नई दिल्ली. जामिया मिलिया इस्लामिया के मनोविज्ञान विभाग के पीएचडी छात्र प्रखर श्रीवास्तव प्रोफेसर साइमा बानो की देखरेख में एक प्रोजेक्ट ‘लोनली’ पर काम कर रहे हैं. उन्हें यूरोपीय संघ में ओपन साइंस ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया है. तीन मिलियन होराइजन यूरोप अनुदान के साथ इस महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य यूरोप में सामाजिक अलगाव और अकेलेपन को समझना, पहचानना और कम करना है. कार्यक्रम का मुख्य फोकस यूरोप में सामाजिक अलगाव और अकेलापन (एसआईएल) है, जो दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए सरकारों, शोधकर्ताओं और संगठनों को एक साथ लाता है.
जर्मनी में रूहर यूनिवर्सिटी बोचुम (आरयूबी) के प्रोफेसर माइक लोहमैन, नीदरलैंड में व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम (वीयू), फ्रांस में एनेसी बी हे लाइफ साइंसेज लैब (एबीएसएल), इटली में यूनिवर्सिटा कैटोलिका डेल साक्रो सेवेरो (यूसीएससी), पोलैंड में एस.डब्ल्यू.पी.एस. यूनिवर्सिटी, इटली में मिलान स्टेट यूनिवर्सिटी और नीदरलैंड में फियोटी यूनिवर्सिटी (एफआईओटीआई) सहित सात प्रमुख यूरोपीय संस्थानों के साथ इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं. वे अकेलेपन और अलगाव के वैज्ञानिक कारणों का पता लगाने, माप उपकरणों की जांच करने और साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगे.
सर-ए-दस्त पारखर, लोन ले. यूरोपीय संघ की परियोजना एबीएसएल की मुक्त विज्ञान पहल का नेतृत्व करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुसंधान पारदर्शी, सुलभ और प्रभावी हो. उनकी जिम्मेदारियों में अनुसंधान डेटा प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश विकसित करना, सुचारू प्रगति सुनिश्चित करने के लिए कार्य की गति और दिशा को विनियमित करना, तथा प्रकाशनों तक खुली पहुंच को बढ़ावा देना शामिल है.
वे डेटा गोपनीयता विनियमों की भी समीक्षा करेंगे और नीति निर्माताओं, डॉक्टरों और जनता तक अनुसंधान परिणामों के व्यापक प्रसार की सुविधा प्रदान करेंगे.
इस परियोजना को यूरोपीय संसद की उपाध्यक्ष एवलिन रेंजर का समर्थन प्राप्त है, तथा यह ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन लोनलीनेस एंड कनेक्शन (जीआईएलसी), ओईसीडी सेंटर ऑन वेल-बीइंग (ओईसीडी-वाइज) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जैसे प्रमुख वैश्विक संगठनों के साथ साझेदारी में है. ऋण खुले विज्ञान प्रक्रिया और वैश्विक साझेदारी के माध्यम से प्रदान किये गए. यूरोपीय संघ परियोजना का उद्देश्य अत्याधुनिक अनुसंधान का उपयोग करके व्यावहारिक समाधान ढूंढना है जिससे यूरोप में जीवन में सुधार हो सके.