जितेंद्र पुष्प / गया ( बिहार )
प्रमोद कुमार उस शख्स का नाम है जो समस्याओं में से समाधान ढूंढ निकालते हैं. जब वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर पूरी दुनिया के शैक्षणिक संस्थाओं में ताले लगे थे, लोगों को घर से निकलने पर पाबंदी थी.वैसे परिस्थिति में प्रमोद कुमार बच्चों के लिए निशुल्क पाठशाला चलाते थे.
वाट्सएप और यूट्यूब के माध्यम से प्रमोद कुमार बच्चों से जुड़कर अपने घर से ही बच्चों की समस्याओं का समाधान निकालते थे. बाद में बिहार के गया जिला के शिक्षा पदाधिकारी ने गाइडेंस प्रोग्राम का नाम देकर जिले के 10 वीं और 12 वीं के बच्चों को इससे जोड़ दिया.
इस प्रोग्राम का टीम लीडर प्रमोद कुमार को बनाया गया. गया गाइडेंस प्रोग्राम की सफलता की सराहना केवल जिले में ही नहीं बिहार भर में हुई. इससे बच्चे काफी लाभान्वित हुए.
प्रमोद कुमार पिता श्यामदेव महतो वर्तमान में प्लस टू जिला स्कूल गया में गणित विषय के शिक्षक हैं. इनकी नियुक्ति नगर माध्यमिक शिक्षक के पद पर 16 मार्च 2007 को गया नगर निगम के अंतर्गत न्यू उच्च विद्यालय चांदचौरा में हुई थी.
मैट्रिक से लेकर स्नातकोत्तर तक तथा बी. एड. परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण प्रमोद कुमार अपनी शैक्षणिक यात्रा पूर्ण करने के उपरांत शिक्षण एवं शिक्षा की भावना से स्वयं के ज्ञानवर्धन के लिए 1998 सेंट स्टीफेंस हाई स्कूल दानापुर कैंट पटना में शिक्षण कार्य किया.
प्रमोद कुमार ने शिक्षा को आय का माध्यम न बनाकर इसके विकास, शिक्षा से वंचित और जरूरतमंद बच्चों को अपनी सेवा से लाभान्वित करने का कार्य कर रहे हैं.
प्रमोद कुमार मूलतः सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र नवादा जिला के अकबरपुर प्रखंड के श्रीरामपुर गांव के निवासी हैं. इनका जन्म 5 नवंबर 1972 को हुआ था. 90 के दशक में
यह इलाका घोर नक्सलवाद से पीड़ित था. इस इलाके में तब शिक्षा का घोर अभाव था. इनके पिता साधारण किसान होते हुए भी पढ़ाई की ओर इन्हें हमेशा प्रेरित किया.
प्रमोद बचपन में खुद भी पढ़ते और गांव - टोले के वंचित बच्चों निःशुल्क शिक्षा देते. इसका नतीजा अच्छा निकला. इनके साथ तथा इनके बाद गांव के कई बच्चे प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर बेहतर जिंदगी यापन कर रहे हैं.
वह खुद तो पढ़े ही अपने गांव और पड़ोसी गांव के बच्चों को भी शिक्षा के प्रति प्रेरित किया. श्रीरामपुर गांव के राम भजन प्रसाद कहते हैं,प्रमोद ने गांव के बच्चों में शिक्षा की भूख जगाई है.
गांव के बच्चों ने शिक्षा की राह पकड़ी और कई बच्चे सरकारी सेवा के साथ गैरसरकारी सेवा में ऊंचे ओहदे पर हैं. प्रमोद कुमार बताते हैं कि अपने और अपने पड़ोसी गांव के बच्चों की कामयाबी को जान-सुनकर हमें और भी प्रेरणा मिलती है.
तब से पढ़ना और पढ़ाना मेरी आदत सी बन गई है. सरकारी सेवा में आने के बाद भी यह क्रम जारी है. वर्तमान में शिक्षा में गुणात्मक सुधार, नवाचार से संबंधित सरकार द्वारा दिए जाने वाले प्रशिक्षण में शिक्षा विभाग बतौर प्रतिभागी के रूप में भेजता है और प्रशिक्षण उपरांत प्रशिक्षक के रूप में अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का कार्य करता हूं.
प्रमोद कुमार की चर्चा आमतौर पर ईमानदार, समय के पाबंद और कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक के रूप में होती है. इनकी कर्मठता के कारण जिले और राज्य के कई शैक्षणिक और सामाजिक संगठनों ने अपने साथ जोड़ रखा है.
प्रमोद कुमार के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए जिला एवं राज्य स्तर के सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं ने पुरस्कृत कर इनका मान बढ़ाया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी इनके उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए राज्य पुरस्कार के लिए नामित कर चुके हैं.