दशहरा पर रावण दहन कब होगा?, जानिए शुभ मुहूर्त समय, तिथि और महत्त्व

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 12-10-2024
 Ravana Dahan
Ravana Dahan

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. यह हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीराम ने राक्षसराज रावण का वध किया था, जो बुराई का प्रतीक माना जाता है. रावण दहन के माध्यम से बुराई के अंत और सत्य की जीत का संदेश समाज में फैलाया जाता है.

दशहरा को पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर रामलीला का आयोजन किया जाता है और अंतिम दिन रावण दहन की परंपरा निभाई जाती है. रावण के साथ-साथ उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतलों का भी दहन किया जाता है. यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है.

दशहरा 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष 2024 में दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. रावण दहन का शुभ मुहूर्त इस दिन सूर्यास्त के बाद होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दशमी तिथि के दौरान रावण दहन करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

  • दशमी तिथि: 12 अक्टूबर सुबह 10.55 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 13 अक्टूबर सुबह 09.10 पर हो जाएगा.
  • विजयदशमी: विजयदशमी पर्व 12 अक्टूबर 2024, शनिवार के दिन मनाया जाएगा और इसी दिन रावण दहन का आयोजन होगा.
  • शस्त्र पूजा: विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजा का विधान है, जो दोपहर 02.04 से दोपहर 2.50 के बीच किया जा सकेगा.
  • रावण दहन समय: दशहरा के दिन श्रवण नक्षत्र का निर्माण हो रहा है. इस दिन श्रवण नक्षत्र 12 अक्टूबर सुबह 05.24 शुरू होगा और इसका समापन 13 अक्टूबर सुबह 04.25 पर होगा. रावण दहन के लिए श्रवण नक्षत्र का होना बहुत ही आवश्यक माना जाता है, इसलिए संध्या काल में शाम 05.50 से शाम 07.25 के बीच रावण दहन का आयोजन किया जाएगा. प्रदोष काल में ही रावण दहन किया जाता है.

रावण दहन की परंपरा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

रावण दहन का आयोजन केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव भी गहरा है. रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले बनाकर उन्हें जलाने की परंपरा उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में देखी जाती है. दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ, पटना, और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में रावण दहन का आयोजन विशाल स्तर पर किया जाता है.

इन आयोजनों में बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं और आतिशबाजी के साथ इस पर्व का आनंद उठाते हैं. रावण दहन को देखकर लोग अपने जीवन में बुराई से दूर रहने और अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेते हैं.

दशहरा का सांस्कृतिक पक्ष भी बेहद समृद्ध है. रामलीला के मंचन के दौरान भगवान राम के आदर्शों को दिखाया जाता है, जो समाज को सत्य, धर्म और नैतिकता का पालन करने की प्रेरणा देते हैं. राम, लक्ष्मण, और सीता के चरित्र से जुड़ी कहानियों को देखकर लोग जीवन में धैर्य, प्रेम और संघर्ष की महत्ता को समझते हैं. रामलीला का मंचन इस पर्व की महत्ता को और भी बढ़ा देता है.

रावण का प्रतीकात्मक महत्व

रावण एक विद्वान राजा था, लेकिन उसका अहंकार और अधर्म उसके पतन का कारण बना. रामायण में रावण का वर्णन एक शक्ति और ज्ञान से सम्पन्न व्यक्ति के रूप में किया गया है, लेकिन उसके घमंड और अनुचित कर्मों ने उसे बुराई का प्रतीक बना दिया. रावण दहन उसी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

हर साल इस दिन लोग रावण के विशालकाय पुतले को जलाते हैं, जो यह दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अगर वह गलत मार्ग पर चलता है, तो उसका पतन निश्चित है. रावण दहन की परंपरा हमें यह सिखाती है कि अहंकार, अधर्म, और अन्याय से दूरी बनाकर हमें सदाचार और नैतिकता का पालन करना चाहिए.

आधुनिक संदर्भ में रावण दहन

आज के समय में रावण दहन की परंपरा एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गई है. यह केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से हम समाज में फैल रही बुराइयों के खिलाफ खड़े होने का संदेश भी देते हैं. आधुनिक युग में भ्रष्टाचार, हिंसा, और असमानता जैसी बुराइयां भी रावण के प्रतीक मानी जा सकती हैं, और दशहरा हमें इन बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देता है.

देश भर में विभिन्न स्थानों पर दशहरा उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, जहां रावण दहन के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. आज के युवा भी इस पर्व से जुड़कर रामायण के आदर्शों और संदेशों को अपनाने का प्रयास करते हैं.

देश के प्रमुख स्थानों पर रावण दहन

भारत में कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां रावण दहन का आयोजन विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होता है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे प्रमुख स्थानों के बारे में -

  • दिल्ली: दिल्ली का रामलीला मैदान दशहरा समारोह के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है. यहां रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के विशाल पुतले बनाए जाते हैं और हजारों लोग इस उत्सव में भाग लेते हैं.
  • वाराणसी: काशी नगरी में दशहरा उत्सव भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यहां गंगा घाट पर रावण दहन का आयोजन किया जाता है, जो सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.
  • कोटा, राजस्थान: कोटा का दशहरा मेला देश के सबसे बड़े और प्रसिद्ध मेलों में से एक है. यहां रावण के साथ मेघनाद और कुम्भकर्ण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं, और इसका आयोजन भव्य रूप से किया जाता है.
  • मैसूर, कर्नाटक: मैसूर का दशहरा भी विश्व प्रसिद्ध है. यहां का दशहरा उत्सव सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद खास होता है.
  • कोलकाता: दशहरे के अवसर पर कोलकाता में दुर्गा पूजा के साथ-साथ रावण दहन का आयोजन होता है. यहां की दुर्गा पूजा और दशहरा का संयोजन इस त्योहार को विशेष बनाता है.

नवाचार

कई स्थानों पर लोग रावण दहन के माध्यम से सामाजिक बुराइयों जैसे कि भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न, और असमानता के खिलाफ संदेश भी दे रहे हैं. आधुनिक दशहरे के उत्सव में इस प्रकार की पहलें समाज के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही हैं.

दशहरा का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है. रावण दहन के माध्यम से हम केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव नहीं मनाते, बल्कि यह पर्व हमें जीवन में नैतिकता, सत्य, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

2024 में रावण दहन का शुभ मुहूर्त और इस पर्व का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व सभी के लिए एक खास अवसर है. हमें इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाने के साथ-साथ इसके वास्तविक संदेश को भी समझने और अपनाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में बुराइयों से दूर रहकर अच्छाई का मार्ग चुन सकें.