में शुमार है.
फिल्म 'हावड़ा ब्रिज' करने के बाद से ही मधुबाला बीमार रहने लगी
फिल्म 'हावड़ा ब्रिज' करने के बाद से ही मधुबाला बीमार रहने लगी थीं.मधुबाला के दिल में बचपन से ही छेद था, जिसे मेडिकल जुबान में 'वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट' कहा जाता है.उस समय इस बीमारी की दवा नहीं निकली थी.दिल में छेद की इस बीमारी के कारण मधुबाला नौ साल तक बिस्तर पर रहीं.इन नौ सालों में उसका इलाज दो साल लंदन में भी हुआ.
जेम्स बुर्के ने खींची थीं मधुबाला की लाज़वाब तस्वीरें
कहते हैं कि मधुबाला जब इलाज के लिए लंदन में थीं, तभी मधुबाला की खास तस्वीरें अमेरिका के मशहूर फोटोग्राफर जेम्स बुर्के ने खींची थीं.इसकी खबर मिलते ही जेम्स बुर्के अमेरिका से लंदन आए और 'लाइफ' मैगजीन के लिए मधुबाला को शूट किया.
मधुबाला की जिंदगी में कई लोग
अभिनेत्री मधुबाला की जिंदगी में कई शख्स आए, लेकिन उसकी शादी गायक किशोर कुमार से हुई.16अक्टूबर, 1960को हुई थी किशोर कुमार और मधुबाला की शादी.बीमारी की वजह से मधुबाला दांपत्य सुख से वंचित रहीं.
यह भी कहा जाता है कि गायक किशोर कुमार से पहले मधुबाला की जिंदगी में अभिनेता प्रेमनाथ और दिलीप कुमार भी आए थे, लेकिन मधुबाला ने दोनों को 'ना' कह दिया था.
जुहू के कब्रिस्तान में दफन मधुबाला
23 फरवरी, 1969 को अभिनेत्री मधुबाला का इंतकाल हुआ.तब मधुबाला की उम्र महज़ 36साल थीं.मुंबई के जुहू स्थित सांताक्रुज कब्रगाह में दफ़नाया गया.यह वही कब्रगाह है, जहां मशहूर गायक मोहम्मद रफी, नौशाद, साहिर लुधियानवी, ख़्वाजा अहमद अब्बास और सरदार अली जाफ़री को दफनाया गया है.