राकेश चौरासिया
काबा मक्का में स्थित एक घनाकार इमारत है. इस्लाम में इसे सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. हज यात्रा के दौरान, मुसलमान काबा की सात बार परिक्रमा करते हैं, जिसे ‘तवाफ’ कहा जाता है. यह हज के पांच स्तंभों में से एक है और सभी सक्षम मुसलमानों के लिए जीवन में कम से कम एक बार अनिवार्य है.
तवाफ का महत्व
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काबा की परिक्रमा एकेश्वरवाद का प्रतीक है. यह दर्शाता है कि मुसलमान केवल एक ही ईश्वर, अल्लाह की पूजा करते हैं.
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तवाफ इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल की कहानी को याद कराता है, जिन्हें अल्लाह ने आदेश दिया था कि वे काबा का निर्माण करें.
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तवाफ में सभी मुसलमान, चाहे उनकी जाति, सामाजिक स्थिति या अमीरी कुछ भी हो, सब समान होते हैं. वे सभी काबा के चारों ओर एक ही दिशा में चलते हैं, जो एकता और भाईचारे की भावना पैदा करता है.
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तवरफ को आत्म-शुद्धि और क्षमा का साधन माना जाता है. मुसलमान अपनी गलतियों के लिए माफी मांगते हैं और अल्लाह से मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं.
तवाफ कैसे किया जाता है
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हज या उमराह शुरू करने से पहले, मुसलमानों को इहराम पहनना होता है, जो दो सफेद चादरें होती हैं.
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तवाफ शुरू करने से पहले, मुसलमानों को अपनी नियत करनी चाहिए, यानी अपने इरादे का इजहार करना चाहिए.
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यदि संभव हो तो, मुसलमान हज्र-ए-असवद को चूमते हैं.
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मुसलमान काबा के चारों ओर सात बार वामावर्त दिशा में परिक्रमा करते हैं.
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प्रत्येक परिक्रमा के बाद, मुसलमान प्रार्थना करते हैं और दुआ करते हैं.
काबा की परिक्रमा मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है. यह एकता, समानता, आत्म-शुद्धि और क्षमा का प्रतीक है. तावफ मुसलमानों को अल्लाह के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है.