फ़िरदौस ख़ान
दसवीं और बारहवीं जमात पास करने के बाद छात्रों के पास बस एक ही सवाल होता है कि वे आगे क्या करें? वे अकादमिक शिक्षा हासिल करें या तकनीकी शिक्षा हासिल करके अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाएं. वालिदैन भी इस सवाल को लेकर पसोपेश में रहते हैं. इसी समस्या का समाधान करेगा आवाज द वॉयस. अब हर शनिवार पढ़िए नए रास्ते.
अगर वे इस बारे में कोई फ़ैसला ले लेते हैं, तो फिर ये सवाल पैदा होता है कि किस संस्थान में दाख़िला लिया जाए. क्योंकि आज के दौर में किसी भी अच्छे संस्थान में दाख़िला लेना कोई आसान काम नहीं है. हर जगह दाख़िला लेने वाले छात्रों की लम्बी-लम्बी क़तारें लगी रहती हैं. डोनेशन और फ़ीस के तौर पर मोटी रक़म की ज़रूरत होती है, जिसे देना हर किसी के बस की बात नहीं होती.
आज हम देश के एक ऐसे ही संस्थान के बारे में बात कर रहे हैं, जो छात्रों को मुनासिब फ़ीस में बेहतर तालीम मुहैया करवा रहा है. इस संस्थान का नाम है शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट, जो कर्नाटक के बीदर में स्थित है.
ये देश का एक अग्रणी शैक्षणिक संस्थान है. ये दूर-दराज़ के इलाक़ों से आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग छात्रावास की सुविधाएं भी मुहैया करवा रहा है. इसके अलावा होनहार छात्र-छात्राओं को वज़ीफ़ा भी दे रहा है, ताकि पैसों की कमी की वजह से उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आए. विभिन्न पाठ्यक्रमों के अलावा ये संस्थान प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग की सुविधा भी मुहैया करवा रहा है.
शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट की स्थापना की दास्तां
कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. इस संस्थान की स्थापना की कहानी भी कुछ इस तरह ही है. क़ाबिले ग़ौर है कि डॉ. अब्दुल क़दीर अपने छोटे भाई के लिए एक अच्छा शिक्षण संस्थान तलाश रहे थे, लेकिन उन्हें अपने आसपास ऐसा कोई शिक्षण संस्थान नहीं मिला, जो उनकी सोच के मुताबिक़ हो और जिसमें वे अपने भाई का दाख़िला करवा सकें.
इसलिए उन्होंने अपना शिक्षण संस्थान खोलने का फ़ैसला किया. उन्होंने साल 1989 में बीदर में सिर्फ़ 17 बच्चों के साथ शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट की स्थापना की. उन्होंने वाजिब फ़ीस में बेहतर शिक्षा देने का लक्ष्य रखा. उन्हें अपने इस नेक इरादे में कामयाबी मिलने लगी और आज ये देश का एक अग्रणी शिक्षण संस्थान बन गया है. अब इस संस्थान में हज़ारों बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं.
देशभर में शाख़ाएं
शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट की देशभर के विभिन्न राज्यों में शाख़ाएं हैं.
कर्नाटक
कर्नाटक में बीदर के शाहीन नगर, मैलूर और गोले ख़ाना के अलावा राज्य के औराद, बसवकल्याण, चितगुप्पा, हुमनाबाद, बीजापुर, गुलबर्गा, रायचूर, बेलागावी यानी बेलगाम, हुबली, कोलार, जमखंदी, तुमकुरू, निपानी, हसन, शिवामोग्गा, रामनगर, कालाकेरी, अलंद और कालाबुरगी में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
तेलंगाना
तेलंगाना में हैदराबाद के मलकपेट, आरामघर, चार मीनार और टोली चौक के अलावा राज्य के निज़ामाबाद, मोइनाबाद और आदिलाबाद में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के मुम्बई के कुर्ला, कांदिवली और मीरा रोड के अलावा राज्य के पुणे, नांदेड़, औरंगाबाद, सांगली, परभणी, अकोला, बीड, मालेगांव, न्यू नासिक, लातूर, जलगांव और कोकण में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, अलीगढ़, नोएडा, मुज़फ़्फ़रनगर, आज़मगढ़ और बनारस में भी शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के भोपाल और रतलाम में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
बिहार
बिहार के पटना और सीवान में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के कोलकाता और हावड़ा में भी शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
दिल्ली
राजधानी दिल्ली के ओखला इलाक़े में भी शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के कडपा में शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.
