सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की उच्च शिक्षा डिग्री असंवैधानिक घोषित, छात्रों का भविष्य अधर में

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-11-2024
The higher education degree of Uttar Pradesh Madrasa Board declared unconstitutional by the order of the Supreme Court, the future of the students is in limbo
The higher education degree of Uttar Pradesh Madrasa Board declared unconstitutional by the order of the Supreme Court, the future of the students is in limbo

 

आवाज द वाॅयस / लखनऊ

 सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की उच्च शिक्षा की डिग्री—कामिल और फाजिल—को असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद प्रदेश के करीब 25,000 छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो गया है. कामिल और फाजिल डिग्रियों को पहले स्नातक और स्नातकोत्तर के बराबर माना जाता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के खिलाफ बताते हुए निरस्त कर दिया है.

शिक्षक संघ मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश के महासचिव जमान खान ने कहा कि इस फैसले से वर्तमान छात्रों के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं. अब मदरसा बोर्ड इन पाठ्यक्रमों की परीक्षा आयोजित नहीं कर पाएगा. उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है, लेकिन सरकार को इन छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए."

सरकार करेगी कानूनी समीक्षा

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रही है. कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद कोई निर्णय लेगी.. उन्होंने मदरसा छात्रों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से जोड़ने की संभावनाओं पर भी विचार करने का आश्वासन दिया.

मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने बताया कि वर्तमान में कामिल और फाजिल कोर्स में लगभग 25,000 छात्र पढ़ रहे हैं, जो भी निर्णय लिया जाएगा, बोर्ड उसका पालन करेगा.

पूर्व सदस्य ने की छात्रों को समायोजित करने की माँग

मदरसा बोर्ड के पूर्व सदस्य कमर अली ने कहा कि पहले भी इन डिग्रियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में मान्यता नहीं दी जाती थी, जिससे डिग्रीधारकों को ज्यादातर मदरसों में ही रोजगार मिल पाता था. उन्होंने सरकार से इन छात्रों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में समायोजित करने का आग्रह किया.

मदरसा बोर्ड ने पहले सरकार से अनुरोध किया था कि कामिल और फाजिल डिग्री के छात्रों को लखनऊ स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू-अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में समायोजित किया जाए, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है..

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और विवाद

5 नवंबर के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, लेकिन उच्च शिक्षा से जुड़े प्रावधानों को असंवैधानिक ठहराया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यूजीसी अधिनियम के तहत उच्च शिक्षा के मानकों का नियमन किया जाता है और राज्य कानून को इस क्षेत्र में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है.

अब देखना यह है कि सरकार इन छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाएगी और क्या उन्हें मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में समायोजित करने का कोई समाधान निकाला जा सकेगा.