आंध्र प्रदेशः भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख पर पाठ पढ़ेंगे स्कूली बच्चे

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 05-11-2022
 फातिमा शेख
फातिमा शेख

 

विशाखापत्तनम.

आंध्र प्रदेश सरकार ने आठवीं कक्षा की पाठ्य-पुस्तकों में फातिमा शेख के योगदान पर एक पाठ शामिल किया है. भारत की सबसे महान समाज सुधारक और शिक्षक में से एक फातिमा के बारे में बच्चों को बहुत कम जानकारी है, जिन्हें व्यापक रूप से भारत की पहली महिला मुस्लिम शिक्षक माना जाता है. फातिमा को प्रसिद्ध समाज सुधारक दंपत्ति ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को शरण देने के लिए जाना जाता है, जब उन्हें उनके परिवारों से निकाल दिया गया था.

1848 में फुले दंपत्ति ने जाति व्यवस्था और पुरुष वर्चस्ववाद के खिलाफ पहल की थी. फातिमा शेख ने फुले दंपति को बॉम्बे प्रेसीडेंसी में यानी पूना में अपने घर में लड़कियों का पहला स्कूल शुरू करने की अनुमति दी थी. फातिमा शेख फुले द्वारा संचालित सभी पांच स्कूलों में पढ़ाती थीं. उसी समय उन्होंने 1851 में मुंबई में अपने दम पर दो स्कूलों की स्थापना की.

फातिमा शेख ने सावित्रीबाई फुले के साथ एक अमेरिकी मिशनरी सिंथिया फरार द्वारा संचालित एक संस्थान में शिक्षक का प्रशिक्षण लिया था. 9 जनवरी, 1831 को जन्मी फातिमा को वह पहचान नहीं मिली, जिसकी वह हकदार थीं. वह देश के विभिन्न हिस्सों में एक अल्पज्ञात कार्यकर्ता बनी हुई हैं. आंध्र प्रदेश से पहले, महाराष्ट्र ने स्कूली पाठ्यक्रम में उनके बारे में एक संक्षिप्त पाठ पेश किया था. गूगल ने उनकी 191वीं जयंती के संबंध में अपने होमपेज पर एक डूडल के साथ उन्हें सम्मानित किया था.

एपी प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य महासचिव काकी प्रकाश राव ने बताया, ‘‘हम मानते हैं कि बच्चे देश का भविष्य हैं, उन्हें सुधारकों, स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य लोगों के बारे में पता होना चाहिए, जिन्होंने राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया. हमें बहुत खुशी है कि आठवीं कक्षा की किताब में एक पाठ पेश किया गया है. फातिमा शेख के योगदान पर अधिक जागरूकता की आवश्यकता है.’’