मुंबई
मशहूर संगीतकार ए.आर. रहमान, जिनका नाम भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीत जगत में एक प्रतिष्ठित पहचान बन चुका है, हाल ही में एक विवाद के केंद्र में आ गए, जब गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने उन पर तकनीकी संगीत और कंप्यूटर आधारित ध्वनि निर्माण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. अभिजीत ने रहमान पर यह भी तंज कसा कि वे पुराने जमाने के पारंपरिक संगीतकारों की उपेक्षा कर रहे हैं.
अभिजीत ने कई मौकों पर कहा कि रहमान का संगीत भावनाओं से दूर होता जा रहा है और वह पारंपरिक वाद्ययंत्रों और संगीतकारों की जगह कंप्यूटर जनित तकनीक का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं.. इस पर पहले तो रहमान ने चुप्पी साधी रखी, लेकिन अब उन्होंने एक साक्षात्कार में बेहद शालीनता और सौम्यता के साथ अपना पक्ष रखा है.
रहमान ने कहा, "सारा दोष मुझ पर डालना बहुत सुविधाजनक है, है न? मैं अभी भी अभिजीत से प्यार करता हूं. मैं उन्हें केक भेज सकता हूं."
उन्होंने स्पष्ट किया कि हर किसी को अपनी राय रखने का अधिकार है और वह इसे पूरी तरह स्वीकार करते हैं.
रहमान ने यह भी बताया कि उनके संगीत में आज भी वास्तविक संगीतकारों की अहम भूमिका होती है. उन्होंने कहा, "मैं हमेशा असली कलाकारों के साथ काम करना पसंद करता हूं. हाल ही में मैंने दुबई में 60 महिला संगीतकारों के साथ एक ऑर्केस्ट्रा बनाया है. उन्हें वेतन, स्वास्थ्य बीमा और अन्य सभी सुविधाएं दी जा रही हैं."
उन्होंने आगे बताया कि फिल्मों जैसे ‘छावा’ और ‘पोन्नियिन सेल्वन’ में 200 से 300 तक संगीतकारों ने एक साथ काम किया है, और कई बार एक ही गाने में 100 से अधिक कलाकार शामिल होते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इन प्रयासों का सोशल मीडिया पर प्रचार नहीं करते, इसलिए कई बार लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती.
रहमान का मानना है कि तकनीक और परंपरा का संतुलन ही आज के संगीत की ज़रूरत है. उनका जवाब आलोचना के बजाय एक प्रेरणादायक संवाद बनकर सामने आया है, जिससे संगीत जगत में संयम और परिपक्वता की मिसाल कायम हुई है.
जहां एक ओर अभिजीत की टिप्पणियां चर्चा में रहीं, वहीं रहमान ने अपने जवाब से यह दिखा दिया कि बड़ा कलाकार वह होता है जो आलोचना को भी गरिमा और शांति से संभालता है. उनकी सोच और काम करने का तरीका आज भी नए और पुराने दोनों पीढ़ियों के संगीत प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा है.