राजस्थान
राजस्थान के उदयपुर में शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.
झारखंड
झारखंड के जमशेदपुर में शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.
जम्मू-कश्मीर
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.
आसाम
आसाम के सिलचर में शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.
विद्यालय
कर्नाटक के बीदर, बगदल, भालकी, चितगुप्पा, हालीखेड़, हुमनाबाद, उडुपी, मन्नाखेड़ी और महाराष्ट्र के परभणी में शाहीन के विद्यालय भी हैं, जो बच्चों को बेहतरीन तालीम दे रहे हैं. यहां बच्चों को किताबी तालीम के साथ-साथ बेहतर इंसान बनने की भी सीख दी जाती है.
नीट में शाहीन का परचम
नीट में शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट के छात्र कामयाबी के परचम लहरा रहे हैं. इस संस्थान के छात्र कार्तिक रेड्डी ने नीट परीक्षा में कर्नाटक में पहला और अरबाज़ अहमद ने तीसरा स्थान हासिल किया था. राष्ट्रीय स्तर पर इनका क्रमांक क्रमशः नौवां और 85वां रहा. इसके अच्छे नतीजों के मद्देनज़र देश के कोने-कोने से छात्र यहां पढ़ने के लिए आते हैं.
पांच करोड़ की स्कॉलरशिप
शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. अब्दुल क़दीर के मुताबिक़ शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट का मक़सद देश में ऐसे भावी रहनुमा तैयार करना है, जो न सिर्फ़ पूरी तरह से पेशेवर हों, बल्कि नैतिक मूल्यों का पालन करने वाले अच्छे इंसान भी हों.
यही वजह है कि ये संस्थान शिक्षण के क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है. वे कहते हैं कि चिकित्सक बनने की चाह रखने वाले छात्रों को नीट की तैयारी के लिए शाहीन द्वारा पांच करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप देने का फ़ैसला किया गया है. संस्थान का लक्ष्य है कि ये रक़म तक़रीबन 30 हज़ार छात्रों तक पहुंचाई जाए.
फ़ीस में कटौती
शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट का मक़सद सिर्फ़ मुनाफ़ा कमाना नहीं है, बल्कि ये छात्रों को शिक्षित करने के लिए कृत संकल्पित है. डॉ. अब्दुल क़दीर बताते हैं कि कोरोना काल में तालाबंदी की वजह से लोगों की माली हालत बहुत ख़स्ता हो गई थी और ऐसे में वे बच्चों की फ़ीस देने की हालत में नहीं थे. इसलिए संस्थान ने छात्रों की सहूलियत के लिए फ़ीस में 30 फ़ीसद की कटौती कर दी थी, ताकि उनकी पढ़ाई जारी रह सके.
मदरसों के छात्रों को मुख्यधारा में लाने की मुहिम
शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट का मक़सद शिक्षा को बढ़ावा देना है. वे मदरसों के ऐसे छात्रों को मुख्यधारा में लाना चाहती है, जो क़ुरआन हिफ़्ज़ कर चुके हैं, लेकिन वे दसवीं जमात पास नहीं कर पाए. इसके लिए शाहीन ने देशभर की 58 शिक्षण संस्थाओं के साथ समझौता किया है. इस मुहिम को मदरसा प्लस नाम दिया गया है.
इसके तहत अगले डेढ़ साल में मदरसों के दस हज़ार बच्चों को दसवीं पास करवाने में मदद की जाएगी, ताकि वे दसवीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई या कोई तकनीकी कोर्स करने के क़ाबिल बन जाएं.
दाख़िले
फ़िलहाल शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट द्वारा संचालित किए जा रहे विभिन्न पाठ्यकर्मों के लिए दाख़िले चल रहे हैं. इच्छुक छात्र-छात्राएं सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक दूरभाष नम्बर 1800 121 6235 पर संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए यहां
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