यूनुस अलवी / मेवात ( हरियाणा )
भले ही मेवात जिला देश के 112 सबसे पिछड़े जिलों में शुमार है लेकिन यहां के युवा अपनी काबलियत का झंडा देश दुनियां में गाड कर मेवात और देश का नाम रोशन कर रहे है. हाल ही मे मेवात के छोटे से गांव जालीका निवासी गालिब खान ने ये कारनामा करके दिखाया है.
संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष और प्रीमियम इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक परड्यू विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट स्कूल में मेवात जैसे पिछडे क्षेत्र के गांव जालीका निवासी गालिब खान को पीएचडी छात्र के रूप में प्रवेश मिला है.
इतना ही नहीं पर्ड्यू विश्वविद्यालय से गालिब को उत्कृष्ट शैक्षणिक रिकॉर्ड के लिए उनकी पढ़ाई का समर्थन करने के लिए वित्तीय पुरस्कार की पेशकश की गई है. गालिब को विश्वविद्यालय से वार्षिक पुरस्कार पैकेज के तौर पर 65,339.00 (यूएस डॉलर) यानी तकरीबन 52 लाख 92 हजार रूपये की राशि मिलेगी. इसके अलावा उनको चिकित्सा और बीमा में भी छूट मिलेगी. गालिब की इस कामयाबी से मेवात में खुशी की लहर है.
गालिब खान ने बताया कि परड्यू विश्वविद्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष और प्रीमियम इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक है. यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट की सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग स्कूल रैंकिंग (2023-2024) के अनुसार इंजीनियरिंग स्कूल ऑफ परड्यू यूनिवर्सिटी ने यूएसए के सभी इंजीनियरिंग स्कूलों में चौथी रैंक हासिल की है. इसमें उसे पीएचडी छात्र के रूप में प्रवेश मिलना बड़ी कामयाबी और खुशी की बात है.
गालिब ने बताया कि उसने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा (5वीं कक्षा तक) राजकीय मॉडल सांस्कृतिक सीनियर सैंकेडरी स्कूल सिरोली से पूरी की है. उसके बाद प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद जवाहर नवोदय विद्यालय बाई (नूंह) में 6वीं कक्षा में प्रवेश लिया. यहां उसने 10वीं क्लास तक पढ़ाई की और क्लास के लगभग टॉप थ्री छात्रों में रहा. हाई स्कूल शिक्षा (10वीं कक्षा 10 में से 98 जीपीए के उत्कृष्ट ग्रेड के साथ पूरी की.
गालिब का कहना है कि उसके बाद उसने अपनी माध्यमिक हाई स्कूल शिक्षा 12वीं कक्षा के लिए सैयद हामिद सीनियर सेकेंडरी स्कूल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (2014-2016) में प्रवेश लिया.
उसके तुरंत बाद इंजीनियरिंग करने के लिए प्रवेश परीक्षा उतीर्ण करने के बाद उसने जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और सिविल इंजीनियरिंग (2016-2020 ) का विकल्प चुना. सौभाग्य से, उसने एएमयू में सिविल इंजीनियरिंग में 9.74/10 के उत्कृष्ट जीपीए के साथ कांस्य पदक प्राप्त किया.
गालिब का कहना है कि उनकी तमन्ना देश और दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों और संस्थानों से अपनी पढ़ाई करने की आकांक्षा थी. उसी के बाद, उसने सबसे कठिन प्रतिस्पर्धी परीक्षा इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट (जीएटीई) की परीक्षा दी. सौभाग्य से पूरे भारत से उपस्थित होने वाले 1.26 लाख उम्मीदवारों के पूल में से शीर्ष 2.46ः में वह खड़ा था. इस उपलब्धि ने उसे एम.टेक के लिए भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (आईआईटीजी) में दाखिला हो गया जहां उसने 9.6/10 के उत्कृष्ट जीपीए के साथ अपनी एम.टेक की डिग्री पूरी की.
गालिब का कहना है कि एमटेक के तुरंत बाद अगस्त 2022 में सबसे प्रतिष्ठित भारतीय शोध संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर में रिसर्च असिस्टेंट के पद पर एक शोध परियोजना में शामिल हो गया.
गालिब का कहना है कि उसकी इस कामयाबी के लिए वह सबसे पहले सर्वशक्तिमान अल्लाह का आभारी है जिसने उसे अब तक के सभी अवसरों और उपलब्धियों को प्राप्त करने में सक्षम बनाया है.
फिर वह अपने माता-पिता और परिवार, विशेष रूप से अपने पिता लियाकत अली (व्याख्याता राजनीति विज्ञान) और बड़े पिता (ताया) रमजान खान के लिए बहुत आभारी है जिन्होंने इस कठिन उपलब्धि की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिन्होने उसे इस पूरे सफर में संकट में हर वक्त मनोबल बढ़ाने के लिए नेतृत्व किया.
अंत में वह देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों (आईआईटी गुवाहाटी, आईआईएससी बैंगलोर) और विश्वविद्यालय (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) में अध्ययन और काम करने के अवसरों के लिए आभारी है और अपने प्रोफेसरों, सलाहकारों, मित्रों और साथियों को उनके इस पूरे सफर में अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद दिया है.