अंतर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस: भारत का संविधान मुसलमानों की शिक्षा और संस्कृति की गारंटी देता है

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-12-2024
International Minority Rights Day: The Constitution of India guarantees education and culture of Muslims
International Minority Rights Day: The Constitution of India guarantees education and culture of Muslims

 

अलीगढ़. अंतर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के भारतीय मुसलमानों के शिक्षा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार केंद्र  कोर्स में एक विस्तृत व्याख्यान का आयोजन किया गया. एएमयू के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मोहिबुल हक ने अपने भाषण में अल्पसंख्यक की पारिभाषिक परिभाषा समझाते हुए कहा कि भारत के संविधान के कई प्रावधान भारत के प्रत्येक नागरिक और धार्मिक अल्पसंख्यक को भाषाई और सांस्कृतिक विकास और पहचान की गारंटी देते हैं. उनके अनुसार अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, संस्कृति और धार्मिक पहचान की रक्षा करने का पूरा अधिकार है.

मोहिबुल हक ने अपने कहा कि विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यकों की स्थिति अलग-अलग है. उदाहरण के लिए कश्मीर में मुसलमान बहुसंख्यक हैं और अन्य धर्मों के लोग अल्पसंख्यक हैं. पंजाब तथा कुछ अन्य राज्यों में भी स्थिति ऐसी ही है. भारत में छह अल्पसंख्यकों को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है. अल्पसंख्यक उत्पीड़न का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दलितों को मंदिरों से दूर रखना या उन्हें अगड़े वर्गों के सामने घोड़े पर बैठने की अनुमति नहीं देना अमानवीय भेदभाव है.

प्रोफेसर मोहिब-उल-हक ने वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर का विस्तार से उल्लेख किया और कहा कि हर व्यक्ति अल्पसंख्यक है, जो कहीं भी रहता है और किसी भी समाज में हीनता की भावना से ग्रस्त है, जनसंख्या की दृष्टि से बहुसंख्यक नहीं है, और अल्पसंख्यक होने का एहसास करता है. बहुसंख्यकों द्वारा भेदभाव किया गया. इस चार्टर के अनुसार, भाषाई अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखा जाएगा और प्रत्येक अल्पसंख्यक की संस्कृति और धर्म को संरक्षित करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे. राज्य उनकी पहचान के विकास के लिए अवसर प्रदान करेगा तथा कानून के माध्यम से भाषाई और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा करेगा.

उन्होंने कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषाएं और संस्कृतियां हैं और राज्य को उनके अस्तित्व और संरक्षण के लिए कानून बनाने का अधिकार है. विशिष्ट वक्ता ने इस संबंध में नौ अनुच्छेदों वाले संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का विवरण प्रस्तुत किया.

केंद्र के निदेशक नसीम अहमद खान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया तथा छात्रों और उपस्थित लोगों से उर्दू भाषा को बढ़ावा देने का अनुरोध किया, जिसे अल्पसंख्यक भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए. इस अवसर पर सहायक निदेशक श्री सबाहुद्दीन, श्री बच्चन अली खान एवं अन्य उपस्थित थे.