समीना सुमरा / मुंबई
‘लड़की की जात है. इतना पढ़के क्या करेगी. ससुराल जाकर तो चूल्हा-चौका ही करना है.’ भारतीय समाज में इस तरह की ताना-रीरी कमोबेश हर तरक्कीपसंद लड़की और उसके अभिभावकों को सुननी पड़ती है. मगर शिक्षा वह चिराग है, जिसकी रोशनी से खुद और खुद का घरबार ही नहीं, बल्कि मोहल्ला-पड़ोस और यहां तक कि सारे आलम को रोशन किया जा सकता है. तालीम की ताकत जब भी आजमाई गई, तो कसौटी पर हर मर्तबा सौ टंच निकली.
डॉ. फलकनाज दानिश शेख की शिक्षाविद् के तौर पर एक कामयाब जिंदगी भी तालीम के जरिए इंसान के बुलंदियां चूमने की कहानी है. अपने मायके, ससुराल और तीन बच्चों की परिवरिश के साथ उन्हें जब भी फुर्सत मिली, तो उन्होंने अपने अकादमिक ज्ञान को संवारने और निखारने का कोई भी अवसर नहीं गंवाया.
वे एम. कॉम, एलएलएम असैा पीएचडी (लॉ) के पायदान चढ़ती हुईं अंजुमन-ए-इस्लाम के बैरिस्टर एआर अंतुले कॉलेज ऑफ लॉ में इंचार्ज प्रिंसिपल के तौर पर देश के होनहारों में शिक्षा की अलख जगा रही हैं. एक महिला के तौर पर परिवार की जिम्मेदारियों के साथ देश और समाज के निर्माण में उसकी भूमिका की गहराई से छानबीन के लिए डॉ. फलकनाज दानिश शेख लंबी बातचीत हुई.
शिक्षा के माध्यम से समाज में प्रगतिशील परिवर्तन के लिए समर्पित शिक्षाविद, कानूनी पेशेवर और सक्रिय सामाज उत्प्रेरक डॉ. फलकनाज दानिश शेख से उसी अंतरंग वार्ता के चुनिंदा हिस्से यहां पेश हैंः
सवालः आपको शिक्षक बनने के लिए प्रेरणा कैसे मिली.
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः पहले प्रयास में उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने और उसके बाद कानून में पीएचडी के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा चयनित होने के बाद मेरे शिक्षण पेशे में प्रवेश करने का मार्ग प्रशस्त हुआ. आने वाली पीढ़ियों को कानूनी ज्ञान, अंतर्दृष्टि, कौशल और विशेषज्ञता से लैस करने के लिए खुद को और साथ ही समुदाय को उच्च ऊंचाई तक ले जाने के लिए मैंने अपने आपको व्यस्त कर लिया .
सवालः एक महिला शिक्षाविद् के रूप में आपको कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और आपने उनका समाधान कैसे किया.
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः दरअसल, मैं एक प्रगतिशील मानसिकता के साथ अपनी पॉजिटिव सपोर्ट सिस्टम यानी मेरे पति के साथ बेहद भाग्यशाली महिला हूं. मेरे मायके के साथ-साथ पति के परिवार ने भी उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के मेरे हर प्रयास का समर्थन किया.
वास्तव में मेरे तीन बच्चे (बेटे) मेरे साथ बड़े हो रहे हैं और खुद को शिक्षित करने के साथ-साथ परिवार के काम करना भी एक मजबूत सहायक परिवार के कारण ही संभव हो पाया है, जिन्होंने न केवल मेरी यात्रा का समर्थन किया और इसे संभव बनाया, बल्कि अपने प्रगतिशील विचार और दृष्टिकोण से इसे सुगम भी बनाया.
एक और बात जो मैं यहां बताना चाहूंगी, वह यह है कि हर रिश्ते की अपनी आपसी समझ होती है, जिसे दोनों तरफ से बनाए रखना और उसका सम्मान करना होता है, ताकि पहियों को हमेशा गति में रखा जा सके. एक समग्र संतुलित उपलब्धि केंद्रित समर्पण, दृढ़ता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा की मांग करती है.
सवालः हमें अपनी शैक्षिक यात्रा के बारे में कुछ बताएं.
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः मैंने श्रीमती एमएमके कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स (बांद्रा), 2002 में 70 प्रतिशत अंकों के साथ मुंबई विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक किया. उसी साल मेरी शादी हुई, मैंने आयडल यूनिवर्सिटी आफ मुंबई परास्नातक और काूमर्स में दाखिला लिया और एम कॉम पूरा किया.
2006 में मैंने एलएलबी के लिए जीजे आडवाणी लॉ कॉलेज (बांद्रा) में प्रवेश लिया. हालांकि मैंने पहली मेरिट सूची में ही गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में प्रवेश प्राप्त कर लिया था, लेकिन मुझे इसे छोड़ना पड़ा और एक मां के रूप में अपनी प्राथमिकताओं के कारण आडवाणी लॉ कॉलेज का चयन करना पड़ा और मैं अपने दोनों बेटों के लिए उपलब्ध रही थी.
मेरे दोनों बेटे अपनी शैशवावस्था में थे. 2010 में, दोनों स्कूल जाने तो, मैंने मेट्रोपॉलिटन और फैमिली कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और निश्चित रूप से पेनकैंट विकसित किया और समुदाय के साथ-साथ ही समाज के वंचित वर्गों तक सुरक्षित पहुंच और न्याय के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया.
हालाँकि 2011 में, मेरे तीसरा बेटे आने पर कानूनी प्रैक्टिस के साथ मेरा संक्षिप्त कार्यकाल ठहर गया, क्योंकि मेरी जिम्मेदारियाँ अदालत में लंबे समय तक काम करने की अनुमति नहीं देती थीं. 2012 में मुंबई युनिवर्सिटी से मास्टर्स आफ लॉ के लिए एडमिशन लिया और 2014 में सफलतापूर्वक मास्टर्स डिग्री हासिल की.
दिसंबर 2014 में, मैं विष्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में भाग लिया और पहले ही प्रयास में 72 प्रतिशत अंक प्राप्त कर देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया. उस 2015 में, मैंने असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर शुरुआत की और 2016 में,
मैंने प्रमुख अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से क्रिमिनल लॉ में पीएचडी के लिए पंजीकरण करवाया. 2021 में, मैंने अपनी पीएचडी हासिल की थी और मुझे डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया, जो न केवल मेरा सपना था, बल्कि मेरे दिवंगत पिता का भी सपना था, जो 1996 में एक विधवा और पांच बेटियों को छोड़कर जन्नतनशीन हो गए थे.
सवालः आपकी लाइफ में आपका रोल मॉडल कौन है.
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः जैसा कि मैंने ऊपर कहा गया है, मेरी प्रेरणा मेरी मां हैं, जिन्हें मैंने ऐसे समय में एक मजबूती से चुनौतियों का सामना करते हुए देखा है, जब हमारा जीवन सबसे निचले स्तर पर था. मैंने अपनी मां से प्रेरणा ली है.
दूसरों की दया के बजाय अपने आपको ऊपर उठाने और खुद को बाधाओं के खिलाफ उठने और हासिल करने का दृढ निश्चय बना लें. बिना शिकायत किए और निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बाधाओं के खिलाफ लड़ने की भावना मेरी मां से आती है, जो अल्लाह तआला द्वारा तय किया हुआ जीवन जीती थी और एक सफल महिला के रूप में उभरने में कामयाब रहीं, जिनकी इच्छा शक्ति चट्टान की तरह मजबूती से खड़ी हुई था.
जो स्पष्ट है कि उन्होंने हम पांच बेटियों की परवरिश की, जिनमें से प्रत्येक ने अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में शानदार प्रदर्शन करते हुए सफलता हासिल की है.
सवालः क्या आपको लगता है कि शिक्षा महिलाओं के लिए सबसे अच्छा पेशा है और क्यों?
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः हाँ, निश्चित रूप से शिक्षा हर महिला के लिए समय की आवश्यकता है, क्योंकि यह ठीक ही कहा गया है कि ‘‘यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं, लेकिन जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं.’’
महिलाएं समाज का स्तंभ हैं. महिलाएं हीन, उपेक्षित लिंग नहीं हैं. महिलाएं हर घर का केंद्र आधार स्तंभ होती हैं, जो न केवल उसमें रहने वाले लोगों के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, बल्कि उन लोगों के जीवन को भी प्रभावित करती हैं,, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक क्षमता में उसके संपर्क में आते हैं.
शिक्षा सांसारिक और धार्मिक दोनों को सशक्त बनाती हैं और शिक्षा मुख्य रूप से हमारे बच्चों और हमारे आस-पास रहने वाले सभी लोगों के लिए केंद्रित होनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर परिवारों के साथ-साथ समुदाय का भी उत्थान हो सकता है.
सवालः आप अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को कैसे बैलेंस करती हैं.
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाना दोनों मोर्चों पर जीने की कला है. कुछ भी अकेले हासिल करना मुमकिन नहीं है. टीम वर्क, समन्वय, सहिष्णुता, आपसी समझ, अनुशासन, अन्य चीजों के बीच आपसी सम्मान की भावना के साथ दोनों कार्यों में महारत हासिल की जानी चाहिए.
जैसा कि ठीक ही कहा गया है, ‘‘दूर तक पहुँचने के लिए आप अकेले तेजी से चल सकते हैं, सबसे दूर तक पहुँचने के लिए आप एक साथ चल सकते हैं.’’ मनुष्य, सामाजिक प्राणी, एक दूसरे की प्राकृतिक प्रवृत्ति के रूप में एक दूसरे की जरूरत है.
मैंने अपने तीनों बेटों की परवरिश के लिए अपने काम और पढ़ाई से भी ब्रेक लिया था. बच्चों की परवरिश और अपने करियर दोनों को बैलेंस करने में मुझे परिवार वालों का काफी साथ और सहकार मिला था.
सवालः आप किसी महिला को क्या सलाह देंगी?
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः महिलाओं को अपनी क्षमता और जुनून खोजने की जरूरत है. महिलाओं को अपनी प्राथमिकताओं को पहचानने और लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है. महिलाओं को उभरने और पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में अपनी क्षमता साबित करने की जरूरत है.
महिलाओं को अपनी ऊर्जा को चैनलाइज करने, दिशाओं में बदलाव करने, मजबूत मौलिक सिद्धांतों और लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें समग्र रूप से प्राप्त करने का लक्ष्य रखने की आवश्यकता है. कई बार महिलाएं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती हैं.
यदि लक्ष्य की ओर एक समय में एक छोटा कदम भी उठाया जाता है, तो यह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी योगदान देता है. जीवन एक यात्रा होने के नाते इसकी मंजिल है और जिस रास्ते पर जाना है, वह ड्राइवर के हाथ में है.
न केवल अपने जीवन का, बल्कि अपने से जुड़े अन्य लोगों के जीवन का भी जिम्मा उठाएं, जीवन की को एक सही रास्ते पर ले जाएं, फिर चाहे मंजिल कितनी भी दूर और कठिन क्यों न हो. एक बात और भी कहना चाहती हूं कि अल्लाह तआला उनकी ही मदद करता है, जो खुद अपनी मदद करते हैं. अपना सर्वश्रेष्ठ करो, बाकी अल्लाह पर छोड़ दो.
सवालः अन्य महिलाएं आपको क्या प्रेरित करती हैं.
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः मेरी मां, श्रीमती शहनाज अब्दुल मारूफ खान.
सवालः आप हमारे पाठकों को क्या मैसेज देना चाहती हैं?
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः सितारों पर निशाना लगाओ और तुम आसमान तक पहुंच जाओगे.
सवालः वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर अपने विचार साझा करें.
डॉ. फलकनाज दानिश शेखः नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में वर्तमान शिक्षा प्रणाली ने बच्चों की शिक्षा विशेष रूप से बालिका शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के आलोक में कई सकारात्मक बदलाव लाए हैं और शिक्षा के क्षेत्र में सभी संस्थानों को प्रगतिशील सकारात्मक समाज के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए इसे सावधानीपूर्वक अपनाने का निर्देश दिया है.
मैं यहां बैरिस्टर एआर अंतुले कॉलेज ऑफ लॉ की मूल संस्था अंजुमन आई इस्लाम के बारे में बताना चाहूंगी, जो पिछले 150 वर्षों से एक अग्रणी अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान है, और वर्तमान में डॉ. जाकिर आई काजी के सक्षम मार्गदर्शन और प्रबंधन के अधीन है.
काजी, अध्यक्ष और उनकी टीम एक लाख से अधिक छात्रों और 3000 कर्मचारियों के व्यावहारिक अर्थों में जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है, जिनमें से 50 प्रतिशत से अधिक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से हैं.
इसके 90 प्रतिशत से अधिक संस्थानों की प्रमुख महिलाएं हैं, अंजुमन-ए-इस्लाम वास्तव में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रहा है और मुस्लिम महिलाओं के दमन और उत्पीड़न के सभी अवरोधों को खत्म कर रहा है. अंजुमन-ए-इस्लाम न केवल बेटी बचाओ और बेटी पढाओ का
अभ्यास करता है, बल्कि हमारे दो अनाथालयों में लड़कियों के लिए ‘बेटी बसाव’ भी करता है और उनकी सुरक्षा और अच्छी तरह से रहने के लिए निरंतर कार्रवाई करता है. हमने इस्लाम के दायरे में रहकर ही महिलाओं में शिक्षा का स्तर बढ़ाते हुए उनके उत्थान के लिए उत्प्रेरक बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.