मदरसा सर्वेक्षण में खुलासा: मदरसा बोर्ड से पंजीकृत नहीं है दारुल उलूम देवबंद

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-01-2025
 Darul Uloom Deoband
Darul Uloom Deoband

 

लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर राज्य के मदरसों का सर्वेक्षण कराया गया. अब तक सहारनपुर जिले में 360 मदरसे सरकारी सहायता प्राप्त नहीं पाए गए हैं. इसके साथ ही सबसे बड़ा चौंकाने वाला खुलासा यह है कि देवबंद स्थित 156 साल पुराना मदरसा दारुल उलूम भी यूपी मदरसा बोर्ड में पंजीकृत नहीं है, बल्कि सोसाइटी एक्ट के तहत पंजीकृत है.

दरअसल, राज्य सरकार के आदेश के बाद जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने भी गैर सहायता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने के निर्देश दिए थे. तहसील स्तर पर टीम गठित कर सर्वे शुरू कराया गया. जिले में सर्वेक्षण कार्य 10 सितंबर 2022 को शुरू हुआ. सहारनपुर की सदर तहसील में गैर-सहायता प्राप्त मदरसों की संख्या सबसे अधिक है. सबसे कम सहायता प्राप्त मदरसे बेहट तहसील में पाए जाते हैं. चूंकि सर्वेक्षण अभी भी जारी है, ऐसे मदरसों की संख्या बढ़ सकती है.

उन्होंने कहा कि अब तक 360 से अधिक ऐसे मदरसों की पहचान की गई है जिन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है. सदर तहसील में सबसे अधिक 123 मदरसे हैं. जबकि सबसे कम मदरसे बेहट तहसील में पाए गए. हालांकि बेहट तहसील में सर्वेक्षण जारी है. अधिकारियों का कहना है कि बेहट तहसील में मदरसों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. डीएम सर्वे रिपोर्ट तैयार कर 15 नवंबर 2022 तक शासन को भेजेंगे.

जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने बताया कि सर्वे टीम निर्धारित प्रारूप पर रिपोर्ट तैयार कर रही है. पाठ्यक्रम, स्थापना वर्ष, संस्थापक, संचालन संस्थान, छात्रों की संख्या, मदरसों को सरकारी सहायता, शिक्षकों की संख्या आदि पर बिंदुवार सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

डीएम अखिलेश सिंह ने बताया कि अब तक 360 मदरसे चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें सरकार से कोई सहायता नहीं मिल रही है. दारुल उलूम भी उनमें से एक है, लेकिन यह सोसाइटीज एक्ट के तहत पंजीकृत है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि यह अवैध है. सर्वेक्षण को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है.

उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण का उद्देश्य यह पता लगाना है कि कितने मदरसों को सरकार से सहायता मिल रही है. सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को अल्पसंख्यक विभाग में पंजीकृत होना आवश्यक है, लेकिन जिन मदरसों को सरकारी सहायता नहीं मिलती, उन्हें तब तक अवैध नहीं कहा जा सकता, जब तक यह पुष्टि न हो जाए कि उन्हें मिलने वाली सहायता का स्रोत वैध है. नहीं.

आपको बता दें कि राज्य सरकार द्वारा गैर-सहायता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण के खिलाफ दारुल उलूम देवबंद में यूपी मदरसों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया था. इसमें मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसों का सर्वेक्षण कराना सरकार का अधिकार है. मदरसों में कोई भी अवैध गतिविधि नहीं होती. यह पता लगाना सरकार की जिम्मेदारी है कि क्या कोई अस्तित्व में है. गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण पर आयोजित सम्मेलन में दारुल उलूम देवबंद ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि सर्वेक्षण से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सर्वेक्षण में सहयोग करें और पूरी व सही जानकारी उपलब्ध कराएं.