भारतीय नोट पर गांधी जी की फोटो कब छपी थी?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 30-01-2025
भारतीय नोट पर गांधी जी की फोटो कब छपी थी?
भारतीय नोट पर गांधी जी की फोटो कब छपी थी?

 

राकेश चौरासिया

यूं तो, भारतीय करेंसी यानी भारतीय रुपये का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है. प्राचीन काल से लेकर आज तक, भारत में मुद्रा के कई रूप देखने को मिले हैं. भारत की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक गतिविधियों में मुद्रा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है. वर्तमान में भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर छपती है, लेकिन यह हमेशा से ऐसी नहीं थी. भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर कब और क्यों छपनी शुरू हुई, इसका भी एक दिलचस्प इतिहास है.

भारत में मुद्रा का इतिहास वैदिक काल से मिलता है. प्राचीन काल में व्यापार वस्तु विनिमय के माध्यम से किया जाता था, लेकिन बाद में सिक्कों का चलन शुरू हुआ. प्राचीन भारत (6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 12वीं शताब्दी तक) में सबसे पहले सिक्कों का प्रचलन महाजनपद काल (लगभग 600 ईसा पूर्व) में हुआ. प्राचीन भारतीय सिक्के चांदी, तांबे और सोने के होते थे और इन पर राजा के चिह्न होते थे. मौर्य काल (321-185 ईसा पूर्व) में पंचमार्क सिक्के प्रचलन में आए. गुप्त काल (319-550 ईस्वी) में सोने के सिक्कों का ज्यादा चलन हुआ.

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मध्यकालीन भारत (12वीं से 18वीं शताब्दी) के दौरान दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य के दौरान सोने-चांदी और तांबे के सिक्के जारी किए गए. शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में चांदी का श्रुपैयाश् सिक्का जारी किया, जिसे आधुनिक भारतीय रुपये का आधार माना जाता है. मुगलों के शासन में ‘मोहर’ नामक सोने के सिक्के प्रचलन में थे.

ब्रिटिश काल (1770-1947) में अंग्रेजों ने 18वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप में अपना सिक्का जारी किया. 1861 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय करेंसी नोटों की शुरुआत की. 1862 में पहली बार ‘ब्रिटिश इंडियन’ नोट जारी हुए, जिन पर ब्रिटिश सम्राट की तस्वीर होती थी. ब्रिटिश सरकार ने रुपये को औपचारिक रूप से भारतीय करेंसी घोषित किया. 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना हुई और 1938 में पहली बार आरबीआई द्वारा नोट जारी किए गए.

स्वतंत्र भारत में करेंसी का विकास

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली, और उसके बाद भारतीय मुद्रा में भी बदलाव आया. 1949 में पहला स्वतंत्र भारतीय नोट जारी किया गया, जिस पर अशोक स्तंभ का चिह्न था. 1950 से 1970 के दशक तक भारतीय नोटों पर अशोक स्तंभ और अन्य सांस्कृतिक प्रतीकों को दर्शाया जाता था. 1970 के दशक में हरे, नीले, और भूरे रंगों के 1, 2, 5, 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोट प्रचलन में थे.

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महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय नोटों पर कब और क्यों आई?

गांधी का चित्र पहली बार 1969 में उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर मुद्रा नोट पर आया था. इस तस्वीर में वे अपने सेवाग्राम आश्रम की पृष्ठभूमि में बैठे हुए थे. इसके बाद, गांधी का चित्र 1987 में नोट में फिर से दिखाई दिया. यह तस्वीर 500 रुपये के नए मुद्रित नोट पर थी. 1996 में भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘महात्मा गांधी सीरीज’ के तहत सभी प्रमुख करेंसी नोटों (10, 20, 50, 100, 500 और 1000 रुपये) पर गांधी जी की तस्वीर छापनी शुरू की.

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेता थे और सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के प्रतीक माने जाते हैं. उनके विचारों और सिद्धांतों को देश की मुद्रा पर स्थान देकर भारत ने उन्हें सम्मान दिया. गांधी जी की तस्वीर वाली मुद्रा लोगों को राष्ट्रीय एकता, आत्मनिर्भरता और संघर्ष की याद दिलाती है.

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नोटबंदी और नई करेंसी

8 नवंबर 2016 को सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की. इसके स्थान पर नए 500 और 2000 रुपये के नोट जारी किए गए. बाद में 200 रुपये का नया नोट भी जारी किया गया.

सुरक्षा फीचर्स

इन नए नोटों में भी महात्मा गांधी की तस्वीर बनी रही, लेकिन इनका डिजाइन और सुरक्षा फीचर्स आधुनिक बनाए गए. आज भारतीय नोटों में कई महत्वपूर्ण सुरक्षा फीचर्स जोड़े गए हैं, जिससे नकली नोटों की पहचान आसान हो सके. कुछ प्रमुख फीचर्स में गांधी जी की तस्वीर बाईं तरफ हल्का झुकी हुई है. सिक्योरिटी थ्रेड एक प्रकार की एक पतली लाइन है, जो नोट के बीच से गुजरती है. इस पर गांधी जी की छवि और मूल्य चिन्हित वॉटरमार्क होता है. इस एक बार ब्लीड लाइन भी होती है, जो दृष्टिहीन लोगों के लिए नोट को पहचानने में सहायक है. इसमें कलर चेंजिंग इफेक्ट भी है यानी नोट को झुकाने पर फीचर्स का रंग बदलता है. माइक्रोलेटरिंग के तहत नोट के किनारों पर बहुत छोटे अक्षरों में लिखा होता है.

1996 में महात्मा गांधी श्रृंखला शुरू की, जिसके बाद से सभी भारतीय मुद्रा नोटों पर उनका चेहरा स्थायी रूप से अंकित हो गया. इसे बदलने के लिए कई बार बयान सामने आए, इसके बावजूद गांधी का चेहरा कभी भी नोट से नहीं हटा. अन्य संभावित उम्मीदवारों के तौर पर जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल और यहां तक कि देवी लक्ष्मी और गणेश के चित्र छापने के सुझाव आते रहे हैं.

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2016 में जब वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से पूछा गया कि क्या नोटों पर छपी तस्वीर बदलने की योजना है, तो उन्होंने कहा, ‘‘यूपीए के दौरान एक समिति बनाई गई थी, जिसने पहले ही फैसला कर लिया है कि मुद्रा नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर बदलने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, सरकार ने 6 दिसंबर, 2015 को डॉ. बी.आर. अंबेडकर की जयंती के अवसर पर ₹125 का एक गैर-प्रचलन स्मारक सिक्का और ₹10 मूल्यवर्ग का एक प्रचलन सिक्का जारी किया था.

भारतीय मुद्रा का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और इसमें कई बदलाव हुए हैं. प्राचीन समय के पंचमार्क सिक्कों से लेकर आज की डिजिटल करेंसी तक, भारतीय मुद्रा ने कई दौर देखे हैं. महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार 1987 में 500 रुपये के नोट पर आई और 1996 से सभी नोटों पर इसे शामिल किया गया. गांधी जी की तस्वीर भारतीय नोटों पर उनके योगदान और विचारों का प्रतीक है. आज भारतीय करेंसी आधुनिक सुरक्षा उपायों के साथ जारी की जा रही है, जिससे यह विश्व स्तर पर अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित बन सके.