नई दिल्ली
जर्मनी के एरफर्ट स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज (यूएएस) के छात्र और शिक्षक 17 से 27 मार्च, 2025 तक जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के सामाजिक कार्य विभाग का दौरा कर रहे हैं. यह दौरा दोनों विश्वविद्यालयों के बीच 2002 से जारी अकादमिक आदान-प्रदान कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे लेकर एक समझौता ज्ञापन (MOU) हुआ था.
इस दस दिवसीय यात्रा के दौरान, जर्मन प्रतिनिधिमंडल भारतीय सामाजिक कार्य शिक्षा और अभ्यास की अनूठी स्थिति को समझेगा और भारतीय समाज के विभिन्न हाशिए पर पड़े समूहों, जैसे बच्चों, बुजुर्गों और अन्य कमजोर वर्गों से जुड़े मुद्दों पर अकादमिक व्याख्यानों में भाग लेगा. इन व्याख्यानों में सामाजिक नीतियों, शासन, और इन समस्याओं के समाधान के लिए किए गए हस्तक्षेपों पर चर्चा की जाएगी.
सामाजिक कार्य विभाग के सेमिनार हॉल में विभागाध्यक्ष प्रो. नीलम सुखरामानी, समन्वयक डॉ. आसिया नसरीन, डॉ. संजय ओंकार इंगोले और अन्य विभागीय शिक्षकों एवं छात्रों ने जर्मन प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया. इस अवसर पर दोनों विश्वविद्यालयों के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी और उनके निरंतर प्रयासों को याद किया गया.
प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा की शुरुआत जेएमआई के अभिलेखागार से की, जहाँ उन्हें पुस्तकों, पांडुलिपियों और ऐतिहासिक कलाकृतियों के संग्रह से परिचित कराया गया. इसके बाद, उन्होंने प्रेमचंद गैलरी का दौरा किया, जहाँ मुंशी प्रेमचंद के साहित्यिक योगदान और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के प्रयासों पर जानकारी प्राप्त की.
प्रतिनिधिमंडल ने बाद में जेएमआई के माननीय कुलपति प्रो. मजहर आसिफ से मुलाकात की, जिन्होंने उनका स्वागत किया और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जेएमआई के जीवंत शैक्षणिक वातावरण पर प्रकाश डाला.
प्रो. आसिफ ने भारतीय समाज की विविधता और समग्रता को विश्व स्तर पर अद्वितीय बताया. उन्होंने जर्मन प्रतिनिधियों को भारत के भोजन, पहनावे, संस्कृति और भाषा का अनुभव करने की सलाह दी, और साथ ही जामिया के सामाजिक कार्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को भी समाहित करने की सराहना की.
कुलपति ने जेएमआई के छात्रों को जून में जर्मनी जाने के लिए भी बधाई दी.इसके बाद, जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने नेहरू गेस्ट हाउस में एक सत्र में भाग लिया, जिसमें जेएमआई के इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका, और स्वदेशी शिक्षा के पक्ष में किए गए प्रयासों पर चर्चा की गई.
साथ ही, इस सत्र में जेएमआई के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने और जर्मनी के विद्वानों के योगदान, विशेषकर गेरडा फिलिप्सबोर्न (आपा जान) की भूमिका को भी रेखांकित किया गया.शैक्षणिक चर्चाओं के अलावा, प्रतिनिधिमंडल ने कई गैर सरकारी संगठनों (NGOs) का दौरा किया, जैसे होप चैरिटेबल ट्रस्ट, ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन, एक्शन इंडिया और बटरफ्लाईज.
ये एक्सपोजर विजिट उन्हें सामाजिक समावेश और सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही जमीनी पहलों से परिचित कराएंगी.ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजनाओं को देखने के लिए राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय और बेयरफुट कॉलेज, तिलोनिया द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों का भी दौरा निर्धारित किया गया है, जिससे प्रतिनिधिमंडल सतत ग्रामीण विकास के लिए अभिनव दृष्टिकोणों को समझ सकेगा.
इसके अलावा, प्रतिनिधिमंडल को भारत की सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराने के लिए इफ्तार का आयोजन, इंडिया गेट, निजामुद्दीन दरगाह, दिल्ली हाट और जामा मस्जिद जैसे ऐतिहासिक स्थलों का दौरा भी किया जाएगा.
इस तरह के शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम से दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा.