अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नाथ परंपरा और योग पर चर्चा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 28-03-2025
Discussion on Nath Tradition and Yoga at Aligarh Muslim University
Discussion on Nath Tradition and Yoga at Aligarh Muslim University

 

अलीगढ़. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के आधुनिक भारतीय सुन्नीवाद विभाग द्वारा “नाथ संप्रदाय: एक संवाद” विषय पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया. वरिष्ठ पत्रकार एवं अनुवादक दीप जगदीप सिंह ने पंजाबी संस्कृति पर नाथ साहित्य के गहन प्रभाव तथा आज की वैश्विक चुनौतियों से निपटने में इसके महत्व पर प्रकाश डाला.

इस अवसर पर डॉ. दिया सिंह पंजाबी की पुस्तक ‘नाथ सम्प्रदाय अते योग’ का विमोचन किया गया, जो उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के तत्वावधान में प्रकाशित हुई है. डॉ. दीया सिंह ने यह पुस्तक डॉ. क्रांति पाल की देखरेख में अपने शोध प्रबंध के भाग के रूप में पूरी की. विशिष्ट अतिथि, प्रसिद्ध लेखक एवं जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व प्रोफेसर डॉ. असगर वजाहत ने नाथ परंपराओं और पंजाबी साहित्य के बीच गहरे संबंध पर प्रकाश डाला.

प्रोफेसर टी.एन. सुथीसन, डीन, कला संकाय ने अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि पारंपरिक विचारों, जैसे “योग और नाथ शिक्षाओं” को आधुनिक शैक्षिक और सामाजिक चुनौतियों के साथ जोड़ने के लिए अंतःविषय अध्ययन आवश्यक हैं. उन्होंने सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण ऐसी चर्चाओं के आयोजन में विभाग के प्रयासों की सराहना की.

पुस्तक की लेखिका डॉ. दीया सिंह ने आशा व्यक्त की कि यह कार्य युवा पीढ़ी को पंजाब की ऐतिहासिक जड़ों के बारे में जानकारी देने में सहायक होगा. ‘लफजां दा पुल’ के संपादक दीप जगदीप सिंह ने नाथ साहित्य को पंजाबी भाषा के सबसे पुराने साहित्यिक खजानों में से एक माना और इसके सुधारात्मक गुणों पर प्रकाश डाला. उन्होंने इसे गुरु नानक साहिब की शिक्षाओं के अनुरूप बताया, विशेषकर स्वच्छता और पर्यावरण जागरूकता के संबंध में.

हिंदी विभाग के प्रोफेसर वेद प्रकाश ने कहा कि नाथ परंपरा ने जाति व्यवस्था को खारिज कर पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाया. उन्होंने इस क्रांतिकारी आंदोलन की गहराई को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता बताई.

कार्यक्रम समन्वयक अरविंद नारायण मिश्रा ने पंजाबी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए एएमयू द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की. उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि अकादमी पंजाबी भाषी समुदायों को उनकी भाषाई और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के लिए साहित्यिक गतिविधियों को प्रायोजित करना जारी रखेगी.