फरहान इसराइली / जयपुर
कोरोना काल में अचानक चले जाने वाले स्वर्गीय पिता बेटी ने पूरा कर दिया है. बेटी सबा नाज़ ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के साथ केंद्रीय विद्यालय बेंगलोर में लेक्चरर का कार्यभार ग्रहण कर लिया है.
राजधानी जयपुर में पढ़ी और शिक्षा नगरी कोटा की एक बेटी सबा नाज़ ने अपने स्वर्गीय पिता अख्तर हुसैन के सपने को पूरा करने के लिए पिता की इच्छानुसार कड़ी मेहनत की और आज वह सेंट्रल स्कूल, बेंगलुरु में केमिस्ट्री की लेक्चरर बनकर अपनी सेवायें दे रही हैं.
जब सबा नाज़ ने स्कूल में कार्यभार ग्रहण किया तो पिता के सपने की क्रियान्वित के समय वो भाव विहल हो उठी तब उनकी वाल्दा नाज़िमा अख्तर ने उन्हें ढांढस बँधाकर शांत किया.
सबा नाज़ जयपुर के एसएमएस नर्सिंग कॉलेज से एमएससी नर्सिंग कर रही थीं लेकिन सबा नाज़ के स्वर्गीय पिता ने उनके जीवन काल में अपनी बेटी सबा को केमिस्ट्री की स्कूल लेचररर बनने के लिए प्रेरित किया और एमएससी केमिस्ट्री में करने की इच्छा जताई इसी दौरान कोरोना काल आया और इस कोरोना ने सबा नाज़ के पिता सय्यद अख्तर हुसैन जो बूंदी कलेक्ट्रेट से सहायक निदेशक सांख्यिकी पद से तात्कालिक सेवानिवृत हुए थे उनका कोरोना में आस्कमिक निधन हो गया लेकिन सबा नाज़ ने हिम्मत नहीं हारी.
उसने पिता के सपने को पूरा करने के लिए एमएससी केमिस्ट्री में एडमिशन लिया और जयपुर यूनिवर्सिटी की टॉपर रहीं. फिर उन्होंने बी. ऐड किया इसी बीच सबा नाज़ ने नेट की परीक्षा पास की. इसके बाद केंद्रीय विद्यालय भर्ती प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया और पश्चिमी बंगाल में उनका इंटरव्यू हुआ और इस तरह राजस्थान की एक मात्र प्रतिभावांन केमिस्ट्री एम एस सी में टॉपर रही.
सबा नाज़ को केंद्रीय विद्यालय साक्षात्कार के बाद मेरिटोरियस होने की वजह से केमिस्ट्री लेचरर पद पर बेंगलोर सिटी सेंट्रल स्कूल में नियुक्त किया गया है. सबा नाज़ को पता है कि आगे जहाँ और भी हैं लेकिन उन्हें अपने स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करना थी. इसलिए पिता सय्यद अख्तर हुसैन की इच्छानुसार बेटी सबा नाज़ ने बेंगलोर केंद्रीय विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर लिया है.
इससे पूर्व सबा नाज़ बूंदी में सेकेंडरी, हायर सेकेंडरी, बीएससी में भी स्कूल और कॉलेज स्तर पर टॉपर रही हैं. सबा नाज़ की बेहतरीन सुरीली आवाज़ और उसमें रिधम उतार चढ़ाव होने से वोह बेस्ट फेमिली सिंगर भी हैं लेकिन जुगल जोड़ी में उन्होंने सिर्फ अपने स्वर्गिय पिता अख्तर हुसैन के साथ ही शामिलात गीत ग़ज़ल का गायन भी किया है.
सबा नाज़ अपनी इस कामयाबी के पीछे अपनी माँ नाज़िमा अख्तर जो खुद भी उर्दू की लेचरर हैं उनके साथ वे अपने ताया, बडे पापा उनके परिवार अपने परिवार बड़ी बहन को देते हुए कहती है कि जब उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टुटा था उनके कोई भाई नहीं था तब उक्त सभी परिजनों ने उन्हें हिम्मत दिलाई । उनकी माँ, बड़ी बहन अनम ने पिता की इच्छा की याद बनाये रखी.
सबा कहती है मैंने तो कोशिश की है लेकिन मेरी वाल्दा नाज़िमा अख्तर ने मुझे इस कोशिश को कामयाब करने में हर तरह की मदद की है. मैं अल्लाह का शुक्र अदा करती हूँ और खुदा से दुआ करती हूँ के अल्लाह मेरे वालिद को जन्नतुल फिरदोस में आला मुक़ाम अता फरमाए. सबा नाज़ अभी आगे पी एच डी करना चाहती है वोह अपने पिता की इच्छा को पूरी करने के साथ ही अब पी एच डी और उच्च अध्ययन के साथ आगे और इसी क्षेत्र में कोशिश करती रहेंगीं.