आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शैक्षिक अध्ययन विभाग, शिक्षा संकाय, में स्थापित स्कूल ऑफ एजुकेशन ने पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन की योजना के तहत “शैक्षणिक अनुसंधान को उत्प्रेरित करने के हिस्से के रूप में सैंपल अध्ययनों में प्रतिक्रियाशीलता” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया.
इस व्याख्यान को जामिया के शैक्षिक अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अरशद इकराम अहमद ने संबोधित किया. व्याख्यान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अनुसंधान के महत्व और ज्ञान में वृद्धि के उद्देश्य से आयोजित किया गया था. इसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के 75 से अधिक युवा शोधार्थियों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया.
कार्यक्रम की प्रमुख बातें
कार्यक्रम की शुरुआत में स्कूल ऑफ एजुकेशन के नोडल अधिकारी प्रो. एजाज मसीह ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि विभाग आने वाले दिनों में कई नई शैक्षिक पहलों को लागू करेगा.
संकाय की डीन प्रो. सारा बेगम ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि विभाग के नए शिक्षकों ने शैक्षणिक गतिविधियों में नई ऊर्जा का संचार किया है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इन कार्यक्रमों से न केवल छात्रों को बल्कि संकाय को भी अपने शैक्षणिक कौशल को बढ़ाने का अवसर मिल रहा है.
शैक्षिक अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को लागू करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने विभाग द्वारा पूरे वर्ष आयोजित होने वाली शैक्षणिक पहलों की सराहना की.
सम्मान और योगदान
कार्यक्रम के दौरान, स्कूल ऑफ एजुकेशन की संस्थापक नोडल अधिकारी प्रो. अनीता रस्तोगी और विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अरशद इकराम अहमद को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया. प्रो. अहमद को उनके कार्यकाल के दौरान की गई पहलों और विभाग के विकास में उनकी अग्रणी भूमिका के लिए विशेष रूप से सराहा गया.