मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ ने सांस्कृतिक विविधता और समावेशिता पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत का दर्शन 'वसुधैव कुटुंबकम्' और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' सामाजिक सौहार्द और वैश्विक एकता के मूल स्तंभ हैं.उन्होंने कहा कि इन विचारों ने भारत को हमेशा दुनिया में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है." उन्होंने भारतीय संस्कृति की व्यापकता और उसकी सार्वभौमिक स्वीकार्यता को भी रेखांकित किया.
जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच, हंसराज कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित 5वें एचएचआरएस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.
इस सम्मेलन का मुख्य विषय "भारत और विस्तारित दक्षिण (दक्षिण-पूर्व) एशियाई देशों के बीच बढ़ते सहयोग का महत्व" रखा गया है. सम्मेलन का उद्देश्य सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को सुदृढ़ करना और क्षेत्रीय संवाद को प्रोत्साहित करना है.
सम्मेलन में देश-विदेश से आए विशेषज्ञों और शोधार्थियों द्वारा कुल 32 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए.इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, लाओस, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के हिमालय अध्ययन केंद्र और जामिया मिलिया इस्लामिया के नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन के सहयोग से किया जा रहा है.
दीप प्रज्ज्वलन और अतिथि सत्कार
सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन और अतिथि सत्कार के साथ हुआ. मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू उपस्थित रहे, जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकारी सदस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार मुख्य वक्ता के रूप में सम्मेलन को संबोधित किया.
विशेष अतिथियों में प्रो. राधेश्याम शर्मा, प्रो. एन.पी. दीक्षित, प्रो. गुरमीत सिंह, प्रो. भागीरथी सिंह और वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी शामिल थे. इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम की अध्यक्षता जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आशिफ और लेफ्टिनेंट जनरल आर.एन. सिंह ने की.
केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने अपने संबोधन में कहा,"भारत अपनी संस्कृति और मूल्यों के कारण विश्व में एक अलग पहचान रखता है. ऐसे सम्मेलन 'वसुधैव कुटुंबकम्' और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' के विचार को आगे ले जाने में सहायक हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है और पूरी दुनिया भारत की सराहना कर रही है."
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मुख्य संरक्षक श्री इंद्रेश कुमार ने विचार रखते हुए कहा, "भारत के लिए ज्ञान और विज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण उसका चरित्र है. चरित्र ही संस्कृति है और समाज का कल्याण तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपने चरित्र में सुधार लाए. भारत हमेशा से ही संस्कृति और मूल्यों का अनुसरण करने वाला देश रहा है, जहाँ चरित्र और धर्म सर्वोपरि हैं."
उन्होंने आगे कहा कि,"मानवता की सर्वोच्च सीमा दूसरों के लिए जीना और उनकी सेवा करना है. भारत संपूर्ण समाज के कल्याण के लिए कार्य करने वाला देश है और अहिंसा को ही परम धर्म मानता है. इसी कारण भारत विश्व गुरु था, है और हमेशा रहेगा."
लेफ्टिनेंट जनरल आर.एन. सिंह ने कहा कि,"मैंने हमेशा देश की सेवा में अपना योगदान दिया है और प्रत्येक नागरिक के लिए देश सर्वोपरि होना चाहिए. आज के समय में लोग विदेशों में रहने को प्राथमिकता दे रहे हैं, लेकिन भारत जैसी आत्मीयता और संस्कृति कहीं और नहीं मिल सकती. भारत में विभिन्न संस्कृतियाँ और मूल्य हैं, जो इसकी विशेषता को दर्शाते हैं."
वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि,"कोरोना महामारी के दौरान भारत ने संयम और विवेक के साथ कार्य किया, जिससे पूरी दुनिया ने उसकी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अपनाया। आयुर्वेद और योग के महत्व को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया, जिससे भारत की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर को नई पहचान मिली."
तकनीकी सत्र
उद्घाटन सत्र के बाद, दो प्रमुख तकनीकी सत्र आयोजित किए गए.
पहला सत्र: "भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक संपर्क"
इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. राजीव नयन ने की, जबकि प्रमुख वक्ता डॉ. राजीव रंजन, डॉ. ध्रुबज्योति भट्टाचार्जी, डॉ. ज्योतिरूपा राउत, डॉ. पुम खान पौ और डॉ. सोफना श्रीचंपा रहे। इस सत्र का संचालन डॉ. बाल कृष्ण नेगी ने किया.
दूसरा सत्र: "भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच सांस्कृतिक संपर्क"
इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. चंद्राचूड़ सिंह ने की, जबकि वक्ता डॉ. राकेश कुमार, डॉ. प्राची अग्रवाल, डॉ. लिपी घोष और डॉ. संपा कुंडू रहे। इस सत्र का संचालन डॉ. संजीव कुमार ने किया.
सांस्कृतिक कार्यक्रम और समापन
सम्मेलन के पहले दिन का समापन एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसमें भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया की साझा सांस्कृतिक विरासत को खूबसूरत प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया. इस कार्यक्रम में भारतीय और दक्षिण-पूर्व एशियाई संगीत, नृत्य और पारंपरिक कलाओं की झलक देखने को मिली.
5वें एचएचआरएस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 2025 का पहला दिन अत्यंत सफल और विचारोत्तेजक रहा। यह सम्मेलन भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ.
आने वाले सत्रों में इन संबंधों को और गहराई से समझने और भविष्य की रणनीतियों को विकसित करने पर विस्तृत चर्चा की जाएगी. यह सम्मेलन वैश्विक समावेशिता और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.