नई दिल्ली. जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (एमसीएआरएस) के पीएचडी शोध विद्वान आरीज अख्तर को बोस्टन, मैसाचुसेट्स, यूएसए में आयोजित प्रतिष्ठित कार्यक्रम में पहले कार्ल जून सीएआर-टीसीआर समिट ट्रैवल अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
सीएआर टी सेल थेरेपी के क्षेत्र में अग्रणी डॉ. कार्ल जून द्वारा प्रस्तुत यह पुरस्कार, सीएआर टी सेल थेरेपी की प्रभावकारिता को बढ़ाने में उनके अभूतपूर्व शोध को मान्यता देता है. अख्तर का काम, जिसका शीर्षक है ‘कार टी-कोशिकाओं के मेटाबोलिक नेटवर्क को बायोइंजीनियरिंग करके दृढ़ता और दीर्घकालिक एंटी-ट्यूमर गतिविधि को बढ़ाना’, कार टी सेल थेरेपी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण चुनौतियों को संबोधित करता है.
सुश्री अख्तर का शोध इन ‘जीवित दवाओं’ की दृढ़ता और दीर्घकालिक प्रभावशीलता को बेहतर बनाने के लिए मेटाबोलिक रीप्रोग्रामिंग की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जिसने कैंसर के उपचार में क्रांति ला दी है, जब से एफडीए ने 2017 में पहली कार टी सेल थेरेपी को मंजूरी दी थी. दुनिया भर में 35,000 से अधिक रोगियों को इस उपचार से लाभ हुआ है, जो उन मामलों में भी प्रभावी रहता है, जहाँ कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसी अन्य थेरेपी विफल हो गई हैं. उनकी टीम के अभिनव शोध का उद्देश्य जीएलपी 1 पेप्टाइड्स का उपयोग करके कार टी-कोशिकाओं के चयापचय मार्गों को बायोइंजीनियरिंग करके कार टी-कोशिकाओं की दीर्घायु से निपटना है, जिससे उनका जीवनकाल और एंटी-ट्यूमर गतिविधि बढ़ जाती है.
सुश्री अख्तर ने 3,000 से अधिक अणुओं के विभिन्न संयोजनों की जांच की, ताकि वह संयोजन खोजा जा सके, जो कार टी-कोशिका के कार्य को बढ़ाता है और उनकी दीर्घायु को बढ़ाता है. सुश्री अख्तर ने पुरस्कार समारोह के दौरान कहा, ‘‘हमारी टीम ने सफलतापूर्वक एक अद्वितीय संयोजन की पहचान की है, जो रोगी के नमूनों और प्री-क्लीनिकल मॉडल दोनों में उल्लेखनीय रूप से अच्छी तरह से काम करता है.’’
कार टी-सेल थेरेपी अपनी उच्च लागत के लिए जानी जाती है, जो ₹4 से ₹5 करोड़ के बीच होती है. अख्तर ने इस जीवन रक्षक थेरेपी को दुनिया भर के रोगियों के लिए अधिक किफायती और सुलभ बनाने के अपने लक्ष्य पर जोर दिया. सुश्री अख्तर के शोध के पीछे बायोइंजीनियरिंग नवाचार का पेटेंट कराया गया है, जिसमें सुश्री अरिज अख्तर और जेएमआई के एमसीएआरएस में सहायक प्रोफेसर डॉ. तनवीर अहमद दोनों को आविष्कारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. यह कार्य वर्तमान में प्रकाशन के लिए सहकर्मी समीक्षा के अधीन है और कैंसर उपचार के क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.
एमसीएआरएस के निदेशक प्रोफेसर मोहम्मद हुसैन ने सुश्री अख्तर को बधाई दी. पुरस्कार प्राप्त करने पर अरिज अख्तर को बधाई दी और उनके शोध प्रयासों की प्रशंसा की. प्रोफेसर हुसैन ने कहा, ‘‘जामिया मिलिया इस्लामिया के शोध विद्वान बेहतरीन काम कर रहे हैं और अपने योगदान के लिए उन्हें दुनिया भर में पहचान मिल रही है. सुश्री अरिज अख्तर जैसे विद्वान विश्वविद्यालय के लिए एक संपत्ति हैं और उन्होंने अपने शोध के सफर के माध्यम से साबित कर दिया है कि वे विश्व स्तरीय शोध कर सकती हैं और देश को गौरवान्वित कर सकती हैं.’’ यह उपलब्धि न केवल सुश्री अख्तर के करियर में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह अत्याधुनिक शोध के लिए जेएमआई की प्रतिबद्धता को भी पुष्ट करती है, जिसमें वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को बदलने की क्षमता है.