मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) की चेयरपर्सन प्रो. सरोज शर्मा ने कहा कि जमीयत ए उलेमा हिन्द समाज में शिक्षा को लेकर जो काम कर रही है, वह तारीफ के काबिल है. संस्था का प्रयास है, बच्चों को तालीम के मैदान में आगे बढ़ाना और उन्हें रोजी रोटी, जीवन जीने की कला सिखाना. इसकी तारीफ करती हूं. वह मदरसे के बच्चों को राष्ट्र के मुख्यधारा में लाने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रो शर्मा ने कहा मदरसे के बच्चे हमारा भविष्य बन सकते हैं. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान में जिस तरह से इनका प्रदर्शन है,वह दिखाता है कि कितने ज्यादा जागरूक हैं.कितनी गंभीरता से पढ़ाई कराई जा रही है.
मदरसे के जिन बच्चों ने तालीम हासिल की है, यदि वे स्किल में महारत कर लें तो आगे वे सेल्फ डिपेंडेंट बन जाएंगे. उन्हांेने कहा, एनआईओएस मदरसे के बच्चों को नई शिक्षा नीति से जोड़ रही है. इससे बदलाव जरूर आएगा.
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) की चेयरपर्सन प्रो. सरोज शर्मा ने यह बातें जमीयत उलेमा ए हिन्द के हेड ऑफिस में एनआईओएस की परीक्षा में कामयाबी हासिल करने वाले मदरसों के बच्चों के सर्टिफिकेट वितरण समारोह में कहीं.
मदरसों के छात्र और एनआईओएस के हवाले से प्रो. सरोज शर्मा ने कहा कि सबसे बड़ी बात है सर्टिफिकेट मिलना. अब वे इससे आगे की तालीम और रोजी रोटी के क्षेत्र में जाने के लायक हो जाएंगे. इससे मदरसों के बच्चों में बदलाव जरूर दिखाई देगा.
एनआईओएस के माध्यम से होंगे विद्वान पैदा
जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि एक वक्त ऐसा आएगा जब एनआईओएस के माध्यम से बड़े बड़े विद्वान पैदा होंगे. हमारा मकसद सिर्फ सर्टिफिकेट लेना नहीं है. बच्चों के अंदर सलाहियत पैदा करना है. उन्होंने एनआईओएस के जिम्मेदारों को यकीन दिलाया कि वह उनके सपने को जरूर साकार करेंगे.
मौलाना महमूद मनदी ने कहा कि मदरसों के शिक्षकों और छात्रों के बीच जो रिश्ता है, वह पवित्र है. शिक्षक जो चाहें वहीं छात्र दिल लगा कर करते हैं. देश भर में जमीयत की शाखाओं में नेशनल स्कूल चल रहा है.
दीन के साथ दुनिया की तालीम जरूरी
शिक्षाविद एवं पाई यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पीएन इनामदार ने कहा कि दीन के साथ दुनिया की जब तक तालीम हासिल नहीं कर सकते, दीन की बातें लोगों तक सही तरीके से नहीं पहुंचा सकते.
इसके लिए हमने पुणे में मदरसों के जिम्मेदारों को ट्रेनिंग दी है जिससे बहुत बड़ा बदलाव हुआ है. एनआईओएस से जुड़ने के बाद इंकलाब आ गया है. अंग्रेजी बोलना, मॉडर्न टेक्नोलॉजी पर ध्यान देना ,हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. हमें वक्त के साथ बदलना होगा.
उन्होंने दूर दराज से तशरीफ लाए हुए शिक्षकों से कहा कि आप जहां भी हैं, वहां के जिम्मेदारों से मिलकर 10 साल के उम्र के बच्चों को मोबाइल से दूर रहने के लिए कहे. बेहतरीन उर्दू पर जोर दें. कमाल फारुकी ने कहा कि जमीयत ए उलेमा हिन्द बहुत जल्द ही शिक्षा के मैदान में इंकलाब लाने वाला है.
ऐसे देश विश्व गुरु बनेगा ?
पद्मश्री प्रो. अख्तरुल वासे ने कहा कि देश के अंदर विश्व गुरु बनने की आवाज बुलंद हो रही है जो अच्छी बात है. मगर देश के मुसलमानों को दरकिनार कर कभी विश्व गुरु नहीं बन सकता. इसके लिए हमें शिक्षा के क्षेत्र में सभी समुदाय के लोगों को साथ चलने की जरूरत है.
दुनिया के आखरी पैगम्बर मोहम्मद साहब ने दुनियावी शिक्षा हासिल करने के लिए कभी मना नहीं किया. इस पर जोर दिया. उसकी मिसाल ये है कि जंग ए बदर के मौके पर जिनको कैद कर लिया गया था उनसे शिक्षा देने के लिए कहा गया.
उस वक्त उसका धर्म नहीं देखा गया. सिर्फ इल्म की बुनियाद पर बाद में रिहा कर दिया गया. समारोह की अध्यक्षता तसमिया फाउंडेशन के अध्यक्ष फारूक अहमद ने की.उनके धन्यवाद भाषण के साथ समापन हुआ.
13 राज्य में जारी है मुहिम
अब्दुल माजिद ने कहा कि हमारे यहां बच्चों को कई भाषा में शिक्षा दी जा रही है. इस समय 13 राज्य में ये मुहिम चल रही है. इससे 85 मदरसों को जुड़ा गया है, जहां 10902 छात्र का दाखिला है. इसमें 242 लड़के और 43 लड़कियों के मदरसे हैं.
नेयाज अहमद फारूकी ने प्रोग्राम का संचालन किया. कहा कि देश में बहुत सारी इस्लामिक संस्थाएं हैं, जिसको सरकार की तरफ से मदद मिलती है, लेकिन जो निजी मदरसों के अंदर तालीम दी जाती हैं, वह अपने आप में मिसाल है.