Heights of success: Ahad Ahmed, son of a puncture maker, became a judge, secured 157th rank in UP PCS-J.
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
प्रयागराज के एक छोटे से घर में रहते हुए एक मां ने अपने बेटे को जज बनाने की प्रेरणा घर द्वार फिल्म से ली, हालांकि उनके पति पंचर लगाने का काम करते हैं और वे खुद सिलाई करतीं हैं. मशहूर कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियाँ "कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो", प्रयागराज के अहद अहमद ने इसे सार्थक कर दिखाई हैं.
जी हाँ प्रयागराज में पंक्चर बनाने वाले के बेटे अहद अहमद ने पीसीएस-जे की परीक्षा पहली प्रयास में पास कर परचम लहरा दिया है, उन्होंने UP PCS-J में 157वीं रैंक हासिल की.
खास बात यह है कि अहद अहमद की सफलता से पूरे इलाके में हिंदू, मुस्लिम या अन्य किसी भी धर्म के अनुयायी उत्साहित हैं और उनकी सफलता पर उन्हें बधाई दे रहे हैं.
Puncture maker’s son Ahad Ahmed turns judge
कभी अपने पिता के साथ पंचर बनाने वाले अहद अहमद ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिस पर परिवार के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी गर्व है. अहद अहमद ने पहले प्रयास में यूपी पीसीएस जे क्लियर किया और जज बन गए हैं.
संगम नगरी प्रयागराज के नवाबगंज इलाके के बरई हरख गांव में साइकिल पंचर की छोटी सी दुकान चलाने वाले शहजाद अहमद के बेटे अहद अहमद की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है.
अहद की सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके पिता, जो साइकिल के टायरों की मरम्मत करके और उनकी माँ कपड़े सिलाई करके परिवार का भरण-पोषण करती थीं, ने उन्हें दिन-रात काम करना सिखाया.
कुछ साल पहले तक, अहद अहमद अपने पिता के साथ साइकिल की मरम्मत करते थे और कभी-कभी महिलाओं के कपड़े सिलने में अपनी माँ की मदद करते थे, लेकिन अब वह एक जज हैं. यूपी में पीसीएस जे भर्ती का रिजल्ट 30 अगस्त को जारी हुआ था. अहद अहमद ने 157वां स्थान हासिल किया. हैरानी की बात यह है कि अहद ने यह सफलता अपने पहले ही प्रयास में हासिल की, वह भी बिना किसी कोचिंग के और केवल अपनी पढ़ाई पर भरोसा करते हुए.
अहद अहमद भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को अपना आदर्श मानते हैं और उनसे बेहद प्रभावित हैं. अहद अहमद ने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा गांव के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय से पूरी की. इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए प्रयागराज शहर चले गए, जहां उन्होंने 2012 में सरकारी इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की.
इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से बीए और यहीं से एलएलबी किया. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की. यहां वह तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से काफी प्रभावित हुए और कोरोना के दौरान ही उन्होंने पीसीएस जे की तैयारी शुरू कर दी.
Ahad Ahmed secured 157th rank in UP PCS-J
दरअसल, असद की सफलता के पीछे की कहानी फिल्म की कहानी है. बेटे अहद को पढ़ा-लिखाकर एक सफल इंसान बनाने का ख्याल उनकी मां अफसाना के मन में फिल्म घर द्वार देखकर आया था. फिल्म देखने के बाद उन्होंने फैसला किया कि उनके पति की दुकान से परिवार का भरण-पोषण होगा और वह बच्चों को महिलाओं के कपड़े सिलना सिखाएंगी.
अहद अहमद चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं. उनके माता-पिता ने न केवल अहद अहमद को शिक्षित किया बल्कि अपने अन्य बच्चों को भी शिक्षित किया. अहद के बड़े भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गए हैं और उनका छोटा भाई एक निजी बैंक में शाखा प्रबंधक है. हाल के दिनों में परिवार में खुशियां ही खुशियां आई हैं.
अहद के उनके माता-पिता ने न केवल उन्हें गरीबी और संघर्ष में बड़ा किया, बल्कि हमेशा उन्हें ईमानदारी और अच्छे इरादों के साथ कम काम करने की सलाह दी. वह जीवनभर अपने माता-पिता की इस सीख का पालन करने का प्रयास करेंगे.
अहद अब पिता शहजाद अहमद को आराम देना चाहते हैं. हालाँकि, जज होने के बावजूद भी वह कभी-कभार अपने पिता के काम में मदद करते हैं.जिसमें उन्हें कोइ शर्म महसूस नहीं होती.