आईआईएम अहमदाबाद की स्थापना के पीछे विक्रम साराभाई का लव ट्रायंगल

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 09-08-2023
आईआईएम अहमदाबाद की स्थापना के पीछे विक्रम साराभाई का लव ट्रायंगल
आईआईएम अहमदाबाद की स्थापना के पीछे विक्रम साराभाई का लव ट्रायंगल

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
आईआईएम अहमदाबाद, एक ऐसा इंस्टीट्यूट जहां पढ़ना हर एक छात्र का सपना होता है, लेकिन यहां एडमिशन मिलना बच्चों का खेल नहीं है. लेकिन एक बार जिसे यहां एडमिशन मिल गया उसकी लाइफ बन जाती है, क्योंकि यहां से पास आउट हुए बच्चों को अच्छे पैकेज वाली नौकरी मिल जाती है. आईआईएम अहमदाबाद भारत के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में से एक है. लेकिन इतने बड़े शिक्षण संस्थान की कहानी एक प्रेम कहानी से शुरू हुई है, यह आप लोग नहीं जानते होंगें.

आपको बता दें कि इसे बनाने में साइंटिस्ट विक्रम साराभाई का बहुत बड़ा योगदान था, या ये कहें कि अपने प्यार को पास रखने के लिए उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद बनवाया था तो गलत नहीं होगा. 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में जन्में विक्रम साराभाई के पिता अंबालाल बड़े बिज़नेसमैन और सोशलवर्कर थे. आज़ादी की लड़ाई के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के लिए दान भी दिया था.
 
स्कूल खत्म होने पर विक्रम ने अहमदाबाद का गुजरात कॉलेज ज्वाइन कर लिया, लेकिन बीच में ही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए. 1939 में नेचुरल साइंसेज़ में डिग्री हासिल की. विक्रम ने कैंब्रिज से ही पीएचडी भी की थी. जिस साल उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की उसी साल देश आज़ाद हुआ था. 28 साल की उम्र में उन्होंने फिज़िकल रिसर्च लैबोरेट्री बनाई. विक्रम साराभाई की शादी मृणालिनी से हुई थी.
 
आईआईएम की एक खूबसूरत प्रेम कहानी जिससे आईआईएम अहमदाबाद का जन्म हुआ. विक्रम साराभाई बहुत आशिक मिजाजॉ थे. शादी के बाद भी उनका कमला चौधरी के साथ अफेयर था. 
 
 
कमला उस समय ATIRA (अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ रिसर्च एसोसिएशन) में नौकरी करती थीं. लेकिन वो शादीशुदा साराभाई से दूर जाना चाहती थी इसलिए वो दिल्ली जाने के बारे में सोचने लगीं. उधर साराभाई किसी भी तरह से कमला को अहमदाबाद में रोके रखना चाहते थे, इसलिए पहले उन्हें फिज़िकल रिसर्च लैबोरेट्री की डायरेक्टरशिप ऑफर की. 
 
फिर लंदन के टैविस्टॉक इंस्टिट्यूट से गुहार लगाई कि उनका एक सेंटर अहमदाबाद में भी खोल दिया जाये. लेकिन बात नहीं बनी, उसके बाद विक्रम साराभाई ने सरकार से पैरवी की और कहा कि बॉम्बे को छोड़कर अहमदाबाद में आईआईएम खुलवाया जाए और ऐसा हो गया. अहमदाबाद में आईआईएम खुला और कमला चौधरी उसकी पहली रिसर्च डायरेक्टर बनीं. इस तरह से विक्रम साराभाई ने अपने प्यार को पास रखने के लिए देश के टॉप इंस्टीट्यूट की शुरुआत की.
 
उस दौरान वह अहमदाबाद में काम करने वाली कमला चौधरी को डेट कर रहे थे. विक्रम साराभाई उनसे इतना प्यार करते थे कि उन्होंने अपने वर्क प्रोजेक्ट्स में बदलाव भी कर दिए थे. सिर्फ इसलिए कि वह कमला चौधरी के करीब रहना चाहते थे, उन्होंने भारत सरकार को आईआईएम योजना में ठोस बदलाव करने के लिए मना लिया. IIM जिसे मुंबई में स्थापित किया जाना था, उसे अहमदाबाद में स्थानांतरित कर दिया गया.
 
सुधीर कक्कड़ ने अपने लेखन में आईआईएम लव एंगल को उठाया... वह कमला चौधरी के भतीजे हैं. अपनी पुस्तक में... वे लिखते हैं कि जब आईआईएम की स्थापना की योजना चल रही थी, तो सरकार ने फैसला किया कि दो परिसर बॉम्बे और कोलकाता में स्थापित किए जाएंगे... भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई ने उस अवधि के दौरान कई संस्थानों की स्थापना की थी और आईआईएम फिर से उनके दिमाग की उपज थी.
 
वाकई कमला के लिए विक्रम साराभाई का प्यार सच्चा था और आज उनके प्यार का फायदा सैकड़ों छात्रों को मिल रहा है, जो आईआईएम अहमबदाबाद जैसे प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट में पढ़ रहे हैं.
 
इस कहानी की पुष्टि विक्रम साराभाई की बेटी ने भी की है. आइए अब प्यार के पहलू से हटकर IIM की वास्तविक कहानी की ओर बढ़ते हैं. भारत में पहला आईआईएम 13 नवंबर 1961 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कोलकाता के नाम से स्थापित किया गया और इसका मुख्य परिसर कलकत्ता में है. एमबीए करने के लिए ये भारत का टॉप कॉलेज माना जाता है और वहां पढ़ाई करना कई बच्चों का सपना है. आईआईएम कॉलेजों के कारण ही आज भारत का नौजवान बिजनेस सेक्टर में तरक्की कर रहा  है.
 
"भारतीय प्रभाव संस्थान" यानी कि आईआईएम को भारत सरकार ने "राष्ट्रीय महत्व का संस्थान" घोषित किया है. भारत में 20 आईआईएम जो विभिन्न एमबीए, पीजीपी, पीजीडीएम, कार्यकारी एमबीए और फेलोशिप कार्यक्रम पेश करते हैं. शीर्ष 3 आईआईएम सबसे पुराने परिसर हैं. 
 
IIM अहमदाबाद और IIM कलकत्ता की स्थापना 1961 में हुई थी. IIM बैंगलोर की स्थापना 12 साल बाद 1973 में हुई थी. 2008 और 2016 के बीच, 14 IIM की स्थापना की गई थी. भारत के हर आईआईएम कॉलेज में 2400 सीटें होती हैं जिसमें छात्रों को कैट परीक्षा पास करनी होती है. ये कॉलेज कॉर्पोरेट के साथ-साथ सरकारी क्षेत्रों में अपने उच्च-भुगतान वाले प्लेसमेंट अवसरों के लिए भी जाने जाते हैं.
 
भारत के शीर्ष प्रबंधन संस्थानों की एनआईआरएफ-एमएचआरडी रैंकिंग में 20 में से छह आईआईएम शीर्ष 10 में शामिल हैं. IIM अहमदाबाद, IIM बैंगलोर और IIM कलकत्ता दुनिया में प्रबंधन शिक्षा के लिए शीर्ष 50 संस्थानों की सूची में अपना नाम रखते हैं.