कॉलेजों में नहीं पढ़ाई जाएगी मनुस्मृति : धर्मेंद्र प्रधान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 12-07-2024
 Dharmendra Pradhan
Dharmendra Pradhan

 

नई दिल्ली. दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकेल्टी में कुछ शिक्षकों ने पाठ्यक्रम में मनुस्मृति को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था. हालांकि इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है. शुक्रवार को इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हम अपने संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं. सरकार संविधान की सच्ची भावना और इसको बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि किसी भी लिपि के किसी भी विवादास्पद हिस्से को शामिल करने का कोई सवाल ही नहीं है.

इससे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह घोषणा कर चुके थे कि एलएलबी पाठ्यक्रम में 'मनुस्मृति' को शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से पूछताछ और बात की है. शिक्षा मंत्री के कहा, "कुलपति ने मुझे आश्वासन दिया और बताया कि कुछ लॉ फैकल्टी शिक्षकों ने प्रस्ताव दिया कि न्यायशास्त्र अध्याय में बदलाव किया जाए, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया. शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल की बैठक है और काउंसिल की बैठक में भी ऐसा कोई विषय विचाराधीन नहीं है."

गौरतलब है कि एकेडमिक काउंसिल दिल्ली विश्वविद्यालय के शैक्षिक विषयों पर निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था है. डीयू की लॉ फैकल्टी द्वारा दिए गए प्रस्ताव में कहा गया था कि तीसरे साल के छात्रों को मनुस्मृति के दो अध्याय पढ़ाए जाएं. इस प्रस्ताव के बाद विवाद शुरू हो गया, कई शिक्षकों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई.

दिल्ली विश्वविद्यालय के डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि मनुस्मृति पढ़ना प्रोग्रेसिव एजुकेशन सिस्टम के खिलाफ होगा. हालांकि इस बीच कुलपति ने लॉ फैकल्टी के इस प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया.

प्रस्ताव में यह सुझाव दिया गया था कि लॉ फैकल्टी में पढ़ने वाले पहले और आखिरी सेमेस्टर के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाई जाए. न्यायशास्त्र के पाठ्यक्रमों में बदलाव करके मेधातिथि की राज्य और कानून की अवधारणा के लिए दो ग्रंथों का सुझाव दिया था.

हालांकि विश्वविद्यालय के कुलपति का साफ कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में ऐसा कुछ नहीं पढ़ाया जाएगा. दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई और उसका पाठ्यक्रम पूर्व की ही भांति बने रहेंगे.

 

ये भी पढ़ें :  हिंदू बिरादरी के सहयोग के बिना बिहार के सिवान से गगनचुंबी ताजिया निकाला संभव नहीं

ये भी पढ़ें :  अरबी भाषा के प्रसार के लिए किंग सलमान इंटरनेशनल एकेडमी का बड़ा कदम

ये भी पढ़ें :  ओडिशा के महान स्वतंत्रता सेनानी बाजी मोहम्मद, जिन्होंने कोरापुट में दी थी भारत छोड़ो आंदोलन को धार

ये भी पढ़ें :  'मुगल-ए-आज़म' से 'शोले' तक: जलाल आग़ा का सफर

ये भी पढ़ें :  कर्बला की जंग की शुरुआत कैसे हुई