नई दिल्ली. उर्दू माध्यम शिक्षक विकास अकादमी, जामिया मिलिया इस्लामिया और राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल), नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से उर्दू भाषा और साहित्य शिक्षणरू मुद्दे और आधुनिक तरीके पर एक सेमिनार का आयोजन किया है. प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर) विषय पर एक संयुक्त एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
सेमिनार का उद्घाटन सत्र 18 दिसंबर, 2024 को विश्वविद्यालय के सीआईटी कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित किया गया. देश भर से प्रमुख शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों और छात्रों ने उर्दू माध्यम से उर्दू भाषा के शिक्षण, सीखने और शिक्षा में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए सेमिनार में भाग लिया. सेमिनार में उर्दू को एक भाषा और शिक्षा के माध्यम के रूप में बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला गया.
सेमिनार के उद्घाटन सत्र की शुरुआत सेमिनार के आयोजन सचिव डॉ. वाहिद नजीर के गर्मजोशी भरे स्वागत के साथ हुई. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय प्रोफेसर मजहर आसिफ, शेख-उल-जामिया, जामिया मिलिया इस्लामिया ने की. एनसीपीयूएल का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ. कलीमुल्लाह ने अपने स्वागत भाषण में सेमिनार की महत्ता और महत्व पर प्रकाश डाला तथा मातृभाषा के महत्व पर बल दिया.
बैठक के दौरान, विशिष्ट अतिथियों द्वारा दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का भी लोकार्पण किया गया. डॉ. ए. वाहिद नजीर की पुस्तक ‘पेशनामे’ और पुस्तक ‘न्यू ट्रेंड्स इन पेडागॉजी’ एनईपी 2020 प्रॉस्पेक्ट्स एंड चौलेंजेसश् प्रोफेसर जसीम अहमद, प्रोफेसर रूही फातिमा, डॉ. इरम खान और डॉ. अंसार अहमद द्वारा संकलित और संपादित. पुस्तक विमोचन ने कार्यक्रम के उत्साह को और बढ़ा दिया.
जामिया मिलिया इस्लामिया के शेख-उल-जामिया के प्रोफेसर मजहर आसिफ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सामाजिक-भाषाई जागरूकता और अंतर-सांस्कृतिक संवाद के साथ-साथ भारत की भाषाई विविधता का उल्लेख किया.
एपीडीयूएमटी के मानद निदेशक प्रोफेसर जसीम अहमद ने छात्रों के जीवन में शिक्षकों की भूमिका के बारे में बताते हुए उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया. उन्होंने शिक्षकों की मांगों और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के सतत और सतत व्यावसायिक विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि एक अच्छे शिक्षक को एक अच्छा शोधकर्ता भी होना चाहिए.
मुख्य वक्ता, प्रोफेसर मुहम्मद फारूक अंसारी, अध्यक्ष, डीईएल ने सेमिनार विषय का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया, तथा आज के शैक्षिक और व्यावसायिक संदर्भ में मातृभाषा के महत्व पर बल दिया. शिक्षा विभाग की डीन प्रोफेसर सारा बेगम ने छात्रों के सर्वांगीण एवं समग्र विकास में भाषा के महत्व का उल्लेख किया. उद्घाटन सत्र का समापन जामिया मिलिया इस्लामिया के उर्दू माध्यम शिक्षकों की प्रतिभा विकास अकादमी की सहायक प्रोफेसर डॉ. हिना आफरीन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.
सेमिनार को पांच तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक सत्र में मुख्य विषय के उप-विषयों पर चर्चा की गई. सेमिनार के उपशीर्षक इस प्रकार थे - प्रथम एक विषय के रूप में उर्दू और स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शिक्षा के माध्यम से उर्दू, द्वितीय उच्च शिक्षा एवं उर्दू शिक्षण एवं अधिगम की स्थिति, तृतीय शिक्षा में डिजिटलीकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं और चतुर्थ उर्दू माध्यम के छात्रों के लिए कैरियर के अवसर, चुनौतियाँ और समाधान.
एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न महत्वपूर्ण विश्वविद्यालयों जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के साथ-साथ अन्य संस्थानों के प्रख्यात विशेषज्ञों ने भाग लिया. पांच तकनीकी सत्रों में कुल चालीस पेपर पढ़े गए और उन पर चर्चा की गई.
सेमिनार का समापन एक समापन सत्र के साथ हुआ, जिसमें सभी सत्रों की चर्चाओं का सारांश प्रस्तुत किया गया तथा प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया. समापन सत्र की अध्यक्षता जामिया मिलिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के प्रोफेसर शहजाद अंजुम ने की और प्रोफेसर शाहपर रसूल विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए. प्रोफेसर शाहपर रसूल ने अपने व्याख्यान में उर्दू के साहित्यिक महत्व और शिक्षा के क्षेत्र में इसके महत्व पर प्रकाश डाला.
प्रोफेसर शहजाद अंजुम ने उर्दू माध्यम के शिक्षकों के व्यावसायिक विकास में अकादमी की भूमिका पर जोर दिया. सेमिनार के समन्वयक, डॉ. हिना आफरीन, सहायक प्रोफेसर और डॉ. नौशाद आलम, अनुवादक, उर्दू माध्यम शिक्षक विकास अकादमी, जामिया मिलिया इस्लामिया ने कार्यक्रम को सुचारू और कुशल तरीके से आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कई उप-शीर्षकों के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ पेपर के लिए पुरस्कार दिए गए तथा लेखकों को प्रमाण-पत्र भी दिए गए. डॉ. नौशाद आलम द्वारा आभार व्यक्त करने के बाद समापन सत्र स्थगित कर दिया गया.