मस्जिदें केवल इबादत के लिए नहीं, शिक्षा का भी महत्वपूर्ण केंद्र: मौलाना मदनी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-07-2024
Mosques are not only for worship, but also important centers of education: Maulana Madani
Mosques are not only for worship, but also important centers of education: Maulana Madani

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा-ए-हिंद के तत्वाधान में आईटीओ स्थित मुख्यालय में नाजरा कुरान (कुरान पढ़ने) और धार्मिक शिक्षा के पांच वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करने वाले दिल्ली प्रदेश के 35 मकतबों (धार्मिक पाठशालाओं) के 570 छात्रों की मुख्य परीक्षा आयोजित की गई. इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के अभिभावक, शिक्षक तथा दीनी तालीमी बोर्ड के पदाधिकारी उपस्थित थे.

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पैगम्बरों की विरासत का दायित्व तभी पूरा होगा, जब हम दीनी तालीम (धार्मिक शिक्षा) के प्रचार-प्रसार को अपना मिशन बना लें.

उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दें. उन्हें धार्मिक और सांसारिक शिक्षा से सुशोभित करें.

मौलाना मदनी ने धार्मिक शिक्षा की गतिविधियों के विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि संस्था स्वयं उद्देश्य नहीं है, बल्कि शैक्षिक मिशन महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि धार्मिक मकतबों

(पाठशालाओं) की स्थापना का कोई विकल्प नहीं है . अगर किसी अन्य संस्था की सहायता से हमारा बोझ कम हो रहा है तो हमें उनका शुभचिंतक और समर्थक होना चाहिए.

मौलाना मदनी ने माता-पिता, अभिभावकों, शिक्षकों और मस्जिद के जिम्मेदार लोगों से बच्चों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मस्जिदें केवल नमाज पढ़ने तक ही सीमित न रहें, बल्कि मस्जिद की प्रबंधन समिति और इमामों की जिम्मेदारी है कि वे धार्मिक शिक्षाओं को बढ़ावा दें.

मौलाना मदनी ने छात्रों को सच बोलने और ज्ञान का अनुसरण करने की सलाह दी. हजरत मौलाना अशरफ अली थानवी का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान का प्रकाश तभी प्राप्त होता है, जब दिल में सीखे हुए ज्ञान का अनुसरण करने की चाहत हो. उन्होंने शिक्षकों से कहा कि छात्रों के साथ दयालुता से पेश आएं और हमेशा उनके सुधार के लिए प्रयासरत रहें.

मुख्य परीक्षा के आयोजन के अवसर पर चार सूत्री संदेश भी जारी किया गया:

  • मुख्य परीक्षा का उद्देश्य धार्मिक पाठशालाओं में कुरान की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार करना और उम्मत के शत-प्रतिशत बच्चों को धार्मिक मकतबों से जोड़ना है.
  • दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा-ए-हिंद से संबंधित देश के सभी प्रदेशों और जिलों के पदाधिकारियों से अनुरोध है कि वे धार्मिक मकतबों को व्यवस्थित, मानक और अनुकरणीय बनाने की हर संभव कोशिश करें और वर्ष के अंत में शहरी या जिला स्तर पर मुख्य परीक्षा का आयोजन करें.
  • हर मकतब में जमीअत यूथ क्लब की स्थापना की जाए ताकि छात्र बचपन से ही आत्मबोध, समाज सेवा और सृष्टि के रचनाकार के प्रति आज्ञाकारिता की भावना से ओतप्रोत हों.
  • सभी इस्लामी मदरसों की प्रबंधकों एवं जिम्मेदार समिति से अनुरोध है कि समय एवं परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों को अधर्म, नशाखोरी एवं धर्म विद्वेष से बचाने के लिए एक धार्मिक विद्वान की नियुक्ति करें जो जगह-जगह धार्मिक मकतब स्थापित कर सके.


परीक्षा के बाद जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने सभी छात्रों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र वितरित किए। उन्होंने सभी बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों, समर्थकों और मस्जिदों के जिम्मेदारों को परीक्षा की सफलता पर बधाई दी.