आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के सामाजिक समावेशन अध्ययन केंद्र (सीएसएसआई) ने जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में “संस्कृति और स्थिरता की संरक्षक के रूप में आदिवासी महिलाएं” विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया. यह दिन महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती के रूप में मनाया जाता है.
कार्यक्रम का शुभारंभ सीएसएसआई के विषय संघ के छात्र सलाहकार डॉ. अरविंद कुमार ने मुख्य अतिथि जेएमआई के रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी, अध्यक्ष प्रो. मुस्लिम खान, सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन और सीएसएसआई की मानद निदेशक प्रो. तनुजा का स्वागत कर किया.
इस अवसर पर प्रतिष्ठित वक्ताओं में डॉ. गोमती बोदरा हेम्ब्रोम और डॉ. पूर्णिमा कुमारी ओरांव ने आदिवासी महिलाओं द्वारा सांस्कृतिक निरंतरता और पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखने में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिकाओं पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने इस पर चर्चा की कि कैसे आदिवासी महिलाएं पारंपरिक ज्ञान की संरक्षक बनकर पारिस्थितिक संतुलन और सामुदायिक कल्याण को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाती हैं.
यह कार्यक्रम जेएमआई की विविध संस्कृतियों को समझने और उनके प्रति सम्मान बढ़ाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. सामाजिक समावेशन अध्ययन केंद्र को इस सार्थक चर्चा का आयोजन करने पर गर्व है, जिसमें टिकाऊ प्रथाओं के संरक्षण और उन्नति में आदिवासी महिलाओं के योगदान पर जोर दिया गया.
पैनल चर्चा में छात्रों, शिक्षकों और आम लोगों ने उत्सुकता से भाग लिया, जो आदिवासी समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका और भारतीय समाज में उनके योगदान के बारे में अधिक जानने के लिए आए थे..