जामिया में “सामाजिक आंदोलनों का समाज और लोकतंत्र पर प्रभाव” पर व्याख्यान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-12-2024
Lecture on “Impact of social movements on society and democracy” at Jamia
Lecture on “Impact of social movements on society and democracy” at Jamia

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समाजशास्त्र विभाग ने 20 दिसंबर, 2024 को "फॉर ग्लोबल सोशियोलॉजी ऑफ सोशल मूवमेंट्स" विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में ख्यातिप्राप्त समाजशास्त्रियों और अकादमिक जगत के नेताओं ने भाग लिया, जिन्होंने समाज और लोकतंत्र पर सामाजिक आंदोलनों के प्रभाव पर अपने विचार साझा किए.

 मुख्य वक्ता के रूप में अंतर्राष्ट्रीय समाजशास्त्रीय संघ के अध्यक्ष प्रो. जेफ्री प्लीयर्स ने अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किए.कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी थे. कार्यक्रम की शुरुआत समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो. अजरा आबिदी द्वारा परिचय और स्वागत भाषण से हुई.

उन्होंने सामाजिक आंदोलनों की वर्तमान प्रासंगिकता और उनकी आलोचनात्मक जांच के महत्व पर प्रकाश डाला.प्रो. जेफ्री प्लीयर्स ने अपने संबोधन में सामाजिक आंदोलनों के अध्ययन में नैतिकता और नई शोध विधियों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने समाज और लोकतंत्र पर सामाजिक आंदोलनों के परिवर्तनकारी प्रभावों को रेखांकित करते हुए, वैश्विक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।.

प्रो. अरविंदर ए. अंसारी ने भारतीय समाजशास्त्रीय संघ की भूमिका और समाजशास्त्र के भारतीय दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की.प्रो. राजेश मिश्रा ने भारतीय समाजशास्त्रियों के वैश्विक योगदान पर प्रकाश डालते हुए, 1921 से समाजशास्त्र के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया.

मुख्य अतिथि प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी ने सामाजिक आंदोलनों के लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूत करने और समाज को नया रूप देने में उनकी भूमिका पर विचार साझा किए. उन्होंने विशेष रूप से पश्चिम एशियाई देशों में आंदोलनों की भूमिका पर जोर दिया.

सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन, प्रो. मोहम्मद मुस्लिम खान ने सामाजिक आंदोलनों के ऐतिहासिक और समकालीन पहलुओं पर रोशनी डालते हुए, उनके प्रभाव और विकास पर गहन चर्चा की.कार्यक्रम का संचालन प्रो. शफीक अहमद ने किया.

व्याख्यान में बड़ी संख्या में छात्रों, शोधकर्ताओं और संकाय सदस्यों ने भाग लिया. इस आयोजन ने सामाजिक आंदोलनों के महत्व और समाजशास्त्रीय अध्ययन में उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए ज्ञानवर्धक संवाद का मंच प्रदान किया